Monday, 18 January 2016

[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अधिकारी भेद

8 वर्ष के बालक को
समय पर भोजन न मिलने पर उसे विवाह करने की सलाह देना उचित नहीं ।

इसी प्रकार भजन भक्ति की सलाह भी लेवल के अनुसार शास्त्र में बताई गई है

एक समस्या के अनेक समाधान स्तर । परिस्थिति अनुसार हैं
तेचनिकल भाषा में इसे
अधिकारी भेद कहते है

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम । जयश्रीराधे जय निताई
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

🌴घोष दुन्दुभि करके बोलें इक स्वर सबै पुराण
🌱श्रीवन कृष्णास्वादन के हित राधा निधि महान।
🌴शिरोमणि सब ही रमणिन महं मूरति प्रेमल गात
🌱इक पल छांड़ि इहै प्रिय--आँगन कृष्ण कहूँ नहिं जात॥

🌳"श्रीराधा श्रीवृंदावन में हैं" यह परम वाक्य रूप नगाड़ा पुराणों में बज रहा है। अति अनुराग मूर्ति श्रीराधा के उस प्रसिद्ध आँगन(श्रीवृंदावन) को छोड़कर श्रीराधा वाक्य वशवर्ती श्रीहरि को फिर तू कहाँ पाएगा ?

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: [17:17, 1/17/2016] ग Asr Vinay Varsha:

radhe shamji ..🌺🍀🌹 esa ashirwad deve nam lete ankhen sjal ho jave 😂😂🍀

[17:39, 1/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:

जी । मंगाता हूँ 1 किलो
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🍃एक बार तुलसीदास जी से
किसी ने पूछा :-

कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भी कोई फल मिलता है ?

तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहा-

तुलसी मेरे राम को
रीझ भजो या खीज ।
भौम पड़ा जामे सभी
उल्टा सीधा बीज ॥

अर्थात् :

भूमि में जब बीज बोये जाते हैं तो यह नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े हैं या सीधे पर फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है, इसी प्रकार नाम सुमिरन कैसे भी किया जाये उसके सुमिरन का फल अवश्य ही मिलता है ।।🚩🚩🚩👌
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: [17:40, 1/17/2016]



ग Asr Vinay Varsha:

dam kya dena hoga

[17:42, 1/17/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:

लोभ ।

[17:50, 1/17/2016] ग Asr Vinay Varsha:

lobh abhi sansar me he 90/10 ratio he imandari se vaishnavo ki kripa se sambhav  ho sakta he isliye app ko prathna ki he🙏🏿
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जुम्मा जुम्मा चार दिन
हुआ तनिक अहसास
प्रवचन देने लग गये
बन गये दासाभास ।
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



बेटी मेरी राधिका
सरल सहज परवीन
वाणी इसकी धन्य हुई
खूब बजाई बीन
झटक झटक झटके लिए
सध गई है आवाज़
बात कहत रूंधे गला
नाटक का नही काज
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



तेरे पास
जो है
उसमे सब्र कर
उसकी क़द्र कर

वरना तो
इतने बड़े
आकाश के पास
खुद की ज़मीं
नहीं

🗻🏡
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: गंगा मैया में जब
तक ये पानी रहे
मेरे मोहन तेरी
मेहरबानी रहे ।
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से निकले

♻श्री गंगा जी का तट हो,
यमुना का वंशीवट हो
मेरा सांवरा निकट हो
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻पीताम्बरी कसी हो
छवि मन में यह बसी हो
होठों पे कुछ हसी हो
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻श्री वृन्दावन का स्थल हो
मेरे मुख में तुलसी दल हो
विष्णु चरण का जल हो
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻जब कंठ प्राण आवे
कोई रोग ना सतावे
यम दर्शना दिखावे
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻उस वक़्त जल्दी आना
नहीं श्याम भूल जाना
राधा को साथ लाना
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻सुधि होवे नाही तन की
तैयारी हो गमन की
लकड़ी हो ब्रज के वन की
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻एक भक्त की है अर्जी
खुदगर्ज की है गरजी
आगे तुम्हारी मर्जी
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

♻ये नेक सी अरज है
मानो तो क्या हरज है
कुछ आप का फरज है
जब प्राण तन से निकले
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले

🙏🏻🙌🏻🙏🏻
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌿🌸◆🌷◆🌸🌿✽¡•

        1⃣8⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
              सोमवार पौष
             शुक्लपक्ष नवमी

                  •🌸•
               ◆~🌷~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🌷गौरांग महाप्रभु 🌷★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
              ◆~🌷~◆
                  •🌸•

   ❗जगाई माधाई उद्धार❗

🌿       कृष्ण नाम सुनते ही माधाई ने शराब की सुराही प्रभु के मस्तक पर दे मारी l माथा फट गया और रक्तधारा बहने लगी l श्री नित्यानंद जमे रहे वहाँ और फिर बोले एक बार कृष्ण कहो l माधाई फिर मारने को आगे बढ़ा किन्तु जागाई ने हाथ पकड़ लिया और कहा इसको मारकर क्या लाभ होगा तुम्हें l

🌿     लोगो ने श्री नित्यानंद प्रभु के मस्तक फूटने की बात श्री गौरांग से कही l दौड़े आये वहां और निताई की रक्तधारा देखते ही क्रोधित हो उठे और भूल गए अपने आप को l

      ¶💫चक्र चक्र कह ज्योहीं हाथ उठाया सुदर्शन प्रलय की प्रचंड अग्नि की तरह जाना चाहता था l काँप उठे जन्म जन्म के पापी इधर श्री निताई जोर से चिल्लाये प्रभो मुझे किसी ने नहीं मारा आप मुझे इन दोनों के प्राणों की भिक्षा दो l चक्र वहीँ स्तम्भित हो गया l 💫¶

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
       ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
            •🌷★🌷•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🌷श्रीकृष्णायसमर्पणं🌷•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •🌷★🌷•
         ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
   
•¡✽🌿🌸◆🌷◆🌸🌿✽¡•
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अधिकारी भेद

8 वर्ष के बालक को
समय पर भोजन न मिलने पर उसे विवाह करने की सलाह देना उचित नहीं ।

इसी प्रकार भजन भक्ति की सलाह भी लेवल के अनुसार शास्त्र में बताई गई है

एक समस्या के अनेक समाधान स्तर । परिस्थिति अनुसार हैं
तेचनिकल भाषा में इसे
अधिकारी भेद कहते है

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम । जयश्रीराधे जय निताई
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्रीराधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 5⃣4⃣

🌿 अनन्यता 🌿

💧अनन्यता हृदय में विराजने वाला तत्व है। इसे प्रकाशित किया जाए तो कट्टरता बन जाती है।

👿कट्टरता एक नेगेटिव शब्द् है -इसमें से विरोधात्मक - नकारात्मक  वाइब्रेशन निकलती हैं ।किसी भी एक के लिए कट्टर होते  ही हम अनेक के विरोधी हो जाते हैं ।

💓 अतः अनन्यता को हृदय में रखते हुए अन्य सभी मत- मतान्तरों का सम्मान होना चाहिए। अपितु अपमान तो किसी का होना ही नहीं है।

💦'अनन्यता '  में निष्ठा एक में, अपमान किसी का भी नहीं । कट्टरता में अपनी 'निष्ठा' भी एक। और प्रयास यह कि भी सभी की निष्ठा इसी में रहे ।दूसरे के सम्मान का तो प्रशन ही नहीं।

📝📝📝📝📝📝📝📝

🌿आप बहुत अच्छे हैं🌿

👨🏻आप निश्चित ही एक अच्छे व्यक्ति हैं। दिन में एक बार अवश्य अपने इस अच्छे व्यक्ति से बात करें और पूछें की आज इस अच्छे व्यक्ति ने क्या-क्या अच्छे या बुरे काम किए ???

📝📝📝📝📝📝📝📝

🌿रा +धा !! 🌿

🙌ब्रहम वैवर्त पुराण में एक बहुत अच्छी व्याख्या प्राप्त हुई है।

रा = रासविहारी की रास में जो

धा = धावित हुई यानी भागकर आयी, वह राधा ।

🌹अहह ! जय हो !
जय श्री राधे !!


 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



मेरे देखते देखते ही
गुरु दीक्षा के बाद इनकी स्थिति में बहुत सुधार आया है । प्रभु सब पर कृपा करें । ऐसे दिव्य गुरुदेव सबको मिलें ।
दीक्षा से क्या होता है इसका उदाहरण हैं किरण दी
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: हाँ तो बात चल रही थी की गुरुदेव की कृपा क्या होती ह । इसको बताया नही जा सकता । महसूस किया जा सकता है । अद्भुत सा फीलिंग होती है ।
[20:13, 1/18/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे.....8⃣

✨🌹उसी यात्रा क्रम मे श्रीमञित्यानन्दप्रभु से श्रीमाधेन्द्रपुरी का मिलन हुआ। श्रीपुरी जी के दर्शन करते ही श्रीनिताईचाँद मूर्च्छित होकर गिर पड़े, क्योंकि श्री पुरी है ही कृष्ण प्रेममय-कलेवर। श्रीकृष्ण-रस को छोड़ कर उनका कुछ आहार नहीं है। श्रीकृष्ण श्रीपुरी के शरीर मे निरन्तर विहार करते है। श्रीनिताईचाँद का दर्शन करते ही श्रीपुरी भी अपने को सम्भाल न सके, बेसुध हो गये।-इसलिए तो बार-बार श्रीमन्महाप्रभु कहा करते-

🌿"भक्तिरसे आदि माधवेन्द्र सूत्रधार"।

✨🌹भक्तिरस के आदि-सूत्रधार है श्रीमाधवेन्द्रपुरी। दोनों श्रीकृष्ण-प्रेमियों को बेसुध देखकर श्रीईश्वरपुरी आदि शिष्यगण प्रेमाश्रुओं मे नहा गए। थोड़ी देर मे बाहर की सुध आयी, तो दोनों एक-दूसरे को गले लगाकर बहुत देर तक प्रेम मे रोते रहे। अश्रु, कम्प-स्वेद आदि सात्विक विकारों से दोनों का शरीर विभूषित हो रहा है। दोनों ने अपनी यात्रा की सफलता इस मिलन मे मानी। अनेक दिन तक दोनों एक साथ रहे और श्रीकृष्णकथा के परमानन्द मे दिन-रात बिताने लगे। कब दिन हुआ, कब रात-कोई नहीं जानता। श्रीनिताईचाँद के आगे जाने पर श्रीपुरी जी भी व्याकुल हो उठे। दोनों का विच्छेद अकथनीय है।

✨🌹श्रीमाधवेन्द्रपुरी जी दूध को छोड़कर और कुछ भी नहीं खाते-पीते और वह भी अयाचक-वृत्ति मे रहते। वे दूध भी किसी से मांगते नहीं अपने-आप आकर कोई दे देता, तो ग्रहण करते। एक बार श्रीपुरी गोस्वामी भ्रमण करते-करते व्रजमण्डल मे आए। श्रीगिरिराज की परिक्रमा कर रहे सन्ध्या हो गयी, गोविंदकुण्ड पर आकर स्नान किया और एक वृक्ष के नीचे बैठ अपने इष्टदेव का ध्यान करने लगे। वहाँ ही रात काटने का विचार किया।

✏क्रमश......9⃣

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

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