🌹🌹ये भगवान का ही एक स्वरूप हैं । अंश हैं । आधार या सन्धिनी शक्ति हैं
🌹🌹ये शेषनाग रूप में पृथ्वी को धारण करते हुए अपने सहस्र मुखों से सदा प्रभु गुण गान में मस्त रहते हैं
🍯🍯 ये क्षीर समुद्र शायी का एक रूप हैं । क्षीर समुद्र में इन्ही शेष नाग पर ही विष्णु शयन करते हैं ।
🛢🛢 इन्ही शेष नाग का नाम ही अनंत है । ये अनंत गुणों का अनंत मुखों से अनंत काल तक गान करते हैं इसीलिये इन्हें अनंत कहते हैं
🏺🏺ईनके अनंत मुख रूपी फण हैं
🍎🍎ये स्वयं प्रभु ही आधार शक्ति के रूप में हैं । इन पर ही शयन करते हैं प्रभु ।
🍯🍯 ये केवल शेषनाग रूप में ही नही । प्रभु की शय्या । आसन । पादुका । धाम । धाम में सब कुछ । आदि अनेक रूपों में प्रभु की सेवा करते हैं
🌋 लक्ष्मण । बलराम । नित्यानंद
🍯🍯 इनका मूल तत्व हैं ।
🍎🍎 इनकी महिमा भी अनंत है । कितना भी कहें । सुने ।
॥ जय श्री राधे ॥
॥ जय निताई ॥
लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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