✅ ससार ही सार ✅
▶ इस संसार में अनेक प्रकार के क्लेश हैं
▶ रोग हैं । रोगी हैं
▶ भोगी हैं । क्रिमनल हैं
▶ पापी हैं । तापी हैं । लेकिन इस बात को मत भूलना कि हमारा
▶ गोविन्द भी इसी संसार में है
▶ हमें दूसरे दूसरे लोगों से नही
▶ गोविन्द के प्यारों से वास्ता रखते हुए । गुरु से वास्ता रखते हुए । वैष्णवों से वास्ता रखते हुए गोविन्द के ▶ चरणारविन्द की सेवा तक पहुंचना है
▶ ये संसार वास्तव में तो कृष्ण चरण सेवा प्राप्ति के लिए बनाया था । हमे भी साधन के लिए बनाया था । लेकिन ▶ हम स्त्री चरण लोलुप हो गए ।
▶ अतः प्रणाम है इस संसार को जिसमे हमारे ठाकुर का धाम वृन्दाबन है ।बरसाना है । संत हैं । सिद्ध हैं । ▶ गुरुजन हैं । हम हैं । आप हैं । इसका अपने मतलब का उपयोग करो और बाकी से
▶ विचरेत् असंगः
▶ अनासक्त होकर विचरण करो । असंग रहो । जेसे भीड़ में तुम्हारे साथ बेटी चल रही होती है तो उसका ध्यान ▶ रखते हो । दूसरी ओर कोई और चल रहा होता है उसका ध्यान नही रखते हो । ये है असंग ।
▶ वो या संसार चलेगा साथ ही । लेकिन उसका संग मत करो । ध्यान मत दो । चलने दो । हमे क्या । ये भाव ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
▶ इस संसार में अनेक प्रकार के क्लेश हैं
▶ रोग हैं । रोगी हैं
▶ भोगी हैं । क्रिमनल हैं
▶ पापी हैं । तापी हैं । लेकिन इस बात को मत भूलना कि हमारा
▶ गोविन्द भी इसी संसार में है
▶ हमें दूसरे दूसरे लोगों से नही
▶ गोविन्द के प्यारों से वास्ता रखते हुए । गुरु से वास्ता रखते हुए । वैष्णवों से वास्ता रखते हुए गोविन्द के ▶ चरणारविन्द की सेवा तक पहुंचना है
▶ ये संसार वास्तव में तो कृष्ण चरण सेवा प्राप्ति के लिए बनाया था । हमे भी साधन के लिए बनाया था । लेकिन ▶ हम स्त्री चरण लोलुप हो गए ।
▶ अतः प्रणाम है इस संसार को जिसमे हमारे ठाकुर का धाम वृन्दाबन है ।बरसाना है । संत हैं । सिद्ध हैं । ▶ गुरुजन हैं । हम हैं । आप हैं । इसका अपने मतलब का उपयोग करो और बाकी से
▶ विचरेत् असंगः
▶ अनासक्त होकर विचरण करो । असंग रहो । जेसे भीड़ में तुम्हारे साथ बेटी चल रही होती है तो उसका ध्यान ▶ रखते हो । दूसरी ओर कोई और चल रहा होता है उसका ध्यान नही रखते हो । ये है असंग ।
▶ वो या संसार चलेगा साथ ही । लेकिन उसका संग मत करो । ध्यान मत दो । चलने दो । हमे क्या । ये भाव ।
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
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