Thursday, 21 January 2016

[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

किसको दिखाना चाहते हैं हम अपनी सुंदरता

जो आपके अपने हैं उन्हें तो आप वैसे ही प्यारे लगते हैं

दूसरों को दिखाना सच्चरित्रता तो नहीं कहा जाएगा

सावधान

जय जय श्री राधे
जय श्री निताई
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



एक दिन सुबह पार्क में हरिनाम जप करते समय एक जानकार बूढ़े व्यक्ति ने व्यंगात्मक लहजे में कहा,"बेटा ये उम्र माला करने की नहीं मेहनत करके खाने कमाने और जिम्मेदारी उठाने की है। ये काम तो फिलहाल बुढ़ापे के लिए छोड़ दो।"
मैंने पूछा,"आप कितनी माला करते हैं ?"
वो सकपकाकर बोले,"मैं नहीं करता मैं तो अपने जीवन से संतुष्ट हूँ। "
मैंने कहा,"संतुष्ट तो गधा भी होता है जीवन से क्योंकि वो जानता ही नहीं की संतुष्टि का अर्थ क्या है। वो सोचता है की दिन भर मेहनत करके शाम को २ सूखी रोटी मिल जाना ही संतुष्टि है। उसको नहीं पता की अगर वो मालिक के चुंगल से निकल जाए तो सारे हरे भरे मैदान उसके लिए मुफ्त उपलब्ध हैं। इसलिए गधे सामान व्यक्ति ही बिना भक्ति के जीवन में संतुष्टि महसूस कर सकता है। क्योंकि उसको नहीं पता कि जन्म मृत्यु बुढ़ापे और बीमारियों से रहित इस भौतिक जीवन से परे एक नित्य शाश्वत जीवन भी है जहाँ हमारा परम पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण से सीधा सम्बन्ध है और वहां जन्म मृत्यु बुढ़ापा और बीमारियां भी नहीं होते।
वो जाने लगे तो मैंने पुकार कर कहा बाबा जी," बुढ़ापे तक जीवित रहेंगे इसका कोई गारंटी कार्ड तो है नहीं और जब जवानी में भगवान में मन नहीं लगाया तो बुढ़ापे में कैसे मन लगेगा ? और रही बात खाने कमाने की तो भक्त लोग कर्म से नहीं भागते वे तो उल्टा एक आम नागरिक से ज्यादा कर्मशील होते हैं क्योंकि वो सबसे बड़े समाज-सेवी होते हैं। वो खुद का जन्म भी सार्थक करते हैं और दूसरों का भी मार्ग दर्शन करते हैं। मैं कृष्ण का चिंतन करता हूँ और वो मेरे जीवन यापन का चिंतन करेंगे यह पूर्ण विश्वास है मुझे।

[साभार - श्रील प्रभुपाद की शिक्षाएं]

⚠ फ़ॉर्वर्डेड
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

बार बार पढ़ें और मनन करें

उम्मीद और आसक्ति ही दुखों का मूल है

अपना भौतिक कर्म निभाते चलें और नाम महाराज को पकड़ें रहें

गुरुदेव कृपा करके निताई चाँद और राधा रानी के चरणों में समर्पित कर देंगे


सभी वैष्णवों के चरणों में सादर प्रणाम
🙏🏼🙏🏼
🙏🏻  🙏🏻
जय जय श्री राधे
जय जय सदगुरु भगवान
जय श्री निताई
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌿🌸◆🎈◆🌸🌿✽¡•

        2⃣1⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
               गुरुवार पौष
            शुक्लपक्ष द्वादशी

                  •🌸•
               ◆~🎈~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🎈गौरांग महाप्रभु 🎈★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
              ◆~🎈~◆
                  •🌸•

 ❗वैष्णव अपराध गुरुतत्व❗

🌿     एक दिन श्री गौरांग श्री भगवान के आसन पर विराजमान हो अपना ऐश्वर्य प्रकट कर रहे थे lसब भक्तों को बुलाकर प्रेम भक्ति का वरदान देने लगे l शची माता को आपने नहीं बुलाया l श्री वास पण्डित ने कहा प्रभो शची माता को भी प्रेम दान दीजिये l प्रभु बोले श्री वास ऐसा फिर कभी नहीं बोलना lउनका वैष्णवों के प्रति अपराध है अतः उसे प्रेम की प्राप्ति नहीं हो सकती l

🌿      सबने विनय पूर्वक पुनः प्रार्थना की lजिसके प्रति अपराध होता है केवल वही वैष्णव उसका अपराध क्षमा कर सकता है l श्री शची का अद्वैत के प्रति अपराध है अतः उनकी चरण धूलि अपने मस्तक पर धारण करे तभी अपराध मिट सकता है और तभी वह प्रेम भक्ति की अधिकारिणी हो सकती हैं l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
       ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
            •🎈★🎈•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🎈श्रीकृष्णायसमर्पणं🎈•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •🎈★🎈•
         ¥﹏*)•🌸•(*﹏¥
   
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[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



नाराज़

हम नाराज़ तब होते हैं जब कोई हमारी अपेक्षा पर खरा नही उतरता । जिसे कोई अपेक्षा नही वो नाराज़ नही होता ।

अपेक्षा धन की । सम्मान की । और सर्वाधिक हाँ में हाँ मिलाने की । इगो की ।

वत्सप्प भी एक समाज है । तरह तरह के लोग हैं । उन्हें बदलने का प्रयास न करते हुए उन्हें समझने का प्रयास करना है । और खुद अपेक्षा रहित होने का प्रयास करना है ।

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



👉एक विचारक ने कहा कि मनुष्य में धैर्य हो तो बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है.....

एक व्यक्ति ने प्रति प्रश्न किया कि....
क्या धैर्य से आप चलनी में पानी को ठहरा सकते हो...
क्या ये संभव है...??👈

👏विचारक का जवाब था कि.....

'पानी' को 'बर्फ़' बनने तक का तुम में 'धैर्य' होगा तो...

यह भी संभव है....✌

🙏🙏जय श्री कृष्ण🙏🙏
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾


🌴सर्व स्वतंत्र स्नेह परिपूर्ण प्रेमाश्रुयुत लोचन
🌱वनाधीश्वरी एक बार करि कृपा निहारैं मोतन।
🌴वाकै फल स्वरुप कानन सीमा में दृढ़तर वास
🌱मो सम अधम जीव की फलवती ह्वै है वल्ली आस॥

🌳अतिशय कृपा से एवं महा स्नेह अतिशय से सहलोचना श्रीवृंदावनाधीश्वरी श्रीराधा एक बार भी मेरे प्रति कृपा दृष्टिपात करें, जिससे उनके प्रिय कानन इस श्रीवृंदावन की सीमा में ही निरंतर वास रूपी उनकी करुणा-कल्पलता का अद्भुत फल फलीभूत हो।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जो भी हो
बरसाने में एक
दिव्य
रस बरसता है
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जीवन में प्रसन्न व्यक्ति वह हैं जो स्वयं का मूल्यांकन करता हैं...।

जबकि दुःख़ी व्यक्ति वह हैं जो दूसरों का  मूल्यांकन करता है
[19:05, 1/21/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे.....🔟

✨🌹श्रीपुरी नाम-कीर्तन कर रहे है, नींद कहाँ? बहुत रात निकल गयी। थोड़ी सी तन्द्रा आयी, स्वपन मे वही बालक आता है और श्रीपुरी का हाथ पकड़ कर एक कुंज मे ले जाता है। गोपबालक ने कहा-पुरि ! देखो मैं इस कुंज मे पड़ा हुँ, यहाँ सर्दी, गर्मी, बरसात मे बहुत दुख पाता हुँ। गाँव के लोगों को लाकर मुझे तुम इस कुंज से बाहर निकालो और गिरिराज के ऊपर मुझे स्थापन करो। मुझे अति शीतल जल से स्नान कराकर मेरा ताप दूर करो। पुरि ! मैं बहुत दिनों से तुम्हारा इन्तजार कर रहा था। मै तुम्हारी-प्रेम सेवा को अंगीकार करूँगा एवं समस्त लोगों को दर्शन देकर उनका उद्घार करूँगा। मेरा नाम हैं 'गोपाल गोवर्धनधारी।"

✨🌹श्रीपुरी स्वप्न देख रहे हैं या साक्षात् उस गोपबालक से वार्तालाप कर रहे है? चमत्कृत हो रहे है। उन्होंने पूछा-गोपाल ! तुम यहाँ कैसे? गोपबालक ने कहा-पुरी ! इस ब्रजमण्डल पर जब मुसलमानों ने आक्रमण किया, तब मेरे पुजारियों ने गोवर्धन से नीचे उतार कर मुझे इस कुंज मे छिपा दिया और वे भयभीत होकर यहाँ से भाग गये। तभी से मैं इस कुंज मे दबा पड़ा हूँ। अब तुम मुझे बाहर करो। इतना कहकर वह बालक अन्तर्धान हो गया।

✨🌹इतिहास बताया है, भगवान् श्रीकृष्ण की मौषल-लीला मे जब यदुवंश का नाश हुआ, तब श्रीकृष्ण के पौत्र श्रीअनिरूद्व जी के पुत्र श्रीवज्रनाभ तथा कुछ वृद्ध व्यक्ति और स्त्रियाँ बच गई। वे प्रभास क्षेत्र मे नहीं गए। उन सबको श्रीअर्जुन आकर इन्द्रप्रस्थ मे ले गये। उन्हें वहाँ बसाया और श्रीवज्रनाभ का अभिषेक किया। उन्होंने फिर श्रीकृष्ण-लीला-स्थलों का उद्घार किया। उन्होंने इस श्रीगोपाल मूर्ति की श्रीगिरिराज पर स्थापना की। मुगलराजा औरंगजेब के अत्याचार एवं मन्दिरों के तोड़-फोड़ के समय पुजारियों ने इस श्रीमूर्ति को इस कुंज मे लाकर दबा दिया और आप भाग गये।

⚠अक्षरश: लिखित सेवा
🐚🌹*ब्रज के संत*
🍂'श्री हरि नाम प्रैस-वृन्दावन'

✏क्रमश......1⃣1⃣

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

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