[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
ये एक मन्त्र की तरह होता है
इनका ऐसे मूंगफली की तरह वितरण करने से मूंगफली जिस ही फल मिलता है । अतः मर्यादा आवश्यक है । ये तो समय की मांग ह जो ट्रांसफर कर रहे हैं । अन्यथा तो ये आमने सामने शुद्ध आसन स्नान से प्रदान करने की चीजें हैं ।
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
शास्त्र
में गलत कह सकता हूँ
आप गलत कह सकते हो
यहाँ तक कि एक व्यवसायी कथा वाचक गलत कह सकता है
लेकिन शास्त्र वचन कभी भी गलत नही होते । विशेषकर वे शास्त्र जो अनुभव शील संत । आचार्यगण द्वारा प्रस्तुत हैं
किसी समय में प्रेस केवल विद्वान ही लगाते थे । आज तो एक व्यवसाय है । और कोई भी लाख पचास हज़ार रूपये में ग्रन्थ छापा लेता है । ऐसे ग्रन्थ शास्त्र नही है ।
व्यक्ति को लिहाज़ हो सकता है । शास्त्र ने बेबाक बात कहानी है । अतः शास्त्र वचन त्रिकाल सत्य होता है । कल भी आज भी कल भी ।
ग्रन्थ प्रभु के विग्रह हैं । शास्त्र रक्षा हेतु ही प्रलय काल में प्रभु मत्स्य अवतार लेते हैं ।
आज यदि समझ में न आये तो कल आएंगे । हैं ये सत्य ही । साथ ही अपने मन से बोलने वाले को भय रहता है । लेकिन शास्त्र से बोलने वाला न खुद बोलता है न भय होता है । क्योंकि वो नही शास्त्र बोल रहे हैं ।
शास्त्र । ग्रन्थ कृपा करें कि हममे भी शास्त्र के प्रति निष्ठा हो । शास्त्र हमारे हृदयंगम हों
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे । जय निताई
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡✽🌿🌸◆🌷◆🌸🌿✽¡•
1⃣9⃣*1⃣*1⃣6⃣
मंगलवार पौष
शुक्लपक्ष दशमी
•🌸•
◆~🌷~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
★🌷गौरांग महाप्रभु 🌷★
◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
◆~🌷~◆
•🌸•
❗जगाई माधाई उद्धार❗
🌿 करुणामय की करुणा तो कुछ भी विचार नहीं करती l श्री निताई ने श्री गौरांग को उनके स्वरूप की याद दिलाई l आप तो प्रेम दाता हो दानवों का नहीं दानवता का संहार करने आये हो l श्री गौरांग सहम गये l जागाई माधाई श्री निताई की ओर आंसू भरी निगाहों से देख रहे थे lचैतन्य महाप्रभु बोले प्राण निताई इतनी करुणा क्या चाहते हो आप ?श्री निताई बोले इनका उद्धार l
🌿 प्रभु ने शरण देकर कानों को कृतार्थ कर दिया l दोनों से जन्म जन्मान्तरों के पापों का संकल्प जल लेकर पान कर गए l सर्वपाप विमोचन कर अपने परिकर में शामिल कर लिया उन्हें lदोनों परम वैष्णव हो गये l मानो सब जगत जीवों को हरि हरि बोल उच्चारण कर प्रेरणा दे रहे थे l ओ जगत के दुराचारी लोगों आओ! श्री गौरांग की शरण में ऐसा निर्विकार करुणामय ठाकुर और कहीं नहीं पाओगे l
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🌷★🌷•
•🌿सुप्रभात🌿•
•🌷श्रीकृष्णायसमर्पणं🌷•
•🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
•🌷★🌷•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•¡✽🌿🌸◆🌷◆🌸🌿✽¡•
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
साधुओं को भजन के लिए
भवन नही चाहिए
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कृपया ध्यान दें 😳 कि परम पवित्र श्रीवृन्दावन धाम में कहीं आप अपनी गन्दगी तो नहीं फैला रहे ।
ये विदेशी भक्त उसी गन्दगी को सफाई करके हमें क्या सन्देश दे रहें हैं ।
क्या हम भक्त कहलाने लायक भी हैं ?
मुझे तो शर्म आती है ........ ।
क्या आपको भी ........ ।
तो फिर क्या करें ?
कम से कम आगे से अपने साथ लिए गए किसी भी प्लास्टिक की वस्तु को वहां की धरती पर फैंक कर पाप के भागी न बनें । उसको अपने साथ अपनी गाड़ी में अथवा बैग में लेकर पुरे व्रज मण्डल से बाहर फैंकिये ।
धन्यवाद
ये एक मन्त्र की तरह होता है
इनका ऐसे मूंगफली की तरह वितरण करने से मूंगफली जिस ही फल मिलता है । अतः मर्यादा आवश्यक है । ये तो समय की मांग ह जो ट्रांसफर कर रहे हैं । अन्यथा तो ये आमने सामने शुद्ध आसन स्नान से प्रदान करने की चीजें हैं ।
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
शास्त्र
में गलत कह सकता हूँ
आप गलत कह सकते हो
यहाँ तक कि एक व्यवसायी कथा वाचक गलत कह सकता है
लेकिन शास्त्र वचन कभी भी गलत नही होते । विशेषकर वे शास्त्र जो अनुभव शील संत । आचार्यगण द्वारा प्रस्तुत हैं
किसी समय में प्रेस केवल विद्वान ही लगाते थे । आज तो एक व्यवसाय है । और कोई भी लाख पचास हज़ार रूपये में ग्रन्थ छापा लेता है । ऐसे ग्रन्थ शास्त्र नही है ।
व्यक्ति को लिहाज़ हो सकता है । शास्त्र ने बेबाक बात कहानी है । अतः शास्त्र वचन त्रिकाल सत्य होता है । कल भी आज भी कल भी ।
ग्रन्थ प्रभु के विग्रह हैं । शास्त्र रक्षा हेतु ही प्रलय काल में प्रभु मत्स्य अवतार लेते हैं ।
आज यदि समझ में न आये तो कल आएंगे । हैं ये सत्य ही । साथ ही अपने मन से बोलने वाले को भय रहता है । लेकिन शास्त्र से बोलने वाला न खुद बोलता है न भय होता है । क्योंकि वो नही शास्त्र बोल रहे हैं ।
शास्त्र । ग्रन्थ कृपा करें कि हममे भी शास्त्र के प्रति निष्ठा हो । शास्त्र हमारे हृदयंगम हों
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे । जय निताई
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡✽🌿🌸◆🌷◆🌸🌿✽¡•
1⃣9⃣*1⃣*1⃣6⃣
मंगलवार पौष
शुक्लपक्ष दशमी
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◆!🌿जयनिताई🌿!◆
★🌷गौरांग महाप्रभु 🌷★
◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
◆~🌷~◆
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❗जगाई माधाई उद्धार❗
🌿 करुणामय की करुणा तो कुछ भी विचार नहीं करती l श्री निताई ने श्री गौरांग को उनके स्वरूप की याद दिलाई l आप तो प्रेम दाता हो दानवों का नहीं दानवता का संहार करने आये हो l श्री गौरांग सहम गये l जागाई माधाई श्री निताई की ओर आंसू भरी निगाहों से देख रहे थे lचैतन्य महाप्रभु बोले प्राण निताई इतनी करुणा क्या चाहते हो आप ?श्री निताई बोले इनका उद्धार l
🌿 प्रभु ने शरण देकर कानों को कृतार्थ कर दिया l दोनों से जन्म जन्मान्तरों के पापों का संकल्प जल लेकर पान कर गए l सर्वपाप विमोचन कर अपने परिकर में शामिल कर लिया उन्हें lदोनों परम वैष्णव हो गये l मानो सब जगत जीवों को हरि हरि बोल उच्चारण कर प्रेरणा दे रहे थे l ओ जगत के दुराचारी लोगों आओ! श्री गौरांग की शरण में ऐसा निर्विकार करुणामय ठाकुर और कहीं नहीं पाओगे l
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🌷★🌷•
•🌿सुप्रभात🌿•
•🌷श्रीकृष्णायसमर्पणं🌷•
•🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
•🌷★🌷•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
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[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
साधुओं को भजन के लिए
भवन नही चाहिए
[16:18, 1/19/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
कृपया ध्यान दें 😳 कि परम पवित्र श्रीवृन्दावन धाम में कहीं आप अपनी गन्दगी तो नहीं फैला रहे ।
ये विदेशी भक्त उसी गन्दगी को सफाई करके हमें क्या सन्देश दे रहें हैं ।
क्या हम भक्त कहलाने लायक भी हैं ?
मुझे तो शर्म आती है ........ ।
क्या आपको भी ........ ।
तो फिर क्या करें ?
कम से कम आगे से अपने साथ लिए गए किसी भी प्लास्टिक की वस्तु को वहां की धरती पर फैंक कर पाप के भागी न बनें । उसको अपने साथ अपनी गाड़ी में अथवा बैग में लेकर पुरे व्रज मण्डल से बाहर फैंकिये ।
धन्यवाद
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