[16:57, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
•¡✽🌿🌸◆🎈◆🌸🌿✽¡•
2⃣2⃣*1⃣*1⃣6⃣
शुक्रवार पौष
शुक्लपक्ष त्रयोदशी
•🌸•
◆~🎈~◆
◆!🌿जयनिताई🌿!◆
★🎈गौरांग महाप्रभु 🎈★
◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
◆~🎈~◆
•🌸•
❗वैष्णव अपराध गुरुतत्व❗
🌿 श्री अद्वैताचार्य के पास नित्य श्री विश्वरूप उठते बैठते शास्त्र विचार और अध्ययन करते थे l उन्हें भगवद् तत्व का ज्ञान हो गया था l श्री विश्वरूप के घर त्यागकर चले जाने से शची माता व्याकुल होकर बोली इस अद्वैत ने मेरे पुत्र को बिगाड़ दिया है l लोगो के लिए यह अद्वैत होगा पर मेरे लिये तो यह द्वैत है l बस इसको प्रभु ने शची माता का वैष्णव अपराध मान लिया l
🌿 सब भक्तों ने यह बात श्री अद्वैत प्रभु से बतायी l श्री अद्वैत तो रो उठे बोले माता शची तो माँ यशोदा है जगत जननी हैं मैं तो उसके चरणों की धूलि के समान हूँ lयह सुनकर माता शची ने उनकी चरणधूलि लेकर मस्तक पर धारण की l तब श्री चैतन्य महाप्रभु ने माता शची को प्रेम भक्ति प्रदान कर जगत को शिक्षा दी कि भक्तों के प्रति जिसका अपराध है वह कभी भी श्री भगवान की प्रेम भक्ति प्राप्त नहीं कर सकता l
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•🎈★🎈•
•🌿सुप्रभात🌿•
•🎈श्रीकृष्णायसमर्पणं🎈•
•🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
•🎈★🎈•
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
•¡✽🌿🌸◆🎈◆🌸🌿✽¡•
[16:57, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
महाजनो येन
गतः स पन्थः
अर्थात जब गुरुदेव आश्रय न हो
शास्त्र अध्ययन न हो
और असमंजस हो तो
महाजन अर्थात आपने से श्रेष्ठजन
अपने बड़े । अपने से पूर्व वालों ने
जो रास्ता अपनाया हो । उसी मार्ग पर चलना चाहिए ।
बहुत कम कभी कभी कोई
नया मार्ग दिखा कर महाजन भी बन जाता है । लेकिन युगों में कोई एक । आप हम तो।निश्चित ही नही ।
इसलिए कहते हैं कि या तो लाइन में लग जाओ । या अपनी अलग लाइन बना लो । लोग आपके पीछे लग जाएँ ।
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[16:57, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
आप सबके लिए प्रश्न है अगर किसी ने बता दिया तो उसको भगवान के दर्शन काराउंगी।
राजापरीक्षित के छोटे भाई और बड़े भाई का नाम बताइये?
मेरे पास आया 😳
मेने उत्तर दिया बहिन जी को
भगवान श्री कृष्ण
💃🏻 बोली । सही जवाब । बोली कैसे ।
मेने कहाः
परीक्षित की रक्षा हेतु
उत्तरा के गर्भ में परीक्षित के बाद में गए । छोटे हुए ।
पहले निकल आये । बड़े हुए ।
💃🏻 बोली बिलकुल ठीक
👳🏻 मेने कहा । अब भगवान के दर्शन कराओ ।
💃🏻 बोली । सिंपल । तैयार हो जाओ । 5 बजे आती हूँ । साथ चलेंगे राधारमण जी 😳
सूना तो था की छलिया के भक्त भी छलिया होतेहैं । आज परिचय भी मिल गया
जय श्री राधे । जय निताई
[16:59, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा] 📘
🐚 (ब्रज के सन्त) 🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨
✏क्रमश से आगे....1⃣1⃣
✨🌹श्रीपुरी जागे और अति दु:खी हुए-"हाय ! मैं श्रीकृष्ण को पहचान न सका, दूध देकर चले गये। अब स्वप्न मे आकर जो आदेश कर गये है, उसे मुझे पालन करना चाहिये।" यह विचार कर श्रीपुरी ग्राम मे गए और सब वृतान्त कह सुनाया। सब लोग कुठार, कुदाल ले-लेकर इनके साथ उस स्थान पर आए। कुंज को काटा बड़े ध्यान से। देखा, एक श्रीविग्रह मिट्टी से ढका पड़ा है। मिट्टी हटाई और अनेक लोगों ने मिलकर उस अति भारी-विशाल श्रीविग्रह को कुंज से बाहर निकाला। गिरिराज के ऊपर ले गये नीचे, अगल-बगल मे पत्थर लगाकर श्रीगोपाल को पत्थरों के उस सिंहासन पर विराजमान किया। यह प्राकटय् तिथि-1546, आषाढ़-पूर्णिमा।
✨🌹फिर क्या था-एक आनन्द की लहर चल गई चारों ओर। हजारों नवीन घड़े गोविन्द कुण्ड मे से भर-भरकर होने लगा ब्राह्मणों द्वारा अभिषेक और पूजन। अनेक वाद्य बजने लगे। नृत्य होने लगा। महा-अभिषेक के बाद भोग की सामग्री इकट्ठी होने लगी। असंख्य व्यंजन-दूध, दही, मट्ठा, रोटी, दाल, पूरी, पकवान, पायस, अनेक प्रकार की मिठाईयां चारों ओर सजा कर लगाई गई। इस अन्नकूट को श्रीपुरी ने श्रीगोपाल को समर्पण किया। श्रीगोपाल भी अनेक दिन के भूखे है, सब व्यंजन उन्होंने प्रेम से पाये। परन्तु उनके हस्त स्पर्श से व्यंजन ज्यों के त्यों फिर प्रसादरूप मे रखे रहे। सब ने प्रसाद ग्रहण किया। इस प्रकार सवेरे-शाम श्रीगोपाल का उत्सव होने लगा। श्रीमाधवेन्द्र यति के नाम पर गांव का नाम पड़ा यतिपुरा(जतीपुरा) एवं तब से अन्नकूट परम्परा चालू हो गयी।
✨🌹चारों ओर से दर्शनों के लिये लोग आने लगे। अनेक धन, मणि-मुक्ता, सोना-चाँदी भेंट मे आने लगा। एक क्षत्रिय सेठ रामदास जी ने श्रीगोपाल जी का मन्दिर निर्माण करा दिया।
✨🌹सेवा होने लगी राजोपचार से। गौड़ देश से दो बंगाली वैरागी ब्राह्मण भी वहाँ दर्शन करने पहुंचे। श्रीमाधवेन्द्रपुरी जी ने कृष्ण-मन्त्र दीक्षा देकर उन दो विरक्त ब्राह्मणों को अपने शिष्य रूप मे अंगीकार किया और श्रीगोपाल जी की सेवा का भार उन्हें सौंप दिया।
🙌श्री गोवर्धन नाथ की जय हो🙌
✏क्रमश......1⃣2⃣
⚠अक्षरश: लिखित सेवा
🐚🌹*ब्रज के संत*
🍂'श्री हरि नाम प्रैस-वृन्दावन'
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
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2⃣2⃣*1⃣*1⃣6⃣
शुक्रवार पौष
शुक्लपक्ष त्रयोदशी
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◆!🌿जयनिताई🌿!◆
★🎈गौरांग महाप्रभु 🎈★
◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
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❗वैष्णव अपराध गुरुतत्व❗
🌿 श्री अद्वैताचार्य के पास नित्य श्री विश्वरूप उठते बैठते शास्त्र विचार और अध्ययन करते थे l उन्हें भगवद् तत्व का ज्ञान हो गया था l श्री विश्वरूप के घर त्यागकर चले जाने से शची माता व्याकुल होकर बोली इस अद्वैत ने मेरे पुत्र को बिगाड़ दिया है l लोगो के लिए यह अद्वैत होगा पर मेरे लिये तो यह द्वैत है l बस इसको प्रभु ने शची माता का वैष्णव अपराध मान लिया l
🌿 सब भक्तों ने यह बात श्री अद्वैत प्रभु से बतायी l श्री अद्वैत तो रो उठे बोले माता शची तो माँ यशोदा है जगत जननी हैं मैं तो उसके चरणों की धूलि के समान हूँ lयह सुनकर माता शची ने उनकी चरणधूलि लेकर मस्तक पर धारण की l तब श्री चैतन्य महाप्रभु ने माता शची को प्रेम भक्ति प्रदान कर जगत को शिक्षा दी कि भक्तों के प्रति जिसका अपराध है वह कभी भी श्री भगवान की प्रेम भक्ति प्राप्त नहीं कर सकता l
🌿 उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
क्रमशः........
✏ मालिनी
¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
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•🌿सुप्रभात🌿•
•🎈श्रीकृष्णायसमर्पणं🎈•
•🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
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¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
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[16:57, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
महाजनो येन
गतः स पन्थः
अर्थात जब गुरुदेव आश्रय न हो
शास्त्र अध्ययन न हो
और असमंजस हो तो
महाजन अर्थात आपने से श्रेष्ठजन
अपने बड़े । अपने से पूर्व वालों ने
जो रास्ता अपनाया हो । उसी मार्ग पर चलना चाहिए ।
बहुत कम कभी कभी कोई
नया मार्ग दिखा कर महाजन भी बन जाता है । लेकिन युगों में कोई एक । आप हम तो।निश्चित ही नही ।
इसलिए कहते हैं कि या तो लाइन में लग जाओ । या अपनी अलग लाइन बना लो । लोग आपके पीछे लग जाएँ ।
समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[16:57, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
आप सबके लिए प्रश्न है अगर किसी ने बता दिया तो उसको भगवान के दर्शन काराउंगी।
राजापरीक्षित के छोटे भाई और बड़े भाई का नाम बताइये?
मेरे पास आया 😳
मेने उत्तर दिया बहिन जी को
भगवान श्री कृष्ण
💃🏻 बोली । सही जवाब । बोली कैसे ।
मेने कहाः
परीक्षित की रक्षा हेतु
उत्तरा के गर्भ में परीक्षित के बाद में गए । छोटे हुए ।
पहले निकल आये । बड़े हुए ।
💃🏻 बोली बिलकुल ठीक
👳🏻 मेने कहा । अब भगवान के दर्शन कराओ ।
💃🏻 बोली । सिंपल । तैयार हो जाओ । 5 बजे आती हूँ । साथ चलेंगे राधारमण जी 😳
सूना तो था की छलिया के भक्त भी छलिया होतेहैं । आज परिचय भी मिल गया
जय श्री राधे । जय निताई
[16:59, 1/22/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:
🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
🔻जयगौर🔻
📘 [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा] 📘
🐚 (ब्रज के सन्त) 🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨
✏क्रमश से आगे....1⃣1⃣
✨🌹श्रीपुरी जागे और अति दु:खी हुए-"हाय ! मैं श्रीकृष्ण को पहचान न सका, दूध देकर चले गये। अब स्वप्न मे आकर जो आदेश कर गये है, उसे मुझे पालन करना चाहिये।" यह विचार कर श्रीपुरी ग्राम मे गए और सब वृतान्त कह सुनाया। सब लोग कुठार, कुदाल ले-लेकर इनके साथ उस स्थान पर आए। कुंज को काटा बड़े ध्यान से। देखा, एक श्रीविग्रह मिट्टी से ढका पड़ा है। मिट्टी हटाई और अनेक लोगों ने मिलकर उस अति भारी-विशाल श्रीविग्रह को कुंज से बाहर निकाला। गिरिराज के ऊपर ले गये नीचे, अगल-बगल मे पत्थर लगाकर श्रीगोपाल को पत्थरों के उस सिंहासन पर विराजमान किया। यह प्राकटय् तिथि-1546, आषाढ़-पूर्णिमा।
✨🌹फिर क्या था-एक आनन्द की लहर चल गई चारों ओर। हजारों नवीन घड़े गोविन्द कुण्ड मे से भर-भरकर होने लगा ब्राह्मणों द्वारा अभिषेक और पूजन। अनेक वाद्य बजने लगे। नृत्य होने लगा। महा-अभिषेक के बाद भोग की सामग्री इकट्ठी होने लगी। असंख्य व्यंजन-दूध, दही, मट्ठा, रोटी, दाल, पूरी, पकवान, पायस, अनेक प्रकार की मिठाईयां चारों ओर सजा कर लगाई गई। इस अन्नकूट को श्रीपुरी ने श्रीगोपाल को समर्पण किया। श्रीगोपाल भी अनेक दिन के भूखे है, सब व्यंजन उन्होंने प्रेम से पाये। परन्तु उनके हस्त स्पर्श से व्यंजन ज्यों के त्यों फिर प्रसादरूप मे रखे रहे। सब ने प्रसाद ग्रहण किया। इस प्रकार सवेरे-शाम श्रीगोपाल का उत्सव होने लगा। श्रीमाधवेन्द्र यति के नाम पर गांव का नाम पड़ा यतिपुरा(जतीपुरा) एवं तब से अन्नकूट परम्परा चालू हो गयी।
✨🌹चारों ओर से दर्शनों के लिये लोग आने लगे। अनेक धन, मणि-मुक्ता, सोना-चाँदी भेंट मे आने लगा। एक क्षत्रिय सेठ रामदास जी ने श्रीगोपाल जी का मन्दिर निर्माण करा दिया।
✨🌹सेवा होने लगी राजोपचार से। गौड़ देश से दो बंगाली वैरागी ब्राह्मण भी वहाँ दर्शन करने पहुंचे। श्रीमाधवेन्द्रपुरी जी ने कृष्ण-मन्त्र दीक्षा देकर उन दो विरक्त ब्राह्मणों को अपने शिष्य रूप मे अंगीकार किया और श्रीगोपाल जी की सेवा का भार उन्हें सौंप दिया।
🙌श्री गोवर्धन नाथ की जय हो🙌
✏क्रमश......1⃣2⃣
⚠अक्षरश: लिखित सेवा
🐚🌹*ब्रज के संत*
🍂'श्री हरि नाम प्रैस-वृन्दावन'
🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹
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