Sunday, 31 January 2016

[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



संतान के रूप में हमारा कोई पूर्व जन्म का सम्बन्धी ही जन्म लेकर आता है । शास्त्रों में चार प्रकार के पुत्र जन्म को बताया गया है :

🔅1. ऋणानुबन्ध :– पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे
आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट
किया हो, तो वो आपके घर में संतान बनकर जन्म लेगा और
आपका धन बीमारी में, या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा
जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो ।

🔅2. शत्रु पुत्र:– पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला
लेने के लिये आपके घर में संतान बनकर आयेगा, और बड़ा
होने पर माता-पिता से मारपीट या झगड़ा करेगा, या उन्हें
सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा ।

🔅3. उदासीन:– इस प्रकार की सन्तान माता-पिता को
न तो कष्ट देती है और ना ही सुख । विवाह होने पर ऐसी
संतानें माता-पिता से अलग हो जाती है ।

🔅4. सेवक पुत्र:– पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की
खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के
लिये आपकी सेवा करने के लिये पुत्र बनकर आता है ।

आप यह ना समझे कि यह सब बाते केवल मनुष्य पर ही लागू होती है । इन चार प्रकार में कोइ सा भी जीव आ सकता है ।
जैसे आपने किसी गाय की निःस्वार्थ भाव से सेवा की है,
तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है ।

यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पाला और उसके
दूध देना बन्द करने के पश्चात उसे घर से निकाल दिया हो तो
वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी ।

यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह
आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा । इसलिये जीवन में
कभी किसी का बुरा नहीं करे ।

एडिटेड । फ़ॉर्वर्डेड
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



गुरु का हाथ पकड़ने कि बजाय, अपना हाथ गुरु को पकडा दो....
क्योंकि....हम गलती से गुरु का हाथ छोड़ सकते है....
किंतु....गुरु हाथ पकड़े तो कभी नही छोडते है ।।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 Jb tk  हम हाथ गुरु की तरफ बढ़ाये रहें तब तक वो गुरु । जिस दिन वो हाथ पकड़ लें । उस दिन से सद्गुरु । जय हो ।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃
      🙏🏼  ज्ञान   वर्धक  एवम्  रोचक  🙏🏼
🍃🍂🍃🍂🍃🎭🍃🍂🍃🍂🍃

✅ आभामण्डल ( Aura)

➡ आभामण्डल हमारा सुरक्षा चक्र होता है, विज्ञान के स्तर पर समझने के लिए इसे हम antenna कहकर सम्बोधित कर सकते हैं । जैसे पुराने time में antenna तरंगों को catch करके हमारे TV में भेजता था, हमारे आभामण्डल का भी यही कार्य है, यह ब्रह्माण्ड की तरंगों को catch करता है । मन, आभामण्डल, सुक्ष्म शरीर ये सब एक ही है, बस अलग अलग स्तर पर नाम अलग अलग हैं ।

➡ हमारे शरीर में तीन प्रमुख नाडियां है, इडा पिंगला सुषुम्ना । इडा body के left में, पिंगला body के right में, और सुषुम्ना नाडी spinal cord पर होती है । जहां जहां यह तीनों मिलती है उस जगह चक्र का निर्माण होता है, तो यह तीनों नाडियां हमारे शरीर में सात जगह मिलती है, इन्हीं सात जगह हमारे चक्र होते हैं।

➡ जिस चक्र में unbalance आया उस चक्र से सम्बन्धित जगह पर बिमारी आ जाएगी । तो इन्हीं सात चक्रों की सुरक्षा परत आभामण्डल कहलाती है । अब यह आभामण्डल positive और negative waves को store करता है, आपने जैसे शब्द सुने उसके आधार पर आपका आभमण्डल पोषित होगा या फिर क्षीण होगा । बस इसी के घटने बढने के कारण आप में सकारात्मकता या नकारात्मकता आती है ।

✅ साधु संतों का आभामण्डल इतना विकसित होता है कि वे अपने पास आई negativity को positivity में change कर देते हैं, लेकिन हम ऎसा नहीं कर पाते क्योकि हमारा aura पहले से इतना पोषित नहीं होता कि सामने वाले कि negative waves को हटा सकें बल्कि सामने वाले कि negative waves हमारे आभामण्डल को नुकसान पहुंचा देती है।

✔आपने देखा होगा कि आप किसी के पास बैठते हो तो उसके पास ही बैठे रहने का मन करता है, क्योकिं उसकी positively waves आप catch कर रहे हो और आपका आभमण्डल विकसित हो रहा है, इसीलिए आपका मन नहीं करता उसके पास से हटने को, और ठीक इसके opposite स्वभाव का आपके पास कोई व्यक्ति आ जाए तो आप मन में सोचते हो कि ये कब जाएगा या कुछ ऎसा हो मैं हि यहां से निकल जाऊं । इसका मतलब कि आपका आभामण्डल उसकी negatively waves से क्षीण हो रहा है इसीलिए आपका मन उस व्यक्ति को repeal कर रहा है या फिर दुर फेंक रहा है । यही सभी प्रक्रिया सुक्ष्म जगत् में सम्पन्न होती है ।

➡ कहते भी है ना कि रोग आदि पहले सुक्ष्म शरीर में आते है बाद में उनका असर स्थूल शरीर पर पड़ता है, क्योकि सुक्ष्म शरीर का चक्र unbalance हुआ तो उसी चक्र से सम्बन्धित रोग स्थूल शरीर पर आएगा । अब चक्र unbalance होने की वजह है आपके आभामण्डल की सुरक्षा परत क्षीण हुई है । इसी से चक्र unbalance हुआ , आभमण्डल की परत क्षीण हुई negative waves से, इसीलिए सदा सत्संग करते रहिए और अपने अन्दर किसी भी प्रकार की negativity को मत आने दीजिए ।

✅ हमारा आभामण्डल सत्संग करते रहने से विकसित होता रहता है ।
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             जो भी लिखा, कही से पढ़ा,
      सुना समझा, नेट से लिया लिख रहा हूँ।
         ⭕    ❗
       हर दिन मंगलमय हो आनन्द
   भरा हो शुभ हो यही ईशवर से कामना है।
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[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•

          3⃣1⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
                रविवार माघ
             कृष्णपक्ष सप्तमी

                  •🌸•
               ◆~🌿~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🌸गौरांग महाप्रभु 🌸★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
               ◆~🌿~◆
                   •🌸•

      ❗प्रकाशानंद उद्धार❗

🌿       तब श्री महाप्रभु ने सर्वप्रथम श्री हरिनाम की महिमा का वर्णन किया

❗हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम्❗
❗कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा ❗

         जीव श्री कृष्ण का नित्य दास है l कृष्ण सेवा ही जीव का परम कर्तव्य है l यह जगत मिथ्या नहीं नाशवान है lजीव कभी ब्रह्म नहीं हो सकता l श्री प्रकाशानंद ने शिष्यो के साथ श्रीमन्महाप्रभु की शरणागति स्वीकार कर ली lश्री मन्महाप्रभु ने उन्हें आलिंगन कर उनमे प्रेम का संचार किया और उनका नाम बदलकर प्रबोधानन्द रख दिया l उन्हें वृन्दावन जाकर वास करने की आज्ञा दी l

🌿     तब श्री प्रबोधानन्द सरस्वती ने श्रीवृन्दावन महिमामृत की रचना की l श्री चैतन्य चंद्रामृत संगीत माधवादि अनेक श्री राधाकृष्ण निकुंज केलि रस के अद्भुभुत ग्रंथ रचे l श्री राधारस सुधानिधि भी इनकी ही रचना है l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
            •★🌸★•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🎀श्रीकृष्णायसमर्पणं🎀•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •★🌸★•
         ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
   
•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



ये नादानी भी,
सच मे बेमिसाल है...
अंधेरा
दिलो मे है,
और दिपक मन्दिरों मे जलाते हैं..!

शुभ प्रभात


दिल एक मन्दिर है बहिन जी ।
मन्दिर में जलाया हुआ दिया ही दिल तक पहुंचता है मेर बहिन जी
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे

एक वैष्णव रीति है कि आपस में जब मिलते हैं तो एक दूसरे को कहते हैं कि

आप पर प्रभु की बहुत कृपा है । आप धन्य हैं । आप परम वैष्णव हैं हम पर भी कृपा कीजिये ।

ऐसे में सदा ही विनम्रता पूर्वक अपने गुरुदेव । अन्य संत वैष्णवजन को मन ही मन एवम् उनके उत्तर में स्मरण करना चाहिए ।

और यही कहना चाहिए कि ये सब उनकी करुणा है की इस अधम को अपनाया । व बड़े दयालु हैं । कृपालु हैं । उनका ही ह जो कुछ हैं

अहम् तो आना ही नही है । अपितु अहसान फरामोशी भी नहीं । नहीं तो प्रभु । गुरु सोचते हैं कि इतनी कृपा की मेने फिर भी ये ।नहीं है । नही है । करता रहता ।

कोई हमे सम्मान दे । हम तुरंत गुरु । कृष्ण । संत । वैष्णव का गुण गान करने लग जाएँ ।

और सदा ये स्वीकार करें कि
हाँ हाँ । कृपा थोड़ी है । थोड़ी की ज़रूरत है ।

समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 सावधानी और डर

अपराध होते हैं । जेसे भूत होते हैं । लेकिन हर समय हर बात में अपराधो से डरना या अपराधों की बात करना उचित नहीं ।

ये अपराध भी एक नकारात्मक अदृश्य सोच है जो हमे अनावश्यक डराती है । होते हैं लेकिन हर समय हर बात में भूत भूत ।

सावधानी और भय में अंतर है । सावधानी रखनी है । डरते नही रहना है ।

ठीक वेसे जेसे कार ड्राइविंग से
डरते रहे तो चला ही नही पाओगे
हाँ । सावधान तो रहना ही है ।

अतः डरना नहीं
सावधान रहना हैं

गिरते हैं घुड़सवार ही
मैदान जंग में
वो शिशु क्या गिरेगा
जो घुटनो के बल चले

जय श्री राधे । जय निताई
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: आज का संदेश

♨   भक्ति मार्ग में श्री कृष्ण का विस्मरण ही पाप है। जिस क्षण में प्रभु का विस्मरण होता है उसी क्षण पाप होता है।

♨    जो कार्य हम को प्रभु से दूर ले जावे जो लक्ष्य को भुलावे वही पाप है। जाना है प्रभु के चरणों में और पाप ले जाता है जन्म मरण के चक्कर में। पाप से बचना हो तो सब समय नाम जप करते हुए भगवदभाव रखकर व्यवहार करो।

♨     हम सबका जीवन भी प्रभु भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l👣

                •🌹हरे कृष्ण🌹•
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

डरें नहीं

लगे रहें साधना में

आगे बढ़ते रहें
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🙏🏻जय गुरुदेव
प्रस्तुति । सुनीता रंगा

👣जो छू ले तेरे,चरणो की धूल
मेरे सतगुरु
वो मिट्टी से सोना बन जाये....

👀इक नजर जिस पर पड़
जाये तुम्हारी
वो कंकड़ भी कोहिनूर💎
कहलाये.....

💼 खाली दामन भर देता है
हर मुराद पूरी कर देता है
जब देने पर आता है तो
लिखा तकदीर का भी 📝
बदल देता है..
🙏🏻


एडिटेड एवम् फोरवार्डेड

🔓🔒 🔏  🔐 🔑
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



ना करें भगवान् श्री कृष्णा के पीठ के दर्शन !

भगवान श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए
कहते है भगवान श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए, दरअसल पीठ के दर्शन न करने के संबंध में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की एक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे तब जरासंध का एक साथी असुर कालयवन भी भगवान से युद्ध करने आ पहुंचा. कालयवन श्रीकृष्ण के सामने पहुंचकर ललकारने लगा.
तब श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले. इस तरह रणभूमि से भागने के कारण ही उनका नाम रणछोड़ पड़ा. जब श्रीकृष्ण भाग रहे थे तब कालयवन भी उनके पीछे-पीछे भागने लगा. इस तरह भगवान रणभूमि से भागे क्योंकि कालयवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे और कृष्ण किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब कि पुण्य का बल शेष रहता है.
जिस तरह शिशुपाल की गालिया भी भगवान तब तक सुनते रहे जब तक उसके पुण्य शेष थे.गालियाँ पूरी होते ही जैसे ही उसके पुण्य क्षीण हुए भगवान ने चक्र से उसकी गर्दन को काट दी.
इसी तरह कालयवन कृष्णा की पीठ देखते हुए भागने लगा और इसी तरह उसका अधर्म बढऩे लगा क्योंकि भगवान की पीठ पर अधर्म का वास होता है और उसके दर्शन करने से अधर्म बढ़ता है.
"धर्म: स्तनोंsधर्मपथोsस्य पृष्ठम् "
श्रीमद्भागवत में द्वितीय स्कंध के, द्वितीय अध्याय के श्लोक ३२ में शुकदेव जी राजा परीक्षित को भगवान के विराट स्वरूप का वर्णन करते हुए कह रहे है- कि धर्म भगवान का स्तन और अधर्म पीठ है.
जब कालयवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया कृष्ण एक गुफा में चले गए. जहां मुचुकुंद नामक राजा निद्रासन में था. मुचुकुंद को देवराज इंद्र का वरदान था कि जो भी व्यक्ति राजा को निंद से जगाएगा और राजा की नजर पढ़ते ही वह भस्म हो जाएगा. कालयवन ने मुचुकुंद को कृष्ण समझकर उठा दिया और राजा की नजर पढ़ते ही राक्षस वहीं भस्म हो गया.
अत: भगवान श्री हरि की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे हमारे पुण्य कर्म का प्रभाव कम होता है और अधर्म बढ़ता है. कृष्णजी के हमेशा ही मुख की ओर से ही दर्शन करें. यदि भूलवश उनकी पीठ के दर्शन हो जाते हैं और भगवान से क्षमा याचना करनी चाहिए.🙌🏻🙏🏻
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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पूज्य बाबा
पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
📘 सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 7⃣ 💎संयम💎 🍁

🌻१ । साधक के द्वारा अपने मन, वाणी एवं शरीर सों हैवे बारी समस्त चेष्टान कूँ कुमार्ग (विषयासक्ति) सों रोक कें शास्त्र अथवा सद् गुरु की आज्ञानुसार भगवत् (अध्यातम्) सम्बन्ध में निरन्तर लगानौ ही संयम है।

🌻२ । प्रत्येक साधक कूँ इन १४ कौ सुधार करनौ परम कर्तव्य है।

🍓१ । हाथ

🍓२ । पाँव

🍓३ । वाणी

🍓४ । मूत्र त्याग की इन्द्रिय

🍓५ । मल त्याग की इन्द्रिय

🌷ये पाँच कमेंद्रिय हैं

⬇तथा

🍒१ । श्रवण

🍒२ । नेत्र

🍒३ । रसना

🍒४ । घ्राणेन्द्रिय (नासिका)

🍒५ । त्वचा

🌷ये पाँच ज्ञानेन्द्रिय हैं।

⬇तथा

🌷अन्तःकरण चतुष्टय

🍊१ । मन

🍊२ ।बुद्धि

🍊३ ।चित्त

🍊४ ।अहंकार

🍎साधक के लिये यही कर्तव्य है कि इन सबन कूँ सतत् शुभ कर्मन में ही लगावै । यही संयम है

🍎तथाे इनकी सफलता समझै श्री भगवत् सेवा में लगावे में ही।


💎प्रस्तुति 📖 श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



मन्दिर के पिछवाड़े में प्रणाम करने की रूटीन सी है । नही करना चाहिए कभी भी । अनुमान करो । आप बेठे हों । कोई पीछे से आकर आपको प्रणाम करे । टच नही किया तो आपको पता ही नही चला तो आप आशीष क्या दोगे । आशीष नही तो प्रणाम व्यर्थ ।

और यदि पीठ को टच किया तो आपने चौंकना ही है । शिष्टाचार के विरुद्ध हो गया ।

फिर पीठ में अधर्म का वास है तो प्रणाम अधर्म को हो गया । अतः पीठ पीछे प्रणाम नहीं

जय श्री राधे । जय निताई
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



चित्रपट है तो चलेगा । दीवार पर प्रणाम नही करना चाहिए

ऐसे ही गोविन्द जू म संकल बजाते हैं । ये कोई परम्परा होगी शास्त्रीय नही ।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🎊🚿ब्रज के फाग उत्सवन की श्रृंखला🎊🚿


🚿12 फरवरी--बसन्त पंचमी

🚿07 मार्च    ---महाशिव रात्रि

🚿16मार्च -----फाग
 आमन्त्रणोत्सव>>

🚿नन्दगाव16 मार्च --लड्डू होली बरसाना

🚿17 मार्च ---लठामार होली बरसाना

🚿18 मार्च ---लठामार होली नन्दगांव

🚿19 मार्च ---जन्मभूमि  होली मथुरा

🚿23 मार्च ---होलिकादहन

🚿24 मार्च धूलिबन्धन(धूलेण्डी)

🚿25 मार्च --हुरंगा>>>
           दाऊजी,जाव,नन्दगाव

 🚿26 मार्च --हुरंगा>>बठैन, गिडोह


🙏बोल होरी के रसिया की जय🙏
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🚦     🚴      🚴    🚴  



 😂😂😂

लाल~ पर्रिकर या गुरुजनो के अश्रु में रुको

पीला~ उनके भाव सन्देश आदि पर अम्ल करो

हरा~ नाम आश्रय में जीवन उन्नति करो

थोडा फासला रखे। ट्रैफिक जाम हो सकता है
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



Apraadh
कोई पाप नही जिसका फल मिलेगा

जो हो गया सो हो गया
उसका फल विलम्ब भी मिल गया

बस अब पुनः न हो । बस इतना

अपराध से
विलम्ब होता है कोई पाप या उसका फल या नर्क नहीं मिलता जिससे बचा जाय
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



वाह अनंत
हरि अनंत
हरिदास अनंता
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



गलियों म 🚴
कुञ्ज गलियों में🚶🚶🚶
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎💎

इसका अर्थ है की

🔸🔸🔸🔸
🔶Maturity is when you understand that everyone is right in their own perspective.


🔷जब आप यह समझने लगें कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने दृष्टिकोण के अनुसार सही है तो इसका तात्पर्य यही है कि आपकी सोच परिपक्व हो गई है।

  लगे रहो। शुभकामना।

📙📗📙📗📙📗📙📗📙
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🙏🏼🙏



🏼 भैया जी वो जो बिहारी जी के मंदिर के पीछे 1 हाथी समान मुख से जल आता है वो क्या है ??

पहले तो वह बिहारी जी के स्नान । उस गर्भ गृह की धोवन । चरणामृत आदि होता था ।

अब ऐसा सुनते है कि गोस्वामी जन तो तम्बाकू खाते हैं न अंदर सेवा से बाहर तो आ नही पाते । वो वहां पीक थूकते रहते हैं और एक लोटा पानी बहा देते हैं । वोही टपकता रहता है

लेकिन ये कितना सच कितना झूठ । ईश्वर जाने ।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अपनी आयु से अधिक अपनी छवि का ध्यान रखें,
क्योंकि छवि की आयु आपकी आयु से अधिक है ।।

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