Wednesday, 4 May 2016

अनंत भगवान


​​✔  *अनंत भगवान*    ✔   


🌹🌹ये भगवान का ही एक स्वरूप हैं । अंश हैं । आधार या सन्धिनी शक्ति हैं

🌹🌹ये शेषनाग रूप में पृथ्वी को धारण करते हुए अपने सहस्र मुखों से सदा प्रभु गुण गान में मस्त रहते हैं

🍯🍯 ये क्षीर समुद्र शायी का एक रूप हैं । क्षीर समुद्र में इन्ही शेष नाग पर ही विष्णु शयन करते हैं ।

🛢🛢 इन्ही शेष नाग का नाम ही अनंत है । ये अनंत गुणों का अनंत मुखों से अनंत काल तक गान करते हैं इसीलिये इन्हें अनंत कहते हैं

🏺🏺ईनके अनंत मुख रूपी फण हैं

🍎🍎ये स्वयं प्रभु ही आधार शक्ति के रूप में हैं । इन पर ही शयन करते हैं प्रभु ।

🍯🍯 ये केवल शेषनाग रूप में ही नही । प्रभु की शय्या । आसन । पादुका । धाम । धाम में सब कुछ । आदि अनेक रूपों में प्रभु की सेवा करते हैं

🌋 लक्ष्मण । बलराम । नित्यानंद 

🍯🍯 इनका मूल तत्व हैं ।

🍎🍎 इनकी महिमा भी अनंत है । कितना भी कहें । सुने ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn



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