Saturday, 12 November 2011

138. मन वचन कर्म



 मन मैं जो  सोचता है 
वही कहता है
वही करता है 
वह संत होता है, सफल होता है 

हम चाहते तो सम्मान हैं 
बात करते हैं भक्ति की 
काम करते है कुछ और 

सम्मान चाहें
सम्मान  प्राप्ति  की ही बात करें
सम्मान प्राप्ति के काम करें - इनमें कोई हर्ज नहीं है 

मन कुछ, बात कुछ, काम कुछ 
सफलता नहीं मिलेगी - 
बात भक्ति की हो, धनकी  हो मान की  हो,सम्मान की हो 


JAI SHRI राधे


DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Lives, Born, Works = L B W at वृन्दाबन

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