✅ श्रीराधारमण लाल जू का प्राकट्य ✅
▶ जय श्री राधे
▶ आज श्री राधारमण जू का प्राकट्य दिवस है । आज यहां मंदिर में श्री राधारमण जी का अद्भुत अभिषेक होता है । यह अभिषेक ठीक वैसे ही होता है जैसे जन्माष्टमी के दिन होता है ।
▶ श्री गोपाल भट्ट जी के पास शालिग्राम शिला के रूप में श्री राधारमण जी थे
▶ दो बातें आती हैं
▶ एक तो यह आती ह कि उन दिनों किसी वैष्णव ने सभी विग्रहों के श्रृंगार पोशाक आदि प्रदान किए थे तो गोपाल भट्ट जी के मन में आया कि मेरे शालिग्राम भी यदि विग्रह होते तो मैं भी इन्हें श्रृंगार वस्त्र पोशाक धारण कराता ।
▶ दूसरी बात गोपाल भट्ट जी के हृदय में आई। 1 दिन पूर्व क्योंकि नरसिंह जयंती होती है । प्रभु जैसे प्रह्लाद के लिए आप नरसिंह रुप में खंभे से प्रकट हुए क्यों नहीं आप उसी प्रकार से इस शालिग्राम से मेरे लिए विग्रह रूप में प्रकट होते हैं
▶ रात्रि को यह चिंतन करते करते सो गए और प्रातः काल वही शालिग्राम शिला आज के ही दिन श्री राधारमण के श्री विग्रह के रुप में परिवर्तित हो गई जो यहां वृंदावन में विराजमान है यहां अत्यधिक विधि विधान से भावपूर्वक सेवा होती है । भक्तों को ठाकुर यहां विराजमान हो कर दर्शन देते हैं ।
▶ आज उनके प्राकट्योत्सव पर शत शत नमन वंदन प्रणाम ।
▶ समस्त वैष्णव जन को मेरा प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
▶ जय श्री राधे
▶ आज श्री राधारमण जू का प्राकट्य दिवस है । आज यहां मंदिर में श्री राधारमण जी का अद्भुत अभिषेक होता है । यह अभिषेक ठीक वैसे ही होता है जैसे जन्माष्टमी के दिन होता है ।
▶ श्री गोपाल भट्ट जी के पास शालिग्राम शिला के रूप में श्री राधारमण जी थे
▶ दो बातें आती हैं
▶ एक तो यह आती ह कि उन दिनों किसी वैष्णव ने सभी विग्रहों के श्रृंगार पोशाक आदि प्रदान किए थे तो गोपाल भट्ट जी के मन में आया कि मेरे शालिग्राम भी यदि विग्रह होते तो मैं भी इन्हें श्रृंगार वस्त्र पोशाक धारण कराता ।
▶ दूसरी बात गोपाल भट्ट जी के हृदय में आई। 1 दिन पूर्व क्योंकि नरसिंह जयंती होती है । प्रभु जैसे प्रह्लाद के लिए आप नरसिंह रुप में खंभे से प्रकट हुए क्यों नहीं आप उसी प्रकार से इस शालिग्राम से मेरे लिए विग्रह रूप में प्रकट होते हैं
▶ रात्रि को यह चिंतन करते करते सो गए और प्रातः काल वही शालिग्राम शिला आज के ही दिन श्री राधारमण के श्री विग्रह के रुप में परिवर्तित हो गई जो यहां वृंदावन में विराजमान है यहां अत्यधिक विधि विधान से भावपूर्वक सेवा होती है । भक्तों को ठाकुर यहां विराजमान हो कर दर्शन देते हैं ।
▶ आज उनके प्राकट्योत्सव पर शत शत नमन वंदन प्रणाम ।
▶ समस्त वैष्णव जन को मेरा प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
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