[22:09, 1/7/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 4⃣5⃣
🔮एक बड़ी कम्पनी ने एक अपने कर्मचारी को
🚗 कार
🏡 फ्लैट
🙎 पी ए
दे राखी है । इसलिए कि वह कम्पनी की सेल्स को बढाये और कम्पनी के हित में काम करे।
😏 यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो उसकी कार एवम् अन्य सुविधाएं तो छिन ही जाएंगी
हो सकता है कि उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़े
🔴✔ ठीक ऐसे ही भगवान ने हमे मानव शरीर । सूर्य । चंद्र । पृथ्वी । जल । वायु । आकाश । आदि दिया
❎❌ यदि हम भी इनका प्रयोग भगवान की सेवा में नही करेंगे तो इनसे मिलने वाला सुख छीन जाएगा
💯🔵 और यदि हम इन सब का प्रयोग भगवान के सुख के लिए करेंगे तो भगवान हमे और सुख सुविधा देंगे
⛽✈ ठीक वेसे जेसे एक कम्पनी अच्छा काम करने वाले को पेट्रोल का खर्चा । ड्राईवर । और वायुयान से यात्रा करने की अनुमति देती है
💲ओर सैलरी भी बढ़ाती है । अतः लग जाना है वफादारी से
इसी में ही समझदारी है ।
💰
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[07:30, 1/8/2016] ग नीरू अरोरा खिचड़ी:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 4⃣4⃣
🌿 कर्म=पाप और पुण्य 🌿
🌹'अवश्यमेव भोक्तव्यं
कृतं कर्म शुभाशुभम '
के अनुसार शुभ =पुण्य, अशुभ =पाप का फल भोगना ही पड़ता है। चाहे पाप हो या पुण्य दोनों का आपस में एडजस्टमेंट नहीं होता।
💰जैसे 100 रुपए देने
और 50 रुपए लेने है
तो 50 रुपए देकर हिसाब बराबर हो जाता है
👤 लेकिन यहां 100 पाप भोगने पड़ेंगे। और 50 पुण्य भोगने पड़ेंगे। कुछ इस, कुछ अगले जन्म में। इन्ही पाप =पुण्य =कर्म के आधार पर ही हमारी अगली योनि का निर्धारण होता है।
👥इसी आधार पर ही सब कहते हैं कि हम अपने भाग्य का निर्माता खुद ही हैं, विधाता केवल मुनीम है, हिसाब रखता है।
😌 हां केवल अनन्य भक्त के पाप =पुण्य कभी भुंज जाते हैं =फल नहीं देते ।
🌻भुंजान एवात्मकृतं विपाकम्' लेकिन अनन्य भक्त का तो इस ओर ध्यान ही नहीं जाता और यदि चला गया तो अनन्य कहां रहा,????
🌿 त्रिपुंड 🌿
📕श्रीहरि भक्ति विलास में लिखा है - 'जिसके मस्तक पर ऊधर्व पुणड्र की बजाए त्रिपुंड दिखाई दे उसको देखने व स्पर्श करने से एक वैष्णव को वस्त्रों सही स्नान करना चाहिए।
🙌मस्तक पर दो खड़ी रेखा वाले तिलक को ऊधर्व पुणड्र और आड़ी तीन रेखा वाले तिलक को त्रिपुंड कहते हैं।
🌿मन वचन कर्म 🌿
👳🏻जो मन में होता है वही कहता है, वही करता है, वह संत होता है। सफल होता है।
🙏हम चाहते तो सम्मान है, बात करते हैं भक्ति की। काम करते हैं कुछ और।
💫सम्मान चाहे सम्मान प्राप्ति की ही बात करें, सम्मान प्राप्ति के काम करें -इनमें कोई हर्ज नहीं है।
✨मन कुछ, बात कुछ, काम कुछ, सफलता नहीं मिलेगी -बात भक्ति की हो, धन की हो, मान की हो, सम्मान की हो।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[18:52, 1/8/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 4⃣6⃣
👠👞 जूते का शो रूम 👞👠
मैं लोगों को वही दे पाउँगा जो मेरे पास है या होगा
यदि मेँ स्वय
🎈राग
😡 द्वेष
🚗 माया
💃🏻 मोह
💲 धन
🚗 विलासिता
😖 अशांति
से घिरा हूँ तो आपको
😀 प्रेम
😷 शान्ति
🔔 अनासक्ति
🙏🏻 भक्ति
कैसे दे पाउँगा । और यदि फिर भी मेँ 😎 ये सब देने की बात करता हूँ तो
😳 आपका भी कर्त्तव्य है कि आप सावधानी पूर्वक विचार करें देखें 😠समझे😇
👟👞👡👠👢👠👡👞
शो रूम जूते का । और बुकिंग
💍💍💍💍
ज्वेलरी की ।
❓कितनी बार ठगे जाओगे ❓
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 4⃣5⃣
🔮एक बड़ी कम्पनी ने एक अपने कर्मचारी को
🚗 कार
🏡 फ्लैट
🙎 पी ए
दे राखी है । इसलिए कि वह कम्पनी की सेल्स को बढाये और कम्पनी के हित में काम करे।
😏 यदि वह ऐसा नहीं करेगा तो उसकी कार एवम् अन्य सुविधाएं तो छिन ही जाएंगी
हो सकता है कि उसे नौकरी से भी हाथ धोना पड़े
🔴✔ ठीक ऐसे ही भगवान ने हमे मानव शरीर । सूर्य । चंद्र । पृथ्वी । जल । वायु । आकाश । आदि दिया
❎❌ यदि हम भी इनका प्रयोग भगवान की सेवा में नही करेंगे तो इनसे मिलने वाला सुख छीन जाएगा
💯🔵 और यदि हम इन सब का प्रयोग भगवान के सुख के लिए करेंगे तो भगवान हमे और सुख सुविधा देंगे
⛽✈ ठीक वेसे जेसे एक कम्पनी अच्छा काम करने वाले को पेट्रोल का खर्चा । ड्राईवर । और वायुयान से यात्रा करने की अनुमति देती है
💲ओर सैलरी भी बढ़ाती है । अतः लग जाना है वफादारी से
इसी में ही समझदारी है ।
💰
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[07:30, 1/8/2016] ग नीरू अरोरा खिचड़ी:
💐श्री राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 4⃣4⃣
🌿 कर्म=पाप और पुण्य 🌿
🌹'अवश्यमेव भोक्तव्यं
कृतं कर्म शुभाशुभम '
के अनुसार शुभ =पुण्य, अशुभ =पाप का फल भोगना ही पड़ता है। चाहे पाप हो या पुण्य दोनों का आपस में एडजस्टमेंट नहीं होता।
💰जैसे 100 रुपए देने
और 50 रुपए लेने है
तो 50 रुपए देकर हिसाब बराबर हो जाता है
👤 लेकिन यहां 100 पाप भोगने पड़ेंगे। और 50 पुण्य भोगने पड़ेंगे। कुछ इस, कुछ अगले जन्म में। इन्ही पाप =पुण्य =कर्म के आधार पर ही हमारी अगली योनि का निर्धारण होता है।
👥इसी आधार पर ही सब कहते हैं कि हम अपने भाग्य का निर्माता खुद ही हैं, विधाता केवल मुनीम है, हिसाब रखता है।
😌 हां केवल अनन्य भक्त के पाप =पुण्य कभी भुंज जाते हैं =फल नहीं देते ।
🌻भुंजान एवात्मकृतं विपाकम्' लेकिन अनन्य भक्त का तो इस ओर ध्यान ही नहीं जाता और यदि चला गया तो अनन्य कहां रहा,????
🌿 त्रिपुंड 🌿
📕श्रीहरि भक्ति विलास में लिखा है - 'जिसके मस्तक पर ऊधर्व पुणड्र की बजाए त्रिपुंड दिखाई दे उसको देखने व स्पर्श करने से एक वैष्णव को वस्त्रों सही स्नान करना चाहिए।
🙌मस्तक पर दो खड़ी रेखा वाले तिलक को ऊधर्व पुणड्र और आड़ी तीन रेखा वाले तिलक को त्रिपुंड कहते हैं।
🌿मन वचन कर्म 🌿
👳🏻जो मन में होता है वही कहता है, वही करता है, वह संत होता है। सफल होता है।
🙏हम चाहते तो सम्मान है, बात करते हैं भक्ति की। काम करते हैं कुछ और।
💫सम्मान चाहे सम्मान प्राप्ति की ही बात करें, सम्मान प्राप्ति के काम करें -इनमें कोई हर्ज नहीं है।
✨मन कुछ, बात कुछ, काम कुछ, सफलता नहीं मिलेगी -बात भक्ति की हो, धन की हो, मान की हो, सम्मान की हो।
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[18:52, 1/8/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻
📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚
क्रम संख्या 4⃣6⃣
👠👞 जूते का शो रूम 👞👠
मैं लोगों को वही दे पाउँगा जो मेरे पास है या होगा
यदि मेँ स्वय
🎈राग
😡 द्वेष
🚗 माया
💃🏻 मोह
💲 धन
🚗 विलासिता
😖 अशांति
से घिरा हूँ तो आपको
😀 प्रेम
😷 शान्ति
🔔 अनासक्ति
🙏🏻 भक्ति
कैसे दे पाउँगा । और यदि फिर भी मेँ 😎 ये सब देने की बात करता हूँ तो
😳 आपका भी कर्त्तव्य है कि आप सावधानी पूर्वक विचार करें देखें 😠समझे😇
👟👞👡👠👢👠👡👞
शो रूम जूते का । और बुकिंग
💍💍💍💍
ज्वेलरी की ।
❓कितनी बार ठगे जाओगे ❓
🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻
📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से
📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
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