रजोगुण के कारन ही काम या क्रोध उत्पन्न होता है |
क्रोध से मूढ़ता - स्म्रतिभ्रम , बुध्दिनाश होकर
ज्ञान आवृत हो जाता है
उचित-अनुचित पाप पुण्य का ज्ञान धक् जाता है
और व्यक्ति पापाचरण करता है |
रजोगुण उत्पन्न न हो या हावी न हो,
इसके लिए उसे उसकी खुराक मत दो, अर्थात
रजोगुणी कार्यमत करो,
रजोगुणी भोजन मत करो
रजोगुणी दृश्य मत देखो
रजोगुणी बात मत करो आदि.......
इससे रजोगुण भूखा प्यासा कमजोर कहीं एक कोने में
चुपचाप पड़ा रहेगा, हावी नहीं होगा तो क्रोध भी नही आयेगा
ज्ञान जागृत रहेगा और पाप आचरण से बचे रहेंगे - हम - आप !!!!
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