Sunday, 31 January 2016

[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



संतान के रूप में हमारा कोई पूर्व जन्म का सम्बन्धी ही जन्म लेकर आता है । शास्त्रों में चार प्रकार के पुत्र जन्म को बताया गया है :

🔅1. ऋणानुबन्ध :– पूर्व जन्म का कोई ऐसा जीव जिससे
आपने ऋण लिया हो या उसका किसी भी प्रकार से धन नष्ट
किया हो, तो वो आपके घर में संतान बनकर जन्म लेगा और
आपका धन बीमारी में, या व्यर्थ के कार्यों में तब तक नष्ट करेगा
जब तक उसका हिसाब पूरा ना हो ।

🔅2. शत्रु पुत्र:– पूर्व जन्म का कोई दुश्मन आपसे बदला
लेने के लिये आपके घर में संतान बनकर आयेगा, और बड़ा
होने पर माता-पिता से मारपीट या झगड़ा करेगा, या उन्हें
सारी जिन्दगी किसी भी प्रकार से सताता ही रहेगा ।

🔅3. उदासीन:– इस प्रकार की सन्तान माता-पिता को
न तो कष्ट देती है और ना ही सुख । विवाह होने पर ऐसी
संतानें माता-पिता से अलग हो जाती है ।

🔅4. सेवक पुत्र:– पूर्व जन्म में यदि आपने किसी की
खूब सेवा की है तो वह अपनी की हुई सेवा का ऋण उतारने के
लिये आपकी सेवा करने के लिये पुत्र बनकर आता है ।

आप यह ना समझे कि यह सब बाते केवल मनुष्य पर ही लागू होती है । इन चार प्रकार में कोइ सा भी जीव आ सकता है ।
जैसे आपने किसी गाय की निःस्वार्थ भाव से सेवा की है,
तो वह भी पुत्र या पुत्री बनकर आ सकती है ।

यदि आपने गाय को स्वार्थ वश पाला और उसके
दूध देना बन्द करने के पश्चात उसे घर से निकाल दिया हो तो
वह ऋणानुबन्ध पुत्र या पुत्री बनकर जन्म लेगी ।

यदि आपने किसी निरपराध जीव को सताया है तो वह
आपके जीवन में शत्रु बनकर आयेगा । इसलिये जीवन में
कभी किसी का बुरा नहीं करे ।

एडिटेड । फ़ॉर्वर्डेड
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



गुरु का हाथ पकड़ने कि बजाय, अपना हाथ गुरु को पकडा दो....
क्योंकि....हम गलती से गुरु का हाथ छोड़ सकते है....
किंतु....गुरु हाथ पकड़े तो कभी नही छोडते है ।।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 Jb tk  हम हाथ गुरु की तरफ बढ़ाये रहें तब तक वो गुरु । जिस दिन वो हाथ पकड़ लें । उस दिन से सद्गुरु । जय हो ।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃
      🙏🏼  ज्ञान   वर्धक  एवम्  रोचक  🙏🏼
🍃🍂🍃🍂🍃🎭🍃🍂🍃🍂🍃

✅ आभामण्डल ( Aura)

➡ आभामण्डल हमारा सुरक्षा चक्र होता है, विज्ञान के स्तर पर समझने के लिए इसे हम antenna कहकर सम्बोधित कर सकते हैं । जैसे पुराने time में antenna तरंगों को catch करके हमारे TV में भेजता था, हमारे आभामण्डल का भी यही कार्य है, यह ब्रह्माण्ड की तरंगों को catch करता है । मन, आभामण्डल, सुक्ष्म शरीर ये सब एक ही है, बस अलग अलग स्तर पर नाम अलग अलग हैं ।

➡ हमारे शरीर में तीन प्रमुख नाडियां है, इडा पिंगला सुषुम्ना । इडा body के left में, पिंगला body के right में, और सुषुम्ना नाडी spinal cord पर होती है । जहां जहां यह तीनों मिलती है उस जगह चक्र का निर्माण होता है, तो यह तीनों नाडियां हमारे शरीर में सात जगह मिलती है, इन्हीं सात जगह हमारे चक्र होते हैं।

➡ जिस चक्र में unbalance आया उस चक्र से सम्बन्धित जगह पर बिमारी आ जाएगी । तो इन्हीं सात चक्रों की सुरक्षा परत आभामण्डल कहलाती है । अब यह आभामण्डल positive और negative waves को store करता है, आपने जैसे शब्द सुने उसके आधार पर आपका आभमण्डल पोषित होगा या फिर क्षीण होगा । बस इसी के घटने बढने के कारण आप में सकारात्मकता या नकारात्मकता आती है ।

✅ साधु संतों का आभामण्डल इतना विकसित होता है कि वे अपने पास आई negativity को positivity में change कर देते हैं, लेकिन हम ऎसा नहीं कर पाते क्योकि हमारा aura पहले से इतना पोषित नहीं होता कि सामने वाले कि negative waves को हटा सकें बल्कि सामने वाले कि negative waves हमारे आभामण्डल को नुकसान पहुंचा देती है।

✔आपने देखा होगा कि आप किसी के पास बैठते हो तो उसके पास ही बैठे रहने का मन करता है, क्योकिं उसकी positively waves आप catch कर रहे हो और आपका आभमण्डल विकसित हो रहा है, इसीलिए आपका मन नहीं करता उसके पास से हटने को, और ठीक इसके opposite स्वभाव का आपके पास कोई व्यक्ति आ जाए तो आप मन में सोचते हो कि ये कब जाएगा या कुछ ऎसा हो मैं हि यहां से निकल जाऊं । इसका मतलब कि आपका आभामण्डल उसकी negatively waves से क्षीण हो रहा है इसीलिए आपका मन उस व्यक्ति को repeal कर रहा है या फिर दुर फेंक रहा है । यही सभी प्रक्रिया सुक्ष्म जगत् में सम्पन्न होती है ।

➡ कहते भी है ना कि रोग आदि पहले सुक्ष्म शरीर में आते है बाद में उनका असर स्थूल शरीर पर पड़ता है, क्योकि सुक्ष्म शरीर का चक्र unbalance हुआ तो उसी चक्र से सम्बन्धित रोग स्थूल शरीर पर आएगा । अब चक्र unbalance होने की वजह है आपके आभामण्डल की सुरक्षा परत क्षीण हुई है । इसी से चक्र unbalance हुआ , आभमण्डल की परत क्षीण हुई negative waves से, इसीलिए सदा सत्संग करते रहिए और अपने अन्दर किसी भी प्रकार की negativity को मत आने दीजिए ।

✅ हमारा आभामण्डल सत्संग करते रहने से विकसित होता रहता है ।
🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃🍂🍃
             जो भी लिखा, कही से पढ़ा,
      सुना समझा, नेट से लिया लिख रहा हूँ।
         ⭕    ❗
       हर दिन मंगलमय हो आनन्द
   भरा हो शुभ हो यही ईशवर से कामना है।
🍃🍂🍃🍂🍃🎭🍃🍂🍃🍂🍃
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•

          3⃣1⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
                रविवार माघ
             कृष्णपक्ष सप्तमी

                  •🌸•
               ◆~🌿~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🌸गौरांग महाप्रभु 🌸★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
               ◆~🌿~◆
                   •🌸•

      ❗प्रकाशानंद उद्धार❗

🌿       तब श्री महाप्रभु ने सर्वप्रथम श्री हरिनाम की महिमा का वर्णन किया

❗हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम्❗
❗कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा ❗

         जीव श्री कृष्ण का नित्य दास है l कृष्ण सेवा ही जीव का परम कर्तव्य है l यह जगत मिथ्या नहीं नाशवान है lजीव कभी ब्रह्म नहीं हो सकता l श्री प्रकाशानंद ने शिष्यो के साथ श्रीमन्महाप्रभु की शरणागति स्वीकार कर ली lश्री मन्महाप्रभु ने उन्हें आलिंगन कर उनमे प्रेम का संचार किया और उनका नाम बदलकर प्रबोधानन्द रख दिया l उन्हें वृन्दावन जाकर वास करने की आज्ञा दी l

🌿     तब श्री प्रबोधानन्द सरस्वती ने श्रीवृन्दावन महिमामृत की रचना की l श्री चैतन्य चंद्रामृत संगीत माधवादि अनेक श्री राधाकृष्ण निकुंज केलि रस के अद्भुभुत ग्रंथ रचे l श्री राधारस सुधानिधि भी इनकी ही रचना है l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
            •★🌸★•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🎀श्रीकृष्णायसमर्पणं🎀•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •★🌸★•
         ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
   
•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



ये नादानी भी,
सच मे बेमिसाल है...
अंधेरा
दिलो मे है,
और दिपक मन्दिरों मे जलाते हैं..!

शुभ प्रभात


दिल एक मन्दिर है बहिन जी ।
मन्दिर में जलाया हुआ दिया ही दिल तक पहुंचता है मेर बहिन जी
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जय श्री राधे

एक वैष्णव रीति है कि आपस में जब मिलते हैं तो एक दूसरे को कहते हैं कि

आप पर प्रभु की बहुत कृपा है । आप धन्य हैं । आप परम वैष्णव हैं हम पर भी कृपा कीजिये ।

ऐसे में सदा ही विनम्रता पूर्वक अपने गुरुदेव । अन्य संत वैष्णवजन को मन ही मन एवम् उनके उत्तर में स्मरण करना चाहिए ।

और यही कहना चाहिए कि ये सब उनकी करुणा है की इस अधम को अपनाया । व बड़े दयालु हैं । कृपालु हैं । उनका ही ह जो कुछ हैं

अहम् तो आना ही नही है । अपितु अहसान फरामोशी भी नहीं । नहीं तो प्रभु । गुरु सोचते हैं कि इतनी कृपा की मेने फिर भी ये ।नहीं है । नही है । करता रहता ।

कोई हमे सम्मान दे । हम तुरंत गुरु । कृष्ण । संत । वैष्णव का गुण गान करने लग जाएँ ।

और सदा ये स्वीकार करें कि
हाँ हाँ । कृपा थोड़ी है । थोड़ी की ज़रूरत है ।

समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 सावधानी और डर

अपराध होते हैं । जेसे भूत होते हैं । लेकिन हर समय हर बात में अपराधो से डरना या अपराधों की बात करना उचित नहीं ।

ये अपराध भी एक नकारात्मक अदृश्य सोच है जो हमे अनावश्यक डराती है । होते हैं लेकिन हर समय हर बात में भूत भूत ।

सावधानी और भय में अंतर है । सावधानी रखनी है । डरते नही रहना है ।

ठीक वेसे जेसे कार ड्राइविंग से
डरते रहे तो चला ही नही पाओगे
हाँ । सावधान तो रहना ही है ।

अतः डरना नहीं
सावधान रहना हैं

गिरते हैं घुड़सवार ही
मैदान जंग में
वो शिशु क्या गिरेगा
जो घुटनो के बल चले

जय श्री राधे । जय निताई
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: आज का संदेश

♨   भक्ति मार्ग में श्री कृष्ण का विस्मरण ही पाप है। जिस क्षण में प्रभु का विस्मरण होता है उसी क्षण पाप होता है।

♨    जो कार्य हम को प्रभु से दूर ले जावे जो लक्ष्य को भुलावे वही पाप है। जाना है प्रभु के चरणों में और पाप ले जाता है जन्म मरण के चक्कर में। पाप से बचना हो तो सब समय नाम जप करते हुए भगवदभाव रखकर व्यवहार करो।

♨     हम सबका जीवन भी प्रभु भक्ति से प्रकाशित हो यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l👣

                •🌹हरे कृष्ण🌹•
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

डरें नहीं

लगे रहें साधना में

आगे बढ़ते रहें
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🙏🏻जय गुरुदेव
प्रस्तुति । सुनीता रंगा

👣जो छू ले तेरे,चरणो की धूल
मेरे सतगुरु
वो मिट्टी से सोना बन जाये....

👀इक नजर जिस पर पड़
जाये तुम्हारी
वो कंकड़ भी कोहिनूर💎
कहलाये.....

💼 खाली दामन भर देता है
हर मुराद पूरी कर देता है
जब देने पर आता है तो
लिखा तकदीर का भी 📝
बदल देता है..
🙏🏻


एडिटेड एवम् फोरवार्डेड

🔓🔒 🔏  🔐 🔑
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



ना करें भगवान् श्री कृष्णा के पीठ के दर्शन !

भगवान श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन क्यों नहीं करने चाहिए
कहते है भगवान श्रीकृष्ण की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए, दरअसल पीठ के दर्शन न करने के संबंध में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की एक कथा प्रचलित है. कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण जरासंध से युद्ध कर रहे थे तब जरासंध का एक साथी असुर कालयवन भी भगवान से युद्ध करने आ पहुंचा. कालयवन श्रीकृष्ण के सामने पहुंचकर ललकारने लगा.
तब श्रीकृष्ण वहां से भाग निकले. इस तरह रणभूमि से भागने के कारण ही उनका नाम रणछोड़ पड़ा. जब श्रीकृष्ण भाग रहे थे तब कालयवन भी उनके पीछे-पीछे भागने लगा. इस तरह भगवान रणभूमि से भागे क्योंकि कालयवन के पिछले जन्मों के पुण्य बहुत अधिक थे और कृष्ण किसी को भी तब तक सजा नहीं देते जब कि पुण्य का बल शेष रहता है.
जिस तरह शिशुपाल की गालिया भी भगवान तब तक सुनते रहे जब तक उसके पुण्य शेष थे.गालियाँ पूरी होते ही जैसे ही उसके पुण्य क्षीण हुए भगवान ने चक्र से उसकी गर्दन को काट दी.
इसी तरह कालयवन कृष्णा की पीठ देखते हुए भागने लगा और इसी तरह उसका अधर्म बढऩे लगा क्योंकि भगवान की पीठ पर अधर्म का वास होता है और उसके दर्शन करने से अधर्म बढ़ता है.
"धर्म: स्तनोंsधर्मपथोsस्य पृष्ठम् "
श्रीमद्भागवत में द्वितीय स्कंध के, द्वितीय अध्याय के श्लोक ३२ में शुकदेव जी राजा परीक्षित को भगवान के विराट स्वरूप का वर्णन करते हुए कह रहे है- कि धर्म भगवान का स्तन और अधर्म पीठ है.
जब कालयवन के पुण्य का प्रभाव खत्म हो गया कृष्ण एक गुफा में चले गए. जहां मुचुकुंद नामक राजा निद्रासन में था. मुचुकुंद को देवराज इंद्र का वरदान था कि जो भी व्यक्ति राजा को निंद से जगाएगा और राजा की नजर पढ़ते ही वह भस्म हो जाएगा. कालयवन ने मुचुकुंद को कृष्ण समझकर उठा दिया और राजा की नजर पढ़ते ही राक्षस वहीं भस्म हो गया.
अत: भगवान श्री हरि की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे हमारे पुण्य कर्म का प्रभाव कम होता है और अधर्म बढ़ता है. कृष्णजी के हमेशा ही मुख की ओर से ही दर्शन करें. यदि भूलवश उनकी पीठ के दर्शन हो जाते हैं और भगवान से क्षमा याचना करनी चाहिए.🙌🏻🙏🏻
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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पूज्य बाबा
पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
📘 सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🍁 7⃣ 💎संयम💎 🍁

🌻१ । साधक के द्वारा अपने मन, वाणी एवं शरीर सों हैवे बारी समस्त चेष्टान कूँ कुमार्ग (विषयासक्ति) सों रोक कें शास्त्र अथवा सद् गुरु की आज्ञानुसार भगवत् (अध्यातम्) सम्बन्ध में निरन्तर लगानौ ही संयम है।

🌻२ । प्रत्येक साधक कूँ इन १४ कौ सुधार करनौ परम कर्तव्य है।

🍓१ । हाथ

🍓२ । पाँव

🍓३ । वाणी

🍓४ । मूत्र त्याग की इन्द्रिय

🍓५ । मल त्याग की इन्द्रिय

🌷ये पाँच कमेंद्रिय हैं

⬇तथा

🍒१ । श्रवण

🍒२ । नेत्र

🍒३ । रसना

🍒४ । घ्राणेन्द्रिय (नासिका)

🍒५ । त्वचा

🌷ये पाँच ज्ञानेन्द्रिय हैं।

⬇तथा

🌷अन्तःकरण चतुष्टय

🍊१ । मन

🍊२ ।बुद्धि

🍊३ ।चित्त

🍊४ ।अहंकार

🍎साधक के लिये यही कर्तव्य है कि इन सबन कूँ सतत् शुभ कर्मन में ही लगावै । यही संयम है

🍎तथाे इनकी सफलता समझै श्री भगवत् सेवा में लगावे में ही।


💎प्रस्तुति 📖 श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



मन्दिर के पिछवाड़े में प्रणाम करने की रूटीन सी है । नही करना चाहिए कभी भी । अनुमान करो । आप बेठे हों । कोई पीछे से आकर आपको प्रणाम करे । टच नही किया तो आपको पता ही नही चला तो आप आशीष क्या दोगे । आशीष नही तो प्रणाम व्यर्थ ।

और यदि पीठ को टच किया तो आपने चौंकना ही है । शिष्टाचार के विरुद्ध हो गया ।

फिर पीठ में अधर्म का वास है तो प्रणाम अधर्म को हो गया । अतः पीठ पीछे प्रणाम नहीं

जय श्री राधे । जय निताई
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



चित्रपट है तो चलेगा । दीवार पर प्रणाम नही करना चाहिए

ऐसे ही गोविन्द जू म संकल बजाते हैं । ये कोई परम्परा होगी शास्त्रीय नही ।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🎊🚿ब्रज के फाग उत्सवन की श्रृंखला🎊🚿


🚿12 फरवरी--बसन्त पंचमी

🚿07 मार्च    ---महाशिव रात्रि

🚿16मार्च -----फाग
 आमन्त्रणोत्सव>>

🚿नन्दगाव16 मार्च --लड्डू होली बरसाना

🚿17 मार्च ---लठामार होली बरसाना

🚿18 मार्च ---लठामार होली नन्दगांव

🚿19 मार्च ---जन्मभूमि  होली मथुरा

🚿23 मार्च ---होलिकादहन

🚿24 मार्च धूलिबन्धन(धूलेण्डी)

🚿25 मार्च --हुरंगा>>>
           दाऊजी,जाव,नन्दगाव

 🚿26 मार्च --हुरंगा>>बठैन, गिडोह


🙏बोल होरी के रसिया की जय🙏
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🚦     🚴      🚴    🚴  



 😂😂😂

लाल~ पर्रिकर या गुरुजनो के अश्रु में रुको

पीला~ उनके भाव सन्देश आदि पर अम्ल करो

हरा~ नाम आश्रय में जीवन उन्नति करो

थोडा फासला रखे। ट्रैफिक जाम हो सकता है
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



Apraadh
कोई पाप नही जिसका फल मिलेगा

जो हो गया सो हो गया
उसका फल विलम्ब भी मिल गया

बस अब पुनः न हो । बस इतना

अपराध से
विलम्ब होता है कोई पाप या उसका फल या नर्क नहीं मिलता जिससे बचा जाय
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



वाह अनंत
हरि अनंत
हरिदास अनंता
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



गलियों म 🚴
कुञ्ज गलियों में🚶🚶🚶
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎💎

इसका अर्थ है की

🔸🔸🔸🔸
🔶Maturity is when you understand that everyone is right in their own perspective.


🔷जब आप यह समझने लगें कि प्रत्येक व्यक्ति अपने अपने दृष्टिकोण के अनुसार सही है तो इसका तात्पर्य यही है कि आपकी सोच परिपक्व हो गई है।

  लगे रहो। शुभकामना।

📙📗📙📗📙📗📙📗📙
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🙏🏼🙏



🏼 भैया जी वो जो बिहारी जी के मंदिर के पीछे 1 हाथी समान मुख से जल आता है वो क्या है ??

पहले तो वह बिहारी जी के स्नान । उस गर्भ गृह की धोवन । चरणामृत आदि होता था ।

अब ऐसा सुनते है कि गोस्वामी जन तो तम्बाकू खाते हैं न अंदर सेवा से बाहर तो आ नही पाते । वो वहां पीक थूकते रहते हैं और एक लोटा पानी बहा देते हैं । वोही टपकता रहता है

लेकिन ये कितना सच कितना झूठ । ईश्वर जाने ।
[18:22, 1/31/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अपनी आयु से अधिक अपनी छवि का ध्यान रखें,
क्योंकि छवि की आयु आपकी आयु से अधिक है ।।

Saturday, 30 January 2016

[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 5⃣9⃣

🌿 कैसे-कैसे तप 🌿

👤शारीरिक तप

🍁देवता, ब्राह्मण ज्ञानीजन का पूजन, पवित्रता, सरलता, ब्रम्हचर्य, अहिंसा, का अभ्यास या आदत

🎶 वाणी का तप

🎈अनुदवेग, प्रिय भाषण, हितकारी भाषण, यथार्थ भाषण, शास्त्र -पठन, परमेश्वर का नाम जप का अभ्यास या आदत

🌟 मानसिक तप

🎧 मन की प्रसंता, शांतभाव, भगवद चिंतन की आदत, मन को मारने की आदत, अन्त करण में पवित्र विचार की आदत का अभ्यास

💧सात्विक तप

🍅 फल की कामना न रखकर शास्त्रआज्ञा से किया भजन ,पाठ, पूजा

💢 राजसिक तप

🙏सत्कार, सम्मान, स्वार्थ, पाखंड या छिपे हुए किसी उद्देश्य से किया गया

😇 अनुष्ठान

😡हठपूर्वक, मूढ़तापूर्वक,  न चाहते हुए, मन, वाणी, शरीर को कष्ट पहुंचाहते हुए अथवा दूसरे के अनिष्ट के लिए किया गया अनुष्ठान

🌿 तीन गुण 🌿

🐜 अपने घर के बाहर आंगन में यदि गंदा पानी इकट्ठा होने दोगे तो निश्चित है 'मच्छर ही आएंगे -तमोगुण

🐝 और यदि मधुमक्खी का छत्ता होगा तो शहद ले- लेकर मधुमक्खियां ही आएंगी -रजोगुण

🌻 हां ,यदि सुंदर -सुंदर फूलों के गार्डन होगा तो भंवरे आएंगे, भीनी- भीनी सुगंध आएंगी- सतोगुण

🌿भोगेगा कौन ?🌿

🎎परिवार- मित्र आदि के पालन हेतु आपके द्वारा किए गए पाप व अधर्म का फल अकेले आपको ही भोगना होगा ।परिवार नहीं भोगेगा ! सावधान !!

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कान्हा मेरे,
बस एक ख्वाइश मेरी,

छोड़ना ना अधूरी।

तेरी सेवा में मैं लगा रहूँ,
और कुछ नही है जरूरी।
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



मोतियों को तो बिखर जाने की आदत है,  लेकिन धागे की ज़िद होती है पिरोए रखने की !!  😊😊
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



गलती मानुष करत है
मानत है सो जागा
नही मानत डूबत है प्राणी
रावण कहत अभागा

जय हो आशीष जी
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

🔶रावण जब मृत्यु शय्या पर था, तो उसने श्रीराम से एक बात बहुत अच्छी कही-कि मैं तुमसे हर मामले मे बड़ा हुं, उम्र मे, बुद्धि मे, बल मे, मेरा कुटुम्ब भी तुमसे बड़ा हैं। मेरी लंका सोने की है, धन दौलत मे भी, मेरा राज्य भी तुमसे बड़ा है।

🔶इन सबके बाद भी हार गया, जानते हो क्यों? क्योंकि तुम्हारा भाई तुम्हारे साथ था। और मेरा भाई मेरे खिलाफ था। अंदरूनी एकता बनायें रखो। क्योंकि किसी भी पेड़ के कटने का किस्सा ना होता....अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता।

🔶परमाराध्य की वाणी है कि गलती होना स्वाभाविक है। गलती करने पर उसे न मानना अपराध है। किसी को नीचा दिखाने की कोशिश मत करो कि खुद ही उसकी नजरों से गिर जाओ।

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कृष्ण कहते है

करता तू वह है
जो तू चाहता है

परन्तु होता वह है
जो में चाहता हू

कर तू वह
जो में चाहता हू

फिर होगा वो
जो तू चाहेगा ।

फ़ॉर्वर्डेड । एडिटेड
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जहाँ ले चलोगे
वहीँ में रहूंगा
मुझे जो कहोगे
वही में बनूँगा
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


🐚🔔✨ जय गौर हरि ✨🔔🐚

📇सन् 1982........3⃣2⃣1⃣
📬30-01-2016

✨परमाराध्य महाराजश्री की वाणी।

🎐"हर वस्तु का अधायत्मिक प्रयोग....."

📨〽 "ज्यों की त्यों...."〽

📝परमाराध्य बड़े महाराजश्री जी कहते हैं,📎"श्रीमदभागवत के विविध संदर्भों में मुख्य रूप से ये चार बातें दोहराई जा रही हैं-एक हम शुद्ध रहें। दूसरी बात-हम जिसके पास रहें, वह अर्थ और काम में कम रहे। धर्म और मोक्ष में अधिक रहे। लेकिन धन्य है, यदि पूर्णरुपेण प्रेम में रहें। यह एक भागवत की अपनी आन्तरिक भंगी है। तीसरी बात- हम जिंदगी में बराबर सावधान, सचेत, सचेष्ट रहकर इस प्रकार रहें कि अंतिम समय में हम पवित्र बुद्धि और चित से प्रभु का स्मरण करते रहें। चौथी बात-जो कुछ भी हम अपने जीवन में करते हैं, उसे अपने लिए करेंगे तो कर्म है और लोकमंगल के लिए करेंगे तो वह धर्म और योग है।

🔸लेकिन लोकमंगल कैसे हो? अगर इसको ठीक नहीं समझेंगे तो गलतफहमी में पड़ जायेंगे। इसलिए प्रेम के आँसू की एक बूँद और हाथ के पानी का एक चुल्लू यदि गोविन्द के लिए समर्पित कर दें तो ब्राह्मण्ड भर के जीवों के पास पहुँच जाता है।  
🔹हरेक वस्तु का आध्यात्मिक प्रयोग करो। आत्मा के पटल पर प्रयोग करो तो राग नहीं होगा। द्वेष, काम, क्रोध नहीं होगा। गिला, शिकायत, नफरत नहीं होगी। आदमी अपने में नपा-तुला सीधा रहता हुआ अपने पक्ष में, लक्ष्य तक सहज रूप से पहुँच जाएगा।

🔸यह छोटी-सी बात है जो अठारह हजार श्लोकों का सार है। भगवान के एक लाख ग्यारह हजार अवतार हो गए आज के प्रसंग में।

🔹भगवान किस के देवता हैं? ठाकुर जी कुछ नहीं देते, यह ठाकुर बड़ा कठोर है, जितना तुम समझते हो, उतना कोमल नहीं है, तीन तरफ से टेढ़ा है। बढ़िया स्त्री कौन-सी होती है? जो वामा है। बेचारी सीधी-सादी तो दक्षिणा है। हाँ, तो वामा वह है जिसके कहने से पति उठता, बैठता, पानी पीता, खाता, सोता है। जिसके चलाए चलता है, बैठता है। उसको कहते हैं बामा नायिका। तो बुद्धि बामा और दक्षिणा है।

🔸लेकिन चतुर नायक कौन है? 'जो दोनों को काबू में करता है। ऐसे नायक कौन है? 'श्रीकृष्ण!' वामाओं और दक्षिणाओं का बुद्धि का भी यही रूप है। बुद्धि बामा और दक्षिणा है माने बुद्धि प्रतिकूल होती है और अनुकूल होती है। अनुकूल बुद्धि प्रतिकूलताओं में सुख पाती है। बुद्धि बिगड़ गई तो अपने पराए हो जाएँगे, बुद्धि ठीक रही तो गैर भी अपने हो जाएँगे।

क्रमश:......3⃣2⃣2⃣

  🙌🏼    🙏🏼    🙌🏼
✨जय गौर हरि✨
[संयुक्त सेवा परिकर]
📲9855172211

🐚।श्री राधारमणाय समर्पणम्।
      ◻◾◽🐚◾◽◼
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: •¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•

          3⃣0⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
             शनिवार माघ
             कृष्णपक्ष षष्ठी

                  •🌸•
               ◆~🌿~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🌸गौरांग महाप्रभु 🌸★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
               ◆~🌿~◆
                   •🌸•

      ❗प्रकाशानंद उद्धार❗

🌿     काशी में मायावादी शिष्यों के गुरु श्री प्रकाशानंद सरस्वती रहते थे जो गौरांग की निंदा करते थे l इस निंदा को सुन श्री गौरांग के कृपा प्राप्त श्री तपन मिश्र एवं श्री चंद्रशेखर को बहुत दुःख होता था l एक महाराष्ट्री ब्राह्मण ने श्री महाप्रभु को अपने घर भिक्षा की प्रार्थना की और श्री प्रकाशानंद को भी शिष्यों सहित  निमंत्रित किया l

🌿      श्री सरस्वती अपने शिष्यों के साथ उस ब्राह्मण के घर आये l श्री महाप्रभु के आने पर इतना अलौकिक तेज मानो साक्षात् नारायण ही पधारे हैं l श्री सरस्वती आसन से उठे और प्रभु को अपने पास ले जाकर बैठाया l बोले आप सन्यासी होकर भावुको की तरह नाचते गाते हो यह सन्यासियों का धर्म नहीं है lआपको तो ब्रह्मसूत्र का अध्ययन एवम् चिंतन करना चाहिए l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
            •★🌸★•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🎀श्रीकृष्णायसमर्पणं🎀•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •★🌸★•
         ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
   
•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣4⃣

  🙏हे जगन्नाथ प्रभो

👏भगवन्  अपने ही कर्मजनित पापो और संसार की विडम्बना से मैं दग्ध 😩 हो रही हूँ

🌟मेरे ही अपराधो के कारण मुझे असंख्यों बार यह सुनकर भी स्थिर प्रबोध, स्थिर वैराग्य नहीं होता कि - सम्पूर्ण प्राणी आदि से अव्यक्त है और अंत मे भी अव्यक्त ही हो जाने हैं ।

💢 संसार मे
सहस्त्रो माता-पिता👪 ,
सहस्त्रो पत्नीया - प्रेमिकाए 💃 सहस्त्रो पुत्र हुये👬 ...
जन्म-जन्मांतरों में जाने कितने ही संबंध हुये, परंतु अब कौन कहा हैं ?

 🌳किसका किससे सम्बंध रहा
यह यौवन ,
यह सौन्दर्य ,
यह द्रव्यसंचय ,
यह आरोग्य , जीवन , प्रियसंवास सब अनित्य है ।

👤 जैसे स्वप्न की मृत्यु असत्य होते हुये भी सत्य प्रतीत होती हैं , वही स्थिति इस भीषण दृश्य विषूचिका की हैं ।

🌷या तो वर्तमान इष्टानिष्टविप्रयोग-सम्प्रयोग-निमित्तों को दूर करो या व्यामोह को दूर करो या फिर अब शीघ्र ही अपने चरणो👣 में बुला लो ।

😲आपसे दूर रहकर .... भला कैसे शांति पाना संभव होगा?

🌷हे दयानिधे , जहा तक में देखती हू , मेरे समान कोई पातकी नहीं है और आपके समान पतितपावन कौन हैं ?

🙇 जो सिर केवल आपके व आपके भक्तो के चरणो में झुकना चाहिए था वह मृगमरीचिकामय प्राणियों के सामने झुका ।

🌻जो महत्व , जो गौरव आपके लिए उचित था, वह साधारण प्राणियों के प्रति किया गया।

🌵मेरे ही पापो के कारण आपकी ओर से हो रही मेरी उपेक्षा ही मेरे दुर्भाग्य का परिणाम हैं । पर मेरी निराशाओ की तो एकमेव आप ही आशा हो ।

 🙏इस संसार में अन्धे की यष्टि के तुल्य मुझ सरीखे प्रपंच-पतित-पशुओ का तो एकमात्र आप ही सहारा हो । क्षमा कीजिये, दया कीजिये, कृपा कीजिये । ॥जय जगन्नाथ।


क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भजन भक्ति

वेसे तो 4 प्रकार के लोग भजन करते हैं

1 । दुखन से दुखी
2 । जानकारी के लिए
3 । कामना पूर्ति
4 । भजन के लिए

ऊपर के 3 तो काम पूरा होने पर भजन छोड़ भी देते है । लेकिन भजन के लिए भजन करने वाले कभी नही छोड़ते ।

भजन के लिए भजन अर्थात कृष्ण को सुख देने के लिए भजन
अर्थात प्रेम ।

इसका एक निश्चित क्रम है

1 । श्रद्धा
उत्पन्न होती है कृष्ण में या भजन में
2 । साधू संग
कृष्ण प्रेम में जो लगे हैं ।भजन में जो लगे हैं उनका संग होता ह
3 । भजन प्रारम्भ
वे वैष्णवजन भजन की शिक्षा देकर भजन में प्रवेश कराते हैं

भजन में प्रवेश होते ही
1 । दैन्य आता ह या अहम जाता ह
2 । जितने भी क्लेश हैं वे धीरे धीरे समाप्त होते हैं ।

अब जो लोग कहते हैं कि घर वाले भजन नही करने देते । क्लेश करते हैं । वे अच्छी तरह समझ लें यदि क्लेश समाप्त होने की बजाय बढ़ रहे हैं तो वे भजन नही । व भजन क नाम  पर

1। अपने दायित्वों से भाग रहे हैं
2। अपनी भक्त होने की इगो
3। भजन क नाम पर दादागीरी
4। या कुछ और कर रहे हैं

मोटी बात क्लेश है तो भजन नही और भजन होगा तो क्लेश नहीं  । अतः भजन करिये भजन ।दैन्य सहित भजन । क्लेश छु मन्तर

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम जयश्रीराधे जय निताई
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🙏🏻🍁 6⃣ श्रद्धा

🍒काहू की आलोचना नहीं करैं।
काहू कौ अनिष्ट नहीं चाहैं।

🍒स्त्री जाति सों बचते रहैं।
द्रव्य कौ संपर्क नहीं राखें।

🍒"सबहिं मान आपु अमानी
भूलि न देहि कुमारग पाऊ

🍒सबके प्रिय हितकारी दुख सुख सरिस प्रसंसा आरी  आदि आदिक

🌻वेद पुरान,उपनिषद्,शास्त्र तथा सन्तन की वाणी  आदिक जो सद् गुण बतावैं हैं वास्तव में ये ही सदाचार हैं।

🌻साधक जैसे-जैसे इन सदाचारन कूँ अपने में भारतौ जाय है वैसे ही वैसे माया के प्रपञ्ज सों ऊपर उठ कें उत्थान के मार्ग में प्रवेश पातौ जाय है।

🍎परम कर्तव्य तथा परम धर्म यही है कि या सर्वोत्तम मानव जीवन कूँ पायकें सदैव सर्वोत्तम कर्म ही करें।

🍓संसार मार्ग में बड़ी सावधानी सों चलें।

🍓सत् पुरषन् कौ संग

🍓सद् ग्रन्थन कौ आलोडन

🍓सद् विचार एवं सतत् सत् कर्म।

💎प्रस्तुति 📖 श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

छोटा बालक छोटे साधक जैसे व्यर्थ की फरमाइशें करता है अपने प्रभु यानी माता पिता से

जैसे जैसे वो बड़ा होता जाता है वो अधिक महत्त्व की चीजें माँगने लगता है

सब भौतिक प्राप्त हो जाने पर उसे समझ आता है की माता पिता यानी प्रभु का सानिध्य और स्नेहाशीष ही अमूल्य है बाकी सब व्यर्थ है

अतः हम भी जल्द से जल्द मूल्यवान बात क्या है ये समझ लें तो फिर कल्याण है

यहां 1 बात का ध्यान अवश्य रहे की माँगना सिर्फ अपने माता पिता यानी 1 प्रभु से है

हर सबसे माँगने से ना कुछ मिलता है और फिर उसे क्या कहा जाता है ये हमें पता ही है

सभी वैष्णवों के चरणों में सादर प्रणाम

जय जय श्री राधे
जय गुरुदेव
जय श्री निताई
जय समस्त वैष्णव वृन्द
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎💎

इसका अर्थ है की

🔸🔸🔸🔸

🔶Maturity is when you accept people for who they are.


🔷जब आप जो व्यक्ति जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करने लगें तो यह आपकी परिपक्वता का परिचायक है।

  लगे रहो। शुभकामना।

📙📗📙📗📙📗📙📗📙
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 🌹  



 श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....

🌴स्वप्न हूँ में कर्णरंध्र नहिं मेरे करैं प्रवेश
🌱शास्त्र-वचन जिसमें नहिं वर्णन श्रीवन महिमा लेश।
🌴जो खल बन-महिमा सुनि प्रेमानंद न होंहि विभोर
🌱उनसों बात करों नहिं कबहुं देखौं नहिं तिन ओर॥

🌳अहो ! जिस शास्त्र में श्रीवृंदाविपिन की अति अद्भुत महिमा की कीर्ति नहीं गान की गई है, वह शास्त्र स्वप्न में भी मेरे कानों में प्रविष्ट न हो।जो समस्त दुष्ट लोग श्रीवृंदावन के वैभव को सुनकर प्रेमपूर्वक उल्लसित नहीं होते, उन्हें तो मैं देखना भी नहीं चाहता, और उनसे कभी मैं बोलना भी नहीं चाहता हूँ।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌷श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌷
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे.....1⃣7⃣

✨🌹उस ब्राह्मण ने कहा-एक बार माधवेन्द्रपुरी भ्रमण करते हुए मथुरा पधारे। उन्होंने मुझे शिष्यरूप मे अंगीकार किया और मेरे घर पर निवास किया। श्रीमन्महाप्रभु यह सुनते ही उसके चरणों पर गिर पड़े। बोले, आप मेरे गुरू समान हो। मैं आपका शिष्य हूँ।" ब्राह्मण ने कहा-संन्यासी और यह प्रेमाचरण ! मेरा मन कहता है तुम्हारा कुछ सम्बन्ध है श्रीमाधवेन्द्रपुरीजी से। एकमात्र कृष्णप्रेम वहाँ वर्तमान है जहाँ श्रीपुरी का सम्बन्ध है। उनसे सम्बन्ध के बिना कृष्णप्रेम की गन्ध भी कही और मिलना असम्भव है-

🙌किन्तु तोमार प्रेमि देखि मने अनुमानि।
🙌माधवेन्द्रपुरीर सम्बन्ध धर जानि।।
🙌कृष्णप्रेमा ताहां, यहाँ ताहार सम्बन्ध।
🙌ताहां विना एइ प्रेमार काहां नाहि गंध।।

✨🌹अत:व्रजप्रेम का यदि कहीं आविभार्व है तो वहाँ श्रीमाधवेन्द्रपुरी पाद के परम्परा सम्बन्ध से जानना चाहिए। फिर ऐसा कौन गौड़ीय-वैष्णव होगा अथवा श्रीमन्हाप्रभु सम्प्रदायानुगत वैष्णव होगा जो श्रीमाधवेन्द्रपुरी से अपना सम्बन्ध न मानकर किसी अन्य के साथ जोड़ेगा?

✨🌹श्रीपुरीपाद ने अन्त समय जिस श्लोक का उच्चारण करते हुए नित्यलीला मे प्रवेश किया, उसके सम्बन्ध मे श्रीकृष्णदास कविराज ने कहा है, रत्नों मे जैसे कौस्तभमणि सर्वोतम है, उसी प्रकार वह श्लोक समस्त रसकाव्य मे सर्वोतम है। उस श्लोक को श्रीराधाजी ने रचा और उनकी कृपा से उसकी स्फूर्ति हुई श्रीपुरी की वाणी मे, फिर उसका आस्वादन किया श्रीमन्महाप्रभु ने, इन तीनों को छोड़कर चौथा व्यक्ति कोई नहीं जो उसके भावों का आस्वादन कर सके-(श्रीचैतन्यचरितामृत २-४-२)

🐚एइ श्लोक कहियाछेन राधा-ठकुरानी।
🐚तारं कृपाय स्फुरियाछे माधवेन्द्र वाणी।।
🐚किवा गौरचन्द्र इहा करे आस्वादन।
🐚इहा आस्वादिते आर नाहि चौथजन।।

✨🌹वह श्लोकरत्न इस प्रकार है-

🐚अयि दीनदयार्द्-नाथ हे मथुरानाथ कदावलोक्यसे।
🐚हृदयं त्वदलोक कातरं दयति भ्राम्यति किं करोम्यहम्।।

🙌हे दीनजन प्रति परम दयालुप्रभो ! हे मथुरानाथ ! मुझे आपके दर्शन कब होगें? हे प्राणनाथ ! आपको देखे बिना मेरा हृदय अति व्याकुल हो रहा है, मैं क्या करूँ?'

✨🌹इस श्लोक-रत्न का आस्वादन करते हुए श्रीपुरीपाद ने संवत् १५७०,फाल्गुन द्वादशी के दिन नित्यलीला मे प्रवेश किया। आपका आविभार्व हुआ संवत् १४६६, नाग पंचमी के दिन श्रीरंगक्षेत्र निवासी श्रीगोविन्द भट्ट जी तथा श्रीरंगादेवी के घर। इस प्रकार १०४वर्ष पृथ्वीतल पर वर्तमान रहे।

✨🙏*श्रीमाधवेन्द्रपुरी पाद* के चरणों मे कोटिश दण्डवत प्रणाम। कल से *श्रीपाद ईश्वरपुरी गोस्वामी* के चरित्र पर चरण-चापन करने मे प्रयासरत।

✏क्रमश......1⃣8⃣

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:58, 1/30/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 6⃣0⃣

🌿 विकलता 🌿

🙌नित्य- निरंतर नाम- जप व प्रार्थना प्रेम प्राप्ति हेतु परम आवश्यक है अंग है विकलता।

🔄नाम -जप नियमित्त हो, संख्या पूर्वक हो, साथ ही पूर्ण निष्ठा- पूर्वक हो , यह भी आवश्यक है हाथ- पैर मारकर किसी प्रकार से उल्टा -सीधा एक लाख नाम- जप करने की अपेक्षा अति श्रद्धापूर्वक दस- बीस माला करना अधिक प्रभावी हो सकता है।

😌 साथ ही प्रभु -भजन में परम महत्वपूर्ण है -  'विकलता' यानी 'तड़फ' भजन करते समय प्रति क्षण ये तड़फ बनी रहे - क्यों ? आखिर क्यों ?

❓आपने प्रभु !मुझे अब तक क्यों दर्शन नहीं दिए ???  ये तड़फ या विकलता पैदा होते ही फिर प्रभु अधिक देर तक अपने आप को रोक नहीं पाएंगे !!!!!!!

🌿मदनमोहन जी का विग्रह 🌿

🔱मदन मोहन जी श्री विग्रह सतयुग में - महाराज अंबरीश द्वारा सेवित होता था

😼त्रेता में - रावण द्वारा रावण के उद्धार के पश्चात महारानी सीता द्वारा इन की पूजा की जाती थी।  सीता ने -शत्रुघ्न को बृज में स्थापित करने हेतु दिया ।

👱🏼द्वापर में- कृष्ण की मथुरा लीला की कांता कुब्जा द्वारा

👴🏻कलयुग में राजविप्लवो के बाद श्री अद्वैताचार्य को - आदित्य टीला के नीचे प्राप्त हुई यह श्री मूर्ति।

👵🏻श्री अद्वैत ने अपने पुरोहित परशुराम चतुर्वेदी को दी । परशुराम से श्री सनातन लाएं जो आज तक करौली व् वृंदावन में पूजित है।

😧 शायद यह ही ऐसी दुर्लभ मूर्ति है जो चारों युगों में पूजित हो रही है।

🌿गुरु चार प्रकार के🌿

🍁साक्षी रूप में विराजे शरीर में 🍁शिक्षा गुरु
🍁दीक्षा गुरु
🍁सदगुरुदेव

✋दीक्षागुरु जब मस्तक पर हाथ रखकर आत्मसात =स्वीकार कर ले तब सदगुरुदेव

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू

Friday, 29 January 2016


[18:04, 1/27/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia: 15993



•¡✽🎄🌹◆🐚◆🌹🎄✽¡•

        2⃣7⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
               बुधवार माघ
            कृष्णपक्ष तृतीया

                  •🌹•
               ◆~🐚~◆
       ◆!🎄जयनिताई🎄!◆  
  ★🐚गौरांग महाप्रभु 🐚★
       ◆!🎄श्रीचैतन्य🎄!◆
               ◆~🐚~◆
                    •🌹•

          ❗दक्षिण यात्रा❗

🎄     आपने भारत के समस्त दक्षिण प्रदेश मे भ्रमण किया और असंख्य लोगों को हरिनाम हरिभक्ति प्रदान कर कृतार्थ कर दिया lविशेषतः गोदावरी तीर पर श्री राय रामानंद के साथ बैठकर प्रभु ने साध्य साधन का अपूर्व कथोपकथन किया  और श्री राधा प्रेम को परम साध्य के रूप में निर्णय किया गया l

🎄     जीव के लिये श्री राधादास्य की आनुगत्यमयी सेवा ही उस परम साध्य का एक मात्र साधन निश्चित किया गया l दक्षिण यात्रा से नीलाचल लौट कर कुछ दिन बाद गौरांग श्री वृन्दावन के लिये रवाना हुए l

🎄   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
            •🌹🐚🌹•
         •🎄सुप्रभात🎄•
 •🐚श्रीकृष्णायसमर्पणं🐚•
     •🎄जैश्रीराधेश्याम🎄•
             •🌹🐚🌹•
         ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡✽🎄🌹◆🐚◆🌹🎄✽¡•
[18:04, 1/27/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



हमारा सिलेबस

भक्ति । भजन एक पूरा कोर्स है
अपनी अपनी योग्यता एवम् इनपुट के अनुसार इसमें दिन महीने साल और जन्म लग जाते हैं । ये ओपन टाइम है ।

इसमें फ़ैल नही होते हैं । गति तेज व् कम होती है साधक की

जिस स्तर पर साधक एक जन्म में पहुँचता है । अगला जन्म उससे आगे की स्तर पर होता है । व्यर्थ कुछ भी नही जाता है

इसके किताबें । ग्रन्थ भी हैं । भृम या गड़बड़ी तब होती ह जब हम अपने स्तर से ऊपर की या नीचे की पुस्तकें पढ़ लेते हैं

निचले स्तर में अधिक हानि नही होती । उच्च स्तर का ग्रन्थ पढ़ने से या तो भृमित होते हैं या उसका अनुभव नही होता अयोग्यता के कारण ।

हम बहुत से कथावाचक भी पात्र अपात्र के विचार के बिना बड़ी बड़ी बातें अयोग्य लोगों को सूना देते हैं ।

शास्त्रों में कुछ अपवाद भी होते हैं
अपवाद कभी नियम या सिस्टम नही होते । हमे आपको नियम से ही चलना होता है ।

इसलिए यदि कुछ विरोध सा लगता है तो वह विरोध नहीं । स्तर के अंतर के कारण है

ठीक वेसे जेसे 4 के बच्चे को टेबल याद करने का आदेश है आवश्यक है । 12 के बच्चे के लिए टेबल याद करने की कोई आवश्यकता नहीं ।

अतः अपने स्तर पर रहेंगे तो ठीक रहेगा । जहां जहाँ दृष्टि वहां वहां कृष्ण । ये बहुत ऊँची अवस्था है
इस अवस्था में यदि ढोलक में कृष्ण नज़र आते हैं तो ढोलक को लगने वाले अपने पैर में भी कृष्ण नज़र आने चाहिए । ये अधकचरी अवस्था है ।

बहुत सूक्ष्म चिंतन है मेरे दोस्त ।गाली देने वाली भी कृष्ण । गाली खाने वाली भी कृष्ण । कृष्ण कृष्ण को गाली दे रहा है । फिर परेशानी क्यों  । चिंतन कीजिये ।

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[18:04, 1/27/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

कहाँ जाना है यह ध्यान रखना है

कहाँ नहीं जाना वाले स्थान अपने आप छूटते जाएँगे

आप हम के साथ जीवन में बहुत बार हुआ है guarantee के साथ की कभी कोई शारीरिक तकलीफ होते हुए भी कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है की उस तकलीफ को बिलकुल भूल कर कोई दुसरा आवश्यक कार्य सम्पूर्ण करना ही पड़ता है

मतलब हम में ऐसा कर सकने की ताकत है

तो यदि इस ताकत को आदत बना लें तो जीवन में बस सुख और कृपा ही दृष्टिगोचर होंगे

तो बस चिंतन सिर्फ भगवद् परक विषयों का ही रखें

बहुत कठिन नहीं है

अभ्यास से अपने आप होने लगेगा

शेष तो हम सब पर वैष्णव पर्रिकर की कृपा और स्नेह है ही

सभी के चरणों में सादर प्रणाम

जय जय श्री राधे
जय गुरुदेव
जय श्री निताई
[18:04, 1/27/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚जय जय श्रीगोपालभट्ट गुणमंजरी ll

🔸क्षण क्षण नव अनुराग भाव की पंजरी l
🔸लिये सेवा उपहार थार कर कंजरी ll

🐚पीवत रूप अनूप नैन की अंजरी l
🐚अंजरी भरी रूप पीवत जीवत निशिदिन सनजरी ll

🔸लवंग श्रीरति मंज्जरी युत वीण मृदंग मज्जरी l
🔸सुरमिलि गावत बजावत कौउ नहि जहाँ जंजरी ll

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[18:04, 1/27/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

🙏🏻 पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
🍏 सार वचन उपदेश 🍊

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🙏🏻🍁 3⃣ श्रद्धा

🌷श्रद्धा में भयंकर विघ्न है अपनी बुद्धि

एक विचारणीय विषय है कि सांसारिक बुद्धि श्रद्धा के समान अति उच्च वस्तु कूँ कैसे तौल पावैगी।

जा कांटे पै लकरी या कोयला तौले जायेँ हैं वा कांटे पै चाँदी या सोना कैसे तौल सकै है

अतएव भगवती श्री श्रद्धा महारानी कूँ बहुत ही बचावै, अपनी बुद्धि के तराजू में तौलवे सों।

यदि श्रद्धा संभार कै राखते बनै तौ यह बढ़ती ही जाय है।

🌺श्रद्धा कौ अन्तिम फल ही श्री भगवद् प्रेम या आत्मबोध

बहुत ही सावधानता राखै
श्रद्धा ऐसे शीघ्र उड़ जाय है जैसे कपूर। या कारण श्री श्रद्धा महारानी कूँ बहुत ही संभार कै राखै।

🌻जाके कोटिन जन्मन की सुकृति उदय होंय हैं वाही के अन्तः करण में सात्विकी श्रद्धा

🌻उपजै है
🌻रुकै है
🌻बढै है
🌻बढ़ती जाय है
🍎अतृप्ति की भावना होय है।

हाँ ये सबरी बातें यदि लेनी चाहै तौ एक ही अभ्यास करै

कहाँ मैं तुच्छ और कहाँ ये जिन सों श्रद्धा प्राप्त  भयी। यही युक्ति है श्री श्रद्धा महारानी के रोकवे की।

🍒श्रद्धावान् जितेंद्रय बने है
🍒श्रद्धावान् सोम्य होय है।
🍒श्रद्धावान् शान्त होय है।
🍒श्रद्धावान् गम्भीर होय है।
🍒श्रद्धावान् नियमपालक होय
🍒श्रद्धावान् अपने कर्तव्यपालन में परम द्रढ़ होय है।
🍒श्रद्धावान् दैन्य की मूर्ति होय
🍒श्रद्धावान् में समस्त सद् गुण स्वयं आयकें निवास करें हैं।
🍒श्रद्धावान् कौ पतन नहीं।
🍒श्रद्धावान् अहंकारी नहीं होय
🍒श्रद्धावान् कूँ अवश्य ही प्रेमी बननौ ही परैगौ ।

💎प्रस्तुति । 📖श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कोई
मुझ सा
नही
जमाने में

ये
मेरी तारीफ़ है
या ताना है
😳
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कान्हा तेरे बिना जिंदगी का साज भी क्या साज है,
बज रहा है मगर बेआवाज है ...😭😭
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



साज़ और आवाज़
की क्या चले
मोहन
हम नाज़
उठाते रहे
तुम
बाज़ न आये
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 बेबस हु क्या कहू सखी में
जीमती न मर रही

इक इक स्वास् में राधा कृष्ण
सिमिर रही

कबहु तो सुन लेंगे युगल
इस दींन की पुकार को

इक यही आस लेकर सखी
जीवन बसर में कर रही

तरस रहे हे नैन मेरे
रूप सुधा रस पान को

कहू कैसे पीर अपनी
इस जगत अनजान को

कर जोर विनती ह यही
सुन लो यशोमती नंदना

ले चलो अब वृन्दा विपिन
बस यही हे मेरी वंदना।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



मिले तो
छोड़ जाते हो
यूँ मुखड़ा
मोड़ जाते हो
मिलोगे
फिर कभी
हमसे ये वादा
जोड़ जाते हो

चले जाओ
मुनासिब है तुम्हे
बता दें हम भी
पक्के हैं
वहीँ पर पाओगे
हमको
जहाँ पर
छोड़ जाते हो
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जहाँ
आनंद का
दरिया

मुलाकातों
का खुश
ज़रिया

बहाएं
आंसुओं को
क्यों
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



तू सारे
जहाँ को
बिसार दे
वो तेरे
दिनों को
सवार दे
सपनों की
बात क्या
चली
वो सबके
सामने
तुझे बहार दे
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



वो रोये
रात भर
यूँ ही
जो पूछा
तो बोले
ये रोना
तो बहाना था
हमे
तुमको हसाना
था
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



ओह
ये माया
बात आया की
वो आया
आ गया देखो
दिलों से देख ले
उसको
करो न बात
काया की
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



वो
तारणहार है
प्यारा
उसी ने
कितनो को
तारा
वो तारेगा
हमे इक दिन
यही तो
कहता ये
बेचारा
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



किये
दीदार
जिसने हैं
वो
नाकाबिल
हुआ बन्दा

बचाये
रखना अपने को
जो
दुनिया
को
समझना ह
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



दीदार कर
जो नाकाबिल हुआ
बन्दा
दीदार उसका
कर काबिल हुआ
बन्दा
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



रस्ते भर रो रो
कर पूछा
मुझसे
पांव  के
छालो ने

बस्ती कितनी
दूर बसा ली
दिल में
रहने
वालों ने
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:


💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 5⃣7⃣

🌿 प्रारब्ध 🌿

🌺 हानि
🌺 लाभ
🌺 जीवन
🌺 मरण
🌺 यश
🌺 अपयश

ये 6  प्रारब्ध के वश में है  प्रारब्ध क्या है? पिछले जन्म में किए गए अच्छे - बुरे कर्मों के फल का इस जन्म में मिलना शुरू हो  जाना ही प्रारब्ध है।

💐" दैव -दैव आलसी पुकारा"  सब कुछ प्रारब्ध या दैव के अधीन है - ऐसा आलसी कहते हैं।  यदि ये  मान ही  लिया जाए कि पूरा जीवन प्रारब्ध के वशीभूत है और पिछले जन्म के कर्मों के फल का नाम प्रारब्ध है तो आगामी जन्म का प्रारब्ध बनाने के लिए भी तो इस जन्म में कर्म करने चाहिए। अतः अवश्य ही कर्म -कार्यों में परिश्रम से अनवरत लगे रहना है।

🌿ग्रंथ,  विग्रह,  संत🌿

ग्रन्थ:  श्री विग्रह: संत - तीनों ही मेरे स्वरुप है। इन तीनो में मेरा आविर्भाव है।

📕 ग्रंथ -शास्त्र
🎅 श्री विग्रह मूर्ति
👳🏻  संत

👤मेरा अपराधी बच सकता है। पर मेरे भक्त का अपराधी नहीं बचेगा।  मेरे भक्त अंबरीश का अपराध करने पर दुर्वासा तीनों लोगों में भागते रहे।  अंततः अंबरीश से अपराध क्षमा कराने पहुंचे तो परम भक्त परम दैन्य अम्बरीष ने ही उन्हे निर्भय किया और कहा कि आपने तो मेरे प्रति अपराध किया ही नहीं।

👴🏻संत और भक्त भी वास्तविक हो भक्ति का मुख्य लक्षण है- दैन्य या दीनता ।

🌿रज -रानी🌿

👩🏻 एक रानी ही दूसरी रानी से मिला सकती है। राधा रानी से मिलना है तो सहज प्राप्त वृंदावन की रज रानी की सेवा उपासना करो राजरानी ही राधा रानी से मिला देगी।

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



नींद  रूठे हुए लोगो को
मना लाई है
आँख खोलूंगा तो
फिर बिखर जाएंगे
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



चलो चलो री किशोरी
स्वामी राम स्वरूप जी रासधारी के पूज्य पिता जी श्री मेघश्याम जी की रचना है । 10 में से 9 रास लीलाएं इसी पद से प्रारम्भ होती थीं
इसमें एक लाइन ठाकुर जी
एक लाइन प्रिया जू गाती थीं और दर्शक अश्रु बहाते थे

मेघश्याम जी इतने भावपूर्ण भजन लिखते और लीलांकन करते थे कि एक समय वे पागल हो गए थे । भाव में सुध बुध खो गई थी उनकी
ऐसे दिव्य संत की वाणी में रस या भाव क्यों नही होगा ।
शीघ्रता में रिकॉर्ड किया था मेने लेकिन स्वयं सूना तो गदगद हो रहा हूँ । जय जय ।
सुनीता जी को साधुवाद । उनके प्रयास से ये आनंद मिला ।
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•

        2⃣8⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
               गुरुवार माघ
            कृष्णपक्ष चतुर्थी

                  •🌸•
               ◆~🌿~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🌸गौरांग महाप्रभु 🌸★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
               ◆~🌿~◆
                   •🌸•

        ❗श्रीवृन्दावन यात्रा❗

🌿     एक बार गौरांग ने वृंदावन जाने का विचार किया और रामकेलि ग्राम तक आये lवहां श्री सनातन एवं श्री रूप गोस्वामी से मिलन हुआ lअसंख्य लोगो को साथ जाते देख श्री सनातन गोस्वामी जी ने प्रार्थना की प्रभो इतने लोगो के साथ आपका जाना उचित नहीं l वृन्दावन का रसास्वादन तो एकांत मे हो सकता है l उनके परामर्श से नीलाचल वापस चले आये l

🌿      दूसरी बार आप झारखण्ड के रास्ते केवल एक सेवक को लेकर वृन्दावन पधारे l रास्ते में सिंह चीता आदि अनेक हिंसक पशुओ को प्रेम दान किया l श्री ब्रजमण्डल में चौबीस घाटों पर स्नान और द्वादश वनो की यात्रा की l लुप्त हुए श्री श्याम कुण्ड तथा श्री राधा कुण्ड को पुनः प्रकाशित किया और स्नान कर राधाकुण्ड की रज मस्तक पर धारण की l

🌿    श्री गोवर्धन का दर्शन कर श्री महाप्रभु प्रेमोन्मत्त हो उठे l श्री गोपाल जी के दर्शन कर श्री गिरिराज की परिक्रमा की l श्री नंदीश्वर तथा वहां गुफा में श्री नन्द यशोदा एवम् श्री कृष्ण के दर्शन किये l अक्रूर घाट पर तो यमुना जी में कूद पड़े l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
            •★🌸★•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🎀श्रीकृष्णायसमर्पणं🎀•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •★🌸★•
         ¥﹏*)•🎀•(*﹏¥
   
•¡✽🌸🌿◆🎀◆🌿🌸✽¡•
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



जी । जब प्रेम हो जाता ह तो संख्या छूट जाती ह । जेसे चन्द्रशेखर बाबा । जिसे दिन भर भजन ही करना ह वो क्या गिनेगा
लेकिन हम आप उस प्रेम तक पहुचने के लिए संख्या सहित नाम लेते हैं । लेना ज़रूरी भी ह । नही तो एक दिन सब छूट जाएगा
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣2⃣

  🙏हे जगन्नाथ प्रभो

💐जितना सत्य यह हैं कि 'तुम ही मेरी माता' 'मेरे पिता हो'

 👬उतना ही सत्य यह भी है कि मैं तुम्हारी योग्य संतान नहीं हूँ।

 👣निश्चित ही मैं तो तुम्हारे विग्रह तक के चरणारविन्द-स्पर्श का भी अधिकारी नहीं हूँ,पर फिर भी अधम से अधम , पतित से पतित संतान की भी माता कब उपेक्षा करती हैं?

 👏हे नाथ मैं तो आपके चरणो👣 की प्राप्ति करने हेतु सुने गए साधनो का अनुष्ठान करने में भी अल्साती हूँ,

🎢पर विषयो का मार्ग बड़ा ही रोचक व सुखकर प्रतीत होता है।

 🌷परंतु मैंने यह भी सुना है जिस पर भी आपकी कृपा हुयी है ... वह आपकी ही ओर चल🚶पड़ा हैं ।

👀हे कृपण-वत्सल , आपकी कृपादृष्टि की वृष्टि के बिना मेरे सब उपाय सब साधन व्यर्थ ही हैं।

क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



शुद्धि
दो प्रकार की

आंतरिक । अर्थात मन की । विचार की । भावना आदि की

बाह्य । अर्थात वस्त्र की । शरीर की । आसन की । स्थान की

वृन्दाबन हमारे ठाकुर का धाम है क्रीड़ा स्थल है । लीला स्थल है । बहुत से वैष्णव यहाँ दर्शन पर्सन के लिए आते हैं ।

आप यहाँ आये और यदि आपके आने से ब्रजवासियों को या अन्य आगंतुक वैष्णवों कष्ट हुआ तो आप धाम के प्रति । वैष्णवों के प्रति । ब्रजवासियों के प्रति अपराध करके जा रहे हैं

आप के मन में तो श्रद्धा है । आंतरिक भाव है लेकिन बाह्य भाव का अभाव हो गया । शायद आपको पता भी न चला । अतः

धाम में आने पर एक गार्बेज बैग साथ लाएं । अपना गार्बेज उसमे रखें और या तो धाम में कहीं डस्ट बिन में डालें । और शार्ट विज़िट हो तो वापसी में ट्रेन या कार से कहीं जंगल में डालें ।

आप यदि कार से आये हैं तो कार को दूर पार्किंग में ही खड़ा करें । 50 रु बचा के अपराध सर पर न लें । गलत जगह पार्किंग से अन्य वैष्णवजन को कष्ट का कारण बनते हैं आप ।

वेसे भी सवारी में बेथ कर मन्दिर जाना एक सेवा अपराध है । जितना हो सके कार को दूर छोड़ दें । यथा सम्भव पैदल या तुमतुम से जाएँ ।

इस प्रकार धाम की बाह्य शुद्धि के प्रति एवम् अन्य अपराधो से बचते हुए धाम की और अधिक कृपा प्राप्त करेंगे हम ।

समस्त वैष्णवजन को मेरा सादर प्रणाम जयश्रीराधे जय निताई
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अहम्

मेरे गुरुदेव
मेरे इष्ट
मेरी उपासना
मेरी सम्प्रदाय आदि

और मेरा वत्सप्प ग्रुप

दूसरों से श्रेष्ठ है । बेहतर है । ऐसा और कोई नहीं । ये भी सूक्ष्म अहम् है । इससे भी बचना है

लगता तो ये है कि हम
गुरु
इष्ट
सम्प्रदाय
ग्रुप की
प्रशंसा कर रहे है । लेकिन झांक कर अंदर देखने से पता चलता है कि ये हमारा ह । इसलिए कर रहे हैं । अतः सावधान ।

जय श्री राधे । जय निताई
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

🙏🏻पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
🍏🍊सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🙏🏻🍁 4⃣ श्रद्धा

🔔श्रद्धा की महिमा🔔

🌼श्रीगीताजी में स्वयं श्रीकृष्ण जीवनधन याकी महिमा कौ वर्णन कर रहे हैं-या सों अधिक अब कोई कह ही का सकै है-

🌻"श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं तत्परः संयतेन्द्रियः।"

 श्रद्धावान् ज्ञानं लभते
तत्परः (भवति) एवं
संयतेन्द्रियः (च भवति)

🍊एक श्रद्धा कौ दृढ़ आश्रय ग्रहण करवे सों स्वतः ही ज्ञान प्राप्त है जाय है। ज्ञान प्राप्ति के लिये कोई कठिन प्रयास नहीं करनौ परै है।

🍎जो श्री भगवद् प्रेम के इच्छुक हैं इनके लिये कह रहे हैं-तत्परः वह प्रेम कौ अभिलाषी सर्वतोभाव सों श्री भगवत् कौ बन जाय है।

🍓चाहै ज्ञानी बनै
चाहै प्रेमी बनै किन्तु
दुहुँ कहँ काम क्रोध रिपु नाहि

🍒बिना पूर्ण सदाचारी बने
न ज्ञान मिलै न प्रेम मिलै।

🍒याही सों श्री प्राणनाथ आज्ञा कर रहे हैं -संयतेंद्रियः

🍋श्रद्धावान् पूर्ण संयमी बनै है।
वाकी कोई इन्द्रिय कुमार्ग में नहीं जाय है

🌻यह है गयौ सदाचार
एक श्रद्धा के आश्रय सों

🌻ज्ञानी बन सकै है।
प्रेमी बन सकै है।

🌺साथ ही सदाचारी बन सकै है।

विचार कै देखौ जाय तौ ये ही  महादुस्तर हैं। तथापि श्रद्धा की महिमा कितनी अपार है

🌺कि श्रद्धावान् के लिये ये तीनों ही महादुर्लभ ज्ञान प्रेम एवं पूर्ण सदाचारी जीवन अनायास ही प्राप्त है जाय है।

💎 प्रस्तुति 📖 श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भैया जी की कलम से

अगर गुरु धारण नहीं करे हैं तो प्रभु से प्रार्थना में लग जाएँ की जल्द हमें पक्का घड़ा बना दो प्रभु जी

फिर भगवान गुरु मिलन करा देंगे और गुरु प्रभु मिलन

यही सिस्टम है

सभी वैष्णवों के चरणों में सादर प्रणाम

जय जय श्री राधे
जय श्री गुरुदेव
जय निताई
जय जय भैया जी और उन समस्त वैष्णवों की जिन्होंने इस पर्रिकर को रास मंडल का सुख प्रदान किया है
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे.....1⃣5⃣

✨🌹श्रीगोपीनाथ के सानन्द दर्शन किए। अब तो सेवक-पुजारी इन्हें जान चुके थे। माला-प्रसाद देकर इनका उन्होंने सम्मान किया। रात्रि को उस मन्दिर मे आप सोये। रात्रि को स्वप्न मे श्रीगोपाल जी आकर कहने लगे-"हे माधवेन्द्र ! तुम्हारा चन्दन-कपूर्र मुझे यहाँ गोवर्धन मे प्राप्त हो गया है। जो तुम्हारे पास है उसे रेमुणा मे ही श्रीगोपीनाथ जी के अंग मे नित्य लेप करने की व्यवस्था करो। उस से ही मेरा सब ताप दूर होता रहेगा, "क्योंकि श्रीगोपीनाथ और मैं एक ही हैं। विश्वास पूर्वक मेरी आज्ञा का पालन करना।"

✨🌹आपने मन्दिर के पुजारी-सेवकों को श्रीगोपाल का स्वप्नादेश सुनाया। सब आनन्दित होकर नाच उठे। नित्यप्रति चन्दन-कपू्र्र घिसकर श्रीगोपीनाथ जी के श्रीअंगों पर चढ़ाया जाने लगा। गर्मी के दिन तो थे ही, श्रीगोपीनाथ जी भी अति आनन्दित हुए। जितने दिन तक वह चन्दन-कपूर्र रहा श्रीपुरी जी रेमुणा मे रहे। समाप्त होने पर आज्ञा लेकर फिर नीलाचल चले आए। चातुर्मास्य वहाँ ही बिताया। पुनः आप श्रीगोपाल जी के पास न जा पाये। इधर श्रीगोपाल जी के सेवक-दो बंगाली ब्राह्मणों के देहावसान के बाद श्रीमञि्त्यानन्द प्रभु के दीक्षित शिष्य भाग्यवान् गौड़ीय वैष्णव श्रीरामरायजी ने श्रीगोपाल जी की सेवा का भार सम्भाला।

✨🌹उस समय गोवर्धन श्रीराधाकुण्ड मे श्रीरघुनाथदास गोस्वामी सर्व वैष्णव-शिरोमणि होकर विराजमान है। उन गौड़ीय वैष्णवों ने श्रीपाददास गोस्वामी जी से सेवा के विषय मे विचार-परामर्श किया। क्योंकि अनन्त तो सम्पत्ति हैं श्रीगोपाल जी की एवं सेवा भोगराग की लम्बी चौड़ी-व्यवस्था। एक जने के बस की बात नहीं है। तब श्रीरघुनाथदास गोस्वामी की आज्ञा से श्रीविट्ठलेश गोस्वामी जी को श्रीगोपाल-सेवा का भार सौंप दिया गया। वे उस समय मथुरा मे निवास करते। वे श्रीगौंरागलीला मे परम-विहृल रहते। उनके घर मे श्रीकृष्णचैतन्य विग्रह की सेवा है ही-जिस समय श्रीराघव पण्डित तथा श्री निवासाचार्य व्रजमण्डल की परिक्रमा करने आये, तो श्रीविट्ठलेश जी के यहाँ आकर रहे और उनके घर श्रीकृष्ण-चैतन्य महाप्रभु के दर्शन कर परमानन्द प्राप्त किया-

✨विट्ठलेर सेवा कृष्णचैतन्य विग्रह।
✨ताहार दर्शने हैल परम आग्रह।।

✏क्रमश......1⃣6⃣

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कर्म का शास्त्रीय परिचय

🔔1 मदर्पण कर्म

उन कर्मोंको कहते हैं जिनका उद्देश्य पहले कुछ और हो किन्तु कर्म करते समय अथवा कर्म करनेके बाद उनको भगवान के अर्पण कर दिया जाय।

🔔2 मदर्थ कर्म

वे कर्म हैं जो आरम्भसे ही भगवान के लिये किये जायँ अथवा जो भगवत्सेवारूप हों ।

💧भगवत्प्राप्तिके लिये कर्म करना

💧भगवान की आज्ञा मानकर कर्म करना

💧और भगवान की
प्रसन्नताके लिये कर्म करना

ये सभी भगवदर्थ कर्म हैं।

🔔3 मत्कर्म

भगवान्का ही काम समझकर सम्पूर्ण लौकिक
(व्यापार नौकरी आदि) और भगवत्सम्बन्धी (जप ध्यान आदि) कर्मोंको करना मत्कर्म है।

वास्तवमें कर्म कैसे भी किये
जायँ? उनका उद्देश्य एकमात्र भगवत्प्राप्ति ही होना
चाहिये।

🔔उपर्युक्त तीनों ही प्रकारो
मदर्पणकर्म
मदर्थकर्म
मत्कर्म

से सिद्धि प्राप्त करनेवाले साधकका कर्मोंसे किञ्चिन्मात्र भी सम्बन्ध नहीं रहता क्योंकि उसमें न तो फलेच्छा और न कर्तृत्वाभिमान है और न पदार्थोंमें
और

👴🏻शरीर
🍊मन
😳बुद्धि
तथा इन्द्रियोंमें ममता ही है।

जब कर्म करनेके साधन शरीर मन बुद्धि आदि ही अपने नहीं हैं?

तो फिर कर्मोंमें ममता हो ही कैसे सकती है। इस प्रकार कर्मोंसे सर्वथा मुक्त हो जाना ही वास्तविक समर्पण है

🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 5⃣8⃣

🌿 दुष्टो के लक्षण 🌿

💥ये प्रवृत्ति व निवृति दोनों को नहीं जानते। इन में ब्राहय शुद्धि का अभाव, श्रेष्ठ आचरण का अभाव,  सत्य भाषण का अभाव होता है। जगत का कारण काम है : ये जगत स्त्री - पुरुष के संयोग से बना है। विषय भोगों हेतु अन्याय अधर्म पूर्वक अर्थ उपार्जन करते है।  इतना धन हो गया इतना और इतना हो जाए गा। ये शत्रु मारा गया इसे और मार देंगे ।

👨🏻मैं ही सर्व समर्थ हूँ। बलवान हूं। समस्त सुखों को भोग रहा हूं। मेरा ही तो राज है मैं धनी हूं। बड़े कुटुंब वाला हूं।  मेरे समान कौन है। मेरे पास सब साधन हैं। मैं ही श्रेष्ठ हूं। अहंकार, बल, घमंड, कामना।  क्रोध आदि के वशीभूत होकर दूसरे की निंदा करना ही दुष्टो का स्वभाव होता है।

🌿सबसे श्रेष्ठ मार्ग मेरा 🌿

🍁अध्यात्म या धर्म के जिस मार्ग पर मैं चल रहा हूं,  वह ठीक है,  लेकिन केवल यही मार्ग  है और यही सर्वश्रेष्ठ है।  ऐसा नहीं है,  मार्ग और भी हैं श्रेष्ठ भी हैं । जो जहां लगा है लगने दो से वहां।

 👳🏻मैं जहां हूं,  लगा रहूँ, और अपने दिल दिमाग के रास्ते खुले रखु तो श्रेष्ठता की ओर बढ़ता रहूंगा । अन्यथा मेरी प्रगति यहीं रुक जाएगी।

🌿मुख किसकी और🌿

🌹सुख एवं प्रकाश स्वरूप श्री भगवान की और पीठ करने पर सामने होगा दुख एवं अंधकार।  इसके विपरीत श्री भगवान की ओर मुख करने पर पीछे रह जाएगा दुख एवं अंधकार इस सम्मुख होगा सुख एवं प्रकाश

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🔅🌹◆🔆◆🌹🔅✽¡•
     
🌹      श्रद्धेय रामसुख दास जी के वचनानुसार श्रद्धा ही आध्यत्म का मूल है lजो शास्त्रों में लिखा है तथा जो संत जन कहते है उसको बिना सोचे विचारे वैसे ही मान लेने का नाम श्रद्धा है l

🌹     कलियुग में श्रद्धा ही दुर्लभ है और सात्त्वि की श्रद्धा तो अत्यंत दुर्लभ है l जिस के हृदय में सात्त्वि की श्रद्धा उत्पन्न हो उसके ऊपर तो श्री भगवान की अपार कृपा समझ लेना चाहिए l

🌹      श्रद्धा का अंतिम फल है श्री भगवत प्रेम l बहुत ही सावधान रहना चाहिए l श्रद्धा कपूर की भांति उड़ जाती है अतः श्रद्धा महारानी को बहुत ही संभाल कर रखना चाहिए l
                        ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
            •🌹🔆🌹•
      •🔅कृष्णमयरात्रि🔅•
 •🌹श्रीकृष्णायसमर्पणं🌹•
     •🔅जैश्रीराधेश्याम🔅•
            •🌹🔆🌹•
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡✽🔅🌹◆🔆◆🌹🔅✽¡•
[23:03, 1/28/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....

🌱शुद्धोज्ज्वल रस प्रेम सुधानिधि परम उदार अपार।
🌱मो गति वृंदाविपिन उदित जहं राधानाम सुखसार॥

🌳अनंत अपार शुद्ध उज्जवल प्रेमरस समुद्र का सार रूप अनिर्वचनीय परम दानशील श्रीराधा नाम जहाँ प्रकाशित होता है, वह वृन्दावन ही मेरी गति है।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌸🍃◆🍂◆🍃🌸✽¡•

        2⃣9⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
               शुक्रवार माघ
             कृष्णपक्ष पंचमी

                  •🌸•
               ◆~🍂~◆
       ◆!🍂जयनिताई🍂!◆  
  ★🌸गौरांग महाप्रभु 🌸★
       ◆!🍂श्रीचैतन्य🍂!◆
               ◆~🍂~◆
                   •🌸•

   ❗मलेच्छ पठान उद्धार❗

🌿    मथुरा मण्डल से वापिस प्रयाग आते समय एक वृक्ष के नीचे जब आप विश्राम कर रहे थे तो वहां दस पठान डाकू उनके साथ बिजली खान नामक यवन राजकुमार भी था l उन्होंने समझा कि सन्यासी को साथ के लोगों ने धतूरा खिलाकर इनकी धन सम्पत्ति छुड़ा ली है lपठानों ने महाप्रभु के साथियों को वृक्ष से बाँध दिया और उनको मार डालने को तैयार हो गये l

🌿      इतने में महाप्रभु कप चेतना आ गई l श्री महाप्रभु ने कृष्ण कृष्ण उच्चारण किया l पठानों में प्रेम उदय हो उठा उन्होंने प्रभु के चरणों में वन्दना की l प्रभु के साथ परमार्थ चर्चा करते हुए उनके सरदार ने प्रभु के स्वरूप को जान लिया l प्रभु ने उसे कृष्णनाम का उपदेश दिया lवह वैष्णव हो गया l प्रभु ने उसका नाम रामदास रखा जो महाभागवत होकर प्रसिद्ध हुआ l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🍃•(*﹏¥
            •★🌸★•
         •🍂सुप्रभात🍂•
 •🍃श्रीकृष्णायसमर्पणं🍃•
     •🍂जैश्रीराधेश्याम🍂•
             •★🌸★•
        ¥﹏*)•🍃•(*﹏¥
   
•¡✽🌸🍃◆🍂◆🍃🌸✽¡•
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
                 
💐💐ब्रज की उपासना💐💐

🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻            

🌷 निताई गौर हरिबोल🌷

     क्रम संख्या 3⃣3⃣

  🙏हे जगन्नाथ प्रभो

 👪जैसे माता-पिता बालक के रक्षक है , किन्तु आपकी कृपा के बिना वे भी रक्षक नहीं हो सकते क्यो कि उनके प्रयत्नशील रहने पर भी बालक की मृत्यु हो जाया करती हैं।

👤आर्त प्राणी को बचाने वाली औषध भी आर्त को नहीं बचा सकती , क्योकि औषधि का सेवन करते हुये भी प्राणी को मरना ही पड़ता हैं।

 🚣समुद्र में डूबते हुये को जलयान बचाता हैं, परंतु आपकी कृपा के बिना , जहाज भी डूब ही जाता हैं ।

🎁अतएव आपकी कृपा से ही सौभाग्यशालियों को दिव्य वैराग्य प्राप्त होता हैं ,

💂जिसके कारण बड़े बड़े सम्राटो ने भी विविध ऐश्वर्यों , भोगसामग्रियों का अनायास ही त्याग किया हैं ।

👳🏻आपकी कृपा से ही ऋषियों ने निश्चय किया था

  'न सुखाल्लभते सुखम् '

👀सत्य ही है भगवन , जिस पर भी आप कृपा करते है , वही दुस्तर देवमाया को पार कर सकता हैं ,

❄तभी इस श्वश्रंगालभक्ष्य शरीर से ममाहंबुद्धि हट सकती हैं।

🌻पर आपकी ऐसी कृपा के लिए भी तो निर्व्यलीक , निष्कपट, अकैतवरूप से आपकी शरणागति अपेक्षित हैं

❓.... पर मैं तो वह भी नहीं जानती प्रभो? मृगमरीचिका के समान इस लोभ , मोह , काम आदि ताप का अंत में भला कैसे कर लू ? न मुझमे विवेक हैं, न विज्ञान है , न ही मेरे धैर्य की मात्रा ही अधिक हैं ।

 👣आपके चरणो में भी विशिष्ट प्रीति नहीं है ... मेरा उद्धार तो बस आपकी दया से ही हो सकता हैं ,

क्रमशः........

 💐जय श्री राधे
 💐जय निताई

📕स्रोत एवम संकलन
दासाभास डा गिरिराज नांगिया श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की उपासना ग्रन्थ से

✏प्रस्तुति ।
मोहन किंकरी 🐠 मीनाक्षी 🐠
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भजन में 5 नहीं

नारायण हरिभजन में,
ये पाँचों न सुहात l
विषयभोग, निद्रा, हँसी,
जगत-प्रीत, बहु बात ll

श्रीहरि के भजनमें ये पाँच नहीं सुहाते -

1 । विषयों का भोग,
2 । निद्रा,
3 । हँसी,
4 । जगत के प्रति ममत्व और
5 । बहुत बातें करना

अतः इनपर   नियंत्रण अति आवश्यक l

हम शायद क्या पक्का इन 5 में ही लगे हैं आत्म निरीक्षण करते हुए निकलना है इनसे ।

एडिटेड । फ़ॉर्वर्डेड

समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जयश्रीराधे जय निताई


श्रीनारायण स्वामी कृत अनुरागरस ग्रन्थ से
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾

श्रीप्रबोधानंद सरस्वती पाद कहते हैं कि....

🌴हीन अखिल साधन ते अन अधिकारी हौं बन आश्रित।
🌴प्राप्त होय राधा प्रिय रस उत्सव फल है यह निश्चित॥

🌲सर्व साधन हीन होते हुए भी यदि एकांत भाव से श्रीवृन्दावन का ही कोई सम्यक आश्रय कर सकता है तो वह कोई भी क्यों न हो, उसे श्रीराधाप्रिय रसोत्सव(रासकेलि-आनन्द) की प्राप्ति होगी।

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कहो तो
थोड़ा
वक्त भेज दूँ ???

मोहन

सुना है
तुम्हें
फुर्सत नहीं
मुझसे
बात करने की...
😏
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

पंडित श्री गयाप्रसाद जी के
सार वचन उपदेश

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

🙏🏻🍁 5⃣ श्रद्धा

🐚सदाचार🐚

🍊सदाचार
या वाक्य में दो शब्द हैं

🍒१ । सत्

🍒२ । आचार

🌷व्याकरण सों त् के स्थान में द्  बन गयौ है- कहूँ-कहूँ त् कौ न बन जाय है । यथा सन्मार्ग

🌷 सत् कौ अर्थ है अति उत्तम
जो अति श्रेष्ठ पुरुष है-सन्त है इनके आचरण ही सदाचार कहे जायँ हैं।

🍎सन्तन की जीवनी पढौ अथवा जो वर्तमान में सन्त हैं-बड़े गौर सौ इनके आचरण देखौ-इनकी रहनी देखौ ये कितने सरल हैं।

🌷कितने विशाल ह्रदय है।

🌷कितने उदार है।

🌷कितने क्षमाशील है।

🌷दुःख सुख सहने में कितने समर्थ हैं।

🌷भूल सों हू क्रोध नहीं करें।

💎प्रस्तुति 📖 श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💎💎💎💎

ISKA अर्थ है कि

🔸🔸

🔶When you stop trying to change people, and instead focus on changing yourself, it means that you have got matured.

🔷जब आप अन्य सभी में बदलाव लाने के स्थान पर स्वयम अपने आप में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ तो इसका अर्थ है कि आपमें परिपक्वता आ गई है ।

लगे रहो । शुभ कामना ।

📙📗📙📗📙📗📙📗
[19:33, 1/29/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे.....1⃣6⃣

✨🌹वे गौरगत प्राण हैं एवं सर्वविध समृद्ध है। उनके श्रीपिता श्रीवल्लभाचार्य जी नित्यलीला मे प्रविष्ट हो चुके है। अतः उन्होंने अति श्रद्धा-उत्साहपूर्वक श्रीगोपालजी की सेवा की सर्वविध यथेष्ट व्यवस्था की। जैसा कि श्रीभक्तिरत्नाकर मे उल्लेख है-

🍂सेइ      दुइ        विप्रेर     अदर्शने।
🍂कथोदिन सेवे कोन भाग्यवान जने।।
🍂श्रीदासगोस्वामी आदि परामर्श करि।
🍂श्रीविट्ठलेश्वर कैल सेवा अधिकारी।।
🍂पिता श्रीवल्लभ-भट्ट, तार अदर्शने।
🍂कथोदिन  मथुराय छिलेन निर्जने।।
🍂परम  विहृल   गौरचन्द्रेर   लीलाय।
🍂सदा सावधान एवे गोपाल-सेवाय।।

✨🌹श्रीरघुनाथदास गोस्वामी ने अपने रचित 'श्रीगोपालराज-स्त्रोत' मे तथा श्रीविश्वनाथ चक्रवर्ती ने स्वरचित 'श्रीगोपालदेवाष्टक' मे श्रीविट्ठलेशजी को श्रीगोपाल सेवा के देने का स्पष्ट उल्लेख किया है। श्रीविट्ठलेशजी की आज्ञा लेकर संवत् 1590 मे एक गुजराती सेठ श्रीगोपीनाथ अपने गांव मे श्रीगोपालजी को सेवा-हित ले गए। वहाँ जाकर श्रीगोपालजी "श्रीनाथ" जी के नाम से विख्यात हुए। इनके नाम पर उस गांव का नाम "श्रीनाथद्वारा" प्रसिद्ध हुआ। आज पर्यन्त वे श्रीनाथद्वारा मे पुष्टि-मार्गीय विधि विधान से सुचारू रूप से सेवित है।

✨🌹श्रीमन्महाप्रभु ने अपनी दक्षिण-यात्रा के समय शान्तिपुर से नीलाचल की ओर जाते हुए श्रीपुरीजी का चरित्र अपने श्रीमुख से अपनी साथी-भक्तों को सुनाया और फिर अन्त मे कहा-

🍂पुरीर प्रेम-पराकाष्ठा करह विचार।
🍂अलौकिक प्रेम, चित्ते लागे चमत्कार।।
🍂परम विरक्त मौनी, सर्वत्र उदासीन।
🍂ग्रामवार्ता भये द्वितीय संग-हीन।।
🍂एइ भक्ति, भक्तप्रिय-कृष्ण व्यवहार।
🍂बूझिते हो आमा सभार नाहि अधिकार।।

✨🌹वस्तुत: ऐसे वैष्णव शिरोमणि, अनन्य-रसिकचूड़ामणि, व्रजरस-कल्पतरू-स्वरूप श्रीपुरीपाद की महिमा कोई भी नहीं जान सकता। जिस समय श्रीमनमहाप्रभु मथुरा पधारे, श्रीकेशवदेव के दर्शन कर प्रेमाविष्ट होकर नृत्यगान कर रहे, एक वृद्ध ब्राह्मण श्रीप्रभु के चरणों मे आकर गिर पड़ा। श्रीमहाप्रभु ने उसे उठाया और वह भी प्रेमाविष्ट होकर प्रभु के साथ नाचने लगा। दर्शन के बाद श्रीमहाप्रभु ने उस ब्राह्मण से एकांत मे पूछा-हे विप्रवर ! यह कृष्णप्रेम धन तुम्हें कहाँ से मिला?

✏क्रमश......1⃣7⃣

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲

Wednesday, 27 January 2016

[21:56, 1/25/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌿🌹◆🔸◆🌹🌿✽¡•

        2⃣5⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
                 सोमवार
            कृष्णपक्ष प्रतिपदा

                  •🌹•
               ◆~🔸~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🔸गौरांग महाप्रभु 🔸★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
              ◆~🔸~◆
                    •🌹•

  ❗श्रीवास पुत्र देह त्याग❗

🌿      कितनी अद्भुत श्री गौर प्रीति थी एवम् संकीर्तन मंगलमय होने मर कितना दृढ़ विश्वास था श्री वास जी का lसंकीर्तन बन्द हुआ l श्री गौरांग भी जान गये फिर भी पुछा lसबने श्री वास के पुत्र की परलोक गमन की बात सुनाई l करुणामय श्री वास की निष्ठा देख रो उठे l आपने मृतक बालक को देखा उसी से पूछ बैठे बालक तुम श्री वास गृह को छोड़कर कहाँ और क्यों जाना चाहते हो ?

🌿       मृतक बालक में जीवन शक्ति का संचार हुआ और बोला स्वामी आपके नियमानुसार जब तक इस देह से इस माता पिता से मेरा सम्बन्ध था यहाँ रहा अब कर्मानुसार जहाँ आपने मेरा विधान कर रखा है वहाँ जाऊँगा l इतना कहकर फिर वह मृतक अवस्था में आ गया lशिशु का गंगा प्रवाह प्रभु ने अपने हाथों जाकर किया l अंत में श्री गौरांग ने श्री वास से कहा श्री वास मैं और नित्यानंद दोनों तुम्हारे पुत्र ही है lतुम्हारे लिये कोई आभाव नहीं रहेगा l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
            •🌹🔸🌹•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🔸श्रीकृष्णायसमर्पणं🔸•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •🌹🔸🌹•
         ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
•¡✽🌿🌹◆🔸◆🌹🌿✽¡•
[21:56, 1/25/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



अपराध

पाप वो है जो लौकिक विषय में गलत कार्य है । पाप कुछ किया उसका फल कुछ मिलेगा ।

भोगना ही पड़ता है । यहाँ या नर्क में । अवश्यमेव भोक्तव्यं

अपराध का
1⃣ लौकिक जगत स कोई सम्बन्ध नही है ।
2⃣ ये भगवत विषय में की जाने वाली भूलें हैं ।
3⃣ दो शब्दों से बना है । आप एवम् राध । राध माने संतोष । आप माने बाधा ।
4⃣ जब संतोष में बाधा लगे । तब समझो अपराध हुआ ।
5⃣ संतोष में बाधा या असंतोष ।
किसमे असंतोष । चार विषय में । क्योंकि अपराध 4 प्रकार के है
6⃣ नाम अपराध
      सेवा अपराध
     वैष्णव अपराध
      भगवद् अपराध
7⃣ जब जब इन चार विषयों में असंतोष हो तो समझो अपराध हुआ है ।
8⃣ वैष्णव अपराध को वैष्णव से क्षमा कराना होता है ।बाकी के तीनो नाम लेने से दूर हो जाते हैं
9⃣ पाप के लिए जेसे नरक हैं ऐसे अपराध के लिए कोई नर्क नही है
1⃣0⃣ न ही कोई शारिरिक कष्ट होता है । क्योंकि अपराध का शरीर से कोई लेना देना नही
1⃣1⃣ अपराध का सम्बन्ध भजन से है । भजन में असंतोष ही इसका फल है
1⃣2⃣ या यों समझिये की प्रोसेस डिले होगा । जो काम 1 साल में होना ह वो 10 साल में होगा ।

अतः पाप और अपराध का अंतर समझे रहिये । बचिए । और डिले होने से बचाइये ।

समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जय श्री राधे जय निताई
[21:56, 1/25/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे....1⃣3⃣

✨🌹श्रीअद्वैताचार्य श्रीपुरीपाद के दर्शन कर कृतार्थ हो गये। उनके आनन्द की सीमा न रही। श्रीपुरीपाद को विनय पूर्वक प्रार्थना की, कि वे उन्हें मंत्र दीक्षा देकर धन्य करें। श्रीपुरीपाद ने श्रीअद्वैताचार्य को मन्त्र दीक्षा देकर शिष्य रूप मे स्वीकार किया। श्रीअद्वैत प्रभु से परामर्श कर आप चन्दन के लिये दक्षिण की ओर चले, रास्ते मे रेमुणा-ग्राम मे पहुंचे।

✨🌹यहाँ श्रीगोपीनाथ जी का अद्भुत विशाल श्रीविग्रह सेवित है। आपने मन्दिर मे जाकर उनके दर्शन किये। प्रेमाविष्ट होकर नृत्यगान किया कुछ देर, फिर बरामदे मे जाकर एकान्त मे बैठ गए। अत्यंत सुन्दर सेवा-श्रृंगार देखकर श्रीपुरी अति आनन्दित हुए। मन मे सोचा, यहाँ की सेवा परिपाटी पूछनी चाहिए, क्या भोग लगता है, कैसे सेवा होती है, ताकि मैं लौटकर श्रीगोपाल जी की सेवा के लिए भी वैसी सुन्दर व्यवस्था करूँ। आपने मन्दिर के एक सेवक ब्राह्मण से सब बात पूछी। उसने सब सेवा-परिपाटी कह सुनाई और कहा-"इस समय सन्धया को श्रीगोपाल जी को बारह मिट्टी के कुल्हाड़ों मे क्षीर भोग लगती है। उसका नाम है 'अमृत-केलि' यहाँ का वह क्षीर-भोग प्रसिद्ध है। पृथ्वी पर ऐसा भोग और कहीं नहीं लगता।"

✨🌹श्रीपुरी जी सोचने लगे-हाँ, यदि मुझे भी बिना मांगे वह क्षीर-प्रसाद मिल जाए तो उसका आस्वादन करूँ और गोवर्धन मे जाकर वैसा क्षीर-भोग श्रीगोपाल को अर्पण करूँ-ऐसा विचार आते ही श्रीपुरी ने "विष्णु-विष्णु" कहा, अर्थात इसमें अपना अपराध माना। क्योंकि वे तो अयाचक वृत्ति थे, और यह उनकी मानसिक याचना थी ही। मन से याचना भी तो अयाचकवृत्ति मे एक कपट है। अत:उन्होंने उसे अपना कपट या अपराध माना। थोड़ी देर मे दर्शन खुले, आरती हुई। श्रीपुरी जी ने आरती दर्शन किये और प्रणाम कर मन्दिर से बाहर चले आये। एक बन्द-दुकान के बरामदे मे बैठ नाम-कीर्तन करने लगे। रात कहीं काटनी ही थी।

✨🌹इधर पुजारी ने श्रीठाकुर की शयन कराई और किवाड़ लगाकर अपने कमरे मे आकर सो गया। स्वप्न मे श्रीगोपीनाथजी आकर पुजारी को जगाते हुए बोले-"पुजारी ! देख, उठ। मन्दिर के किवाड़ खोल। एक क्षीर का भरा पात्र मैने अपने वस्त्र के नीचे छिपाकर रखा था, उसे ले जाकर बाजार मे एक दुकान पर बैठे संन्यासी को दे आ। उसका नाम है "माधवेन्द्रपुरी।"

✏क्रमश......1⃣4⃣

⚠अक्षरश: लिखित सेवा
🐚🌹*ब्रज के संत*
🍂'श्री हरि नाम प्रैस-वृन्दावन'

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



बार बार स्मरण करो हम दास है कृष्ण के।उनकी सेवा के लिए जन्म हुआ।भक्ति के लिये।भक्तिमार्ग सरल है यदि मनुष्य अपना सुख छोड़ दे।और कठिन इसलिये की मनुष्य अपना सुख छोड़ नहीं पा रहा।
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



गुरु दीक्षित होते ही बात तो बन गयी बस गुरु की बात समझो की इतने सत्संग में वो आखिर क्या समझा रहे हे
इक बार यदि समझ गए तो जुट जाओ...कलयुग केवल नाम अधारा🙏🙏
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



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        2⃣6⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
              मंगलवार माघ
            कृष्णपक्ष द्वितीया

                  •🌹•
               ◆~🐚~◆
       ◆!💢जयनिताई💢!◆  
  ★🐚गौरांग महाप्रभु 🐚★
       ◆!💢श्रीचैतन्य💢!◆
               ◆~🐚~◆
                    •🌹•

          ❗सन्यास लीला❗

🌿      श्री मन्महाप्रभु में राधा भाव देखकर लोग उनकी निंदा करने लगे l उन्होंने विचार किया मैंने सबको प्रेम दान करने के लिये अवतार लिया है परन्तु ये लोग मेरी निंदा कर नरक के अधिकारी हो रहे है l अतः उन्होंने वृद्धा माता श्री विष्णुप्रिया तथा समस्त वैभव को त्यागकर सन्यास ग्रहण कर लिया ताकि वे निंदक मुझे प्रणाम कर सब पापों से मुक्त हो जाये l

🌿        अंतरंग दो चार पार्षदों को सूचना देकर आपने श्री केशव भारती से सन्यास ग्रहण की लीला की और उसके बाद जगन्नाथ पुरी में आकर रहने लगे l वहां श्री वासुदेव सार्वभौम भट्टाचार्य आदि को ब्रह्मसूत्र की वास्तविक व्याख्या सुनाकर श्री कृष्ण भक्ति प्रदान की l वहां का राजा श्री प्रतापरुद्र भी आपकी कृपा प्राप्त कर कृतार्थ हो गया l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
            •🌹🐚🌹•
         •💢सुप्रभात💢•
 •🐚श्रीकृष्णायसमर्पणं🐚•
     •💢जैश्रीराधेश्याम💢•
             •🌹🐚🌹•
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[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



स्वतंत्र एवम् गणतंत्र

परम् स्वतंत्र हैं हमारे ठाकुर श्री कृष्ण । समस्त सृष्टि के स्वामी । होने न होने वाले कार्य को भी करने में समर्थ ।

जेसे 7 वर्ष की आयु में 7 दिन तक कन्नी ऊँगली पर गिरिराज

हम उन्ही के अंश हैं । वे पूर्ण स्वतंत्र हैं । हम आंशिक स्वतंत्र हैं ।
हम इतने स्वतंत्र अवश्य हैं कि अपने हित अनहित को जान कर निर्णय ले सकें

हमारा संविधान भी संतों ने बनाया हुआ है । लेकिन माया के कारण हम भृमित होकर अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग करते हैं

स्वतंत्रता के सदुपयोग में कल्याण है । दुरूपयोग में कष्ट है । हम दोनों के चुनने में भी स्वतंत्र हैं । अब निर्णय आपका । हमारा कि हम क्या चुनें आनंद या कष्ट ।

आनंद स्वरूप श्रीकृष्ण के नित्य दास हम उनके नाम का आश्रय यदि ले लें तो इससे बड़ा आनंद कुछ और नही ।

समस्त वैष्णवजन को सादर प्रणाम जयश्रीराधे जय निताई
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



 भगवत भक्ति में भक्त के ह्रदय में सारी भक्ति आ जाती हे।
जेसे मात भक्ति।
पितृ भक्ति
गुरु भक्ति
वैष्णव प्रीती
संत सम्मान
देश भक्ति इत्यादि।
अतेह हम सिर्फ भगवत भक्ति सम्बन्धि पोस्ट ही लगाये
और ह्रदय में राम कृष्ण की मूमि को नमन करते हुए भजन कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहे
...साधुवाद श्री राधे🙏🌹
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💧💧💧💧💧💧💧💧

🍋पंडित श्रीगयाप्रसादजी के
🔏 उपदेश वचन 🔏

👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻

2⃣ 🌷श्रद्धा 🌷

🌺जो शास्त्रन में लिखौ है तथा जो सन्तजन कहें हैं वाकूँ बिना सोचे विचारे ज्यों की त्यों मान लेनौ ही श्रद्धा है।

🌺सीधे शब्दन में यों समझौ कि अपनी बुद्धि सो काम नहीं लेनौ ।

 😳श्रद्धा ही तौ अध्यात्म कौ मूल है । सात्विकी श्रद्धा में कछु और हू गहराई है ।

🍀साधारण श्रद्धा में यह लोभ तौ हू रहै है कि यदि हम इनकी आज्ञा पै चलैंगे ।

🌺तौ हमारी लोक परलोक सुधरैगी या में स्वार्थ की गन्ध है

🍏 किन्तु सात्विकी श्रद्धा में यह हू नहीं रहै  है। वहाँ तौ केवल इतने ही भाव रहै है कि हमें न लोक बनवे सों प्रयोजन न परलोक बनवे की आशा।

🍊हम तौ अपनौ  परम् सोभाग्य याही में मानें है कि हमारे ताई इनकी आज्ञा भयी।

🌺कलयुग में श्रद्धा ही दुर्लभ है ताहू पै सात्विकी श्रद्धा यदि उपज परै तौ श्री भगवान् की अपार कृपा समझ लैनी चाहिये।

💧तथापि बिना सात्विकी श्रद्धा भये जीव कौ परम कल्याण अलभ्य ही है।

🌻🌻श्रद्धा में सहायक

🌻श्रद्धालु जनन कौ सम्पर्क

🌻श्रद्धालु जनन में श्रद्धा करनौ

🌻इनकूँ अपने सों बहुत अधिक माननों

🔔इनमें भाव बढ़ानौ

🔔इनकी क्रियान पै बड़े गौर सों ध्यान देनौ

🔔इनकूँ अपनौ पथ प्रदर्शक माननौ आदि-आदि।

💎 प्रस्तुति  📖 श्री दुबे

📙संपादन सानिध्य
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दाबन
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



भजन मार्ग में कुछ भी व्यर्थ नही जाता । ठीक उसी तरह जेसे इंटर में आने के लिए कक्षा 2 या 3 या 5 की पढाई ।
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



ऐसा लगता है इंटर में आने पर कि क्या 2 दुनी 4 करते रहते थे लेकिन यही सिस्टम है
[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे....1⃣4⃣

✨🌹पुजारी चौंक कर उठा। स्नान कर मन्दिर को खोला, क्या देखता है सचमुच एक क्षीर का पात्र श्रीगोपीनाथजी के वस्त्र की ओट मे छिपा रखा है। आश्चर्य की सीमा न रही। क्षीर-पात्र उठाकर मन्दिर बन्द किया और चला बाजार की ओर लगा खोजने गोपीनाथ के प्यारे को। श्रीपुरी को देखते ही पुजारी ने इन्हें प्रणाम किया और प्रसादी क्षीर-पात्र इनके हाथ मे दिया। सब बात कह सुनाई, बोला-"आपके समान त्रिभुवन मे कोई भाग्यवान नहीं है।"

✨🌹श्रीमाधवेन्द्रपुरी प्रेम मे विहृल हो उठे, नेत्रों से प्रेमजलधारा बह निकली। "प्रणाम किया उस क्षीर-पात्र को, प्रेम से क्षीर पाई।" कुल्हड़ को धोया और तोड़कर अपने बहिर्वास मे बांध लिया। रोजाना एक-एक ठीकरी को खाते रहे श्रीपुरीजी कैसा भाव ! कैसी अद्भुत निष्ठा !! श्रीपुरी जी ने सोचा कि यह सब बात फैलेगी और मुझे भाग्यवान जानकर सब लोग मुझे देखने को भागे आवेंगे किन्तु "प्रतिष्ठा तो शूकरी विष्ठा के समान हैं।" यह सोचकर रात मे ही वहाँ से भाग निकले श्रीगोपीनाथजी को नमस्कार कर। वाह ! कैसा उच्च आदर्श-वैष्णव जीवन है श्रीपुरीपाद का?

✨🌹आप वहाँ से चलकर नीलाचल पहुंचे। श्रीजगन्नाथ जी का दर्शन कर महा प्रेमाविष्ट होकर नृत्य गान किया। सर्वत्र नीलाचल मे श्रीमाधवेन्द्रपुरी पधारे है यह बात फैल गई। "प्रतिष्ठा का तो स्वभाव है, ठकुराने वालों के पीछे-पीछे भागती है।" श्रीपुरी तो इस प्रतिष्ठा के भय से रात को भाग निकले थे, परन्तु कृष्णप्रेमी को प्रतिष्ठा कैसे छोड़ सकती है? इनसे पहले आकर नीलाचल मे व्याप्त हो गई। यहाँ से श्रीपुरी कैसे भाग सकते है, श्रीगोपाल की आज्ञा से चन्दन तो ले ही जाना है।

✨🌹श्रीगोपाल के लिए चन्दन लेने श्रीपुरी यहाँ आए है-सब लोग जान गए। सब लोग ही चन्दन इकट्ठा करने मे जुट गए। राजकर्मचारियों के सहयोग से भारी मात्रा मे चन्दन-कपूर्र जमा हो गया। एक ब्राह्मण सेवक श्रीपुरी जी के साथ चन्दन उठाने के लिये दिया गया और चुंगी आदि चुकाकर इन्हें नीलाचल से सादर विदा किया गया। वहाँ से आप पुनः रेमुणा मे आए।

✏क्रमश......1⃣5⃣

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

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[22:56, 1/26/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



💐श्री  राधारमणो विजयते 💐
🌻 निताई गौर हरिबोल🌻    

📚🍵ब्रज की खिचड़ी 🍵📚

       क्रम संख्या 5⃣6⃣

🌿क्रोध 🌿

👤 विषयों का चिंतन करने से विषय में आसक्ति उत्पन्न होती है । आसक्ति से कामना उत्पन्न होती है।  कामना में विघ्न पढ़ने से क्रोध होता है।  क्रोध से मूढ़ अर्थात मूर्खता का भाव उत्पन्न होता है। कहते हैं न कि क्रोध में पागल हो जाते हैं

😱 इस मूढ़ता से 'स्मृति भ्रम' होता है यानि क्रोध में अगली पिछली बातों,  संबंधो,  उपकारो को भूल जाता है। यह भी भूल जाता है कि मेरे पिता, पत्नी या कौन है । स्मृति भ्रम  होने से बुद्धि नाश होता है। सिर्फ बकता ही बकता है

💥बुद्धि नाश होने से यह व्यक्ति अपने ही व्यक्तित्व से गिर जाता है। अतः कोशिश करके विषयों का चिंतन त्यागना चाहिए। विषयों से अर्थ है लौकिक वस्तुओं की चाह संक्षेप में अपनी समर्थ से अधिक, अपनी योग्यता से अधिक यहां तक कि सम्मान की भी चाहना करते हुए दूसरे की बराबरी करना यह उससे भी आगे बढ़ने की इच्छा करना आदि ....

🌿संपत्ति गोपनीय क्यों ?🌿

💰जिस प्रकार हम अपने लौकिक धन संपत्ति को छिपा कर रखते हैं। किसी को सहज नहीं बताते। यात्रा में चलते समय पैसों को पर्स में और उसको सुरक्षित स्थान पर छिपा लेते हैं। उसी प्रकार साधकों,  भक्तों को भी अपनी संपत्ति को सदैव गोपनीय रखना चाहिए

🙌 ठाकुर जी ने आज स्वपन में यह कहा ठाकुर जी ने आज मुझ पर फूल गिराया आज मैंने इतना - इतना भजन किया, ये ही साधकों की संपत्ति है। इन्हें किसी को बताने से यह लुप्त हो जाती है। और कभी-कभी ये अहंकार का कारण भी बनती है। मैंने कहा- ठाकुर जी ने मुझे एक फूल प्रदान किया।  वह बोली- मुझे तो ठाकुर ने पूरी माला ही दे दी। इस से अहंकार राग- द्वेष का पोषण होता है।

😇 कोई यदि बखान करें भी तो दैन्य धारण करके उसके सौभाग्य की प्रशंसा करते हुए उसे प्रणाम करना चाहिए।  ठाकुर और आपकी बात -आप दोनों में ही रहनी चाहिए- इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए।

🌿 गयौ काम ते !!!!🌿

🐾सबरे दूसरेन के सुधार की छोडि के साधक अपने सुधार में लग्यौ रहै । जाने ऊ संसार के सुधार कौ ठेका लियौ। वह प्रपंच के पंक में फंसयौ और गयौ काम ते !!!!

 🙌🏻जय श्री राधे। जय निताई🙌🏻

📕स्रोत एवम् संकलन
दासाभास डॉ गिरिराज नांगिया
श्रीहरिनाम प्रेस वृन्दावन द्वारा लिखित व्रज की खिचड़ी ग्रन्थ से

📝 प्रस्तुति : श्रीलाडलीप्रियनीरू

Sunday, 24 January 2016

[21:00, 1/24/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🐚प्राणधन श्रीराधारमण लाल मण्डल🐚
                🔻जयगौर🔻

📘        [श्रीचैतन्य-भक्तगाथा]         📘
🐚             (ब्रज के सन्त)              🐚
✨🌹श्रीपादमाधवेन्द्रपुरी गोस्वामी✨🌹
         〽ब्रजविभूति श्रीश्यामदास 〽
🎨मुद्रण-संयोजन:श्रीहरिनाम प्रैस, वृन्दावन🎨

✏क्रमश से आगे....1⃣2⃣

✨🌹दो वर्ष के बाद फिर गोपालजी श्रीपुरीजी को स्वप्न मे आए और इन से बोले-पुरि ! मेरे शरीर का ताप अभी तक दूर नहीं हो रहा है। तुम जाकर नीलाचल का चन्दन ले आओ और मेरे शरीर पर लेप करो, तब कहीं मुझे शांति मिलेगी। अब शीघ्र ही तुम चले जाओ और चन्दन ले आओ।'

✨🌹श्रीमाधवेन्द्रपुरी प्रेमाविष्ट हो उठे और दूसरे दिन चन्दन लाने के लिए नीलाचल की ओर चल पड़े। गौड़ देश मे जब आए तो देखा-सब लोग विष्णुभक्ति-हीन, धर्म-कर्म का नाम मात्र ही जानते है। मद्य-मांस से देवी-पूजन ही उनकी सबसे बड़ी आराधना, उपासना है, जैसे अब भी अनेक बंगाली मानते है। श्रीमाधवेन्द्रपुरी लोगों की ऐसी दयनीय अवस्था को देख रो उठे। संन्यासियों से भी वे मेल-जोल न रख सकें, क्योंकि संन्यासी अपने को ही 'नारायण' कहकर पुजवाते है। कोई वैष्णव उन्हें वहाँ न दीखा। मन मे सोचते है क्या करूँ, कहाँ जाऊँ। उस समय अभी श्रीचैतन्य अवतीर्ण न हुए थे।

✨🌹प्रभु इच्छा ! इन्हें पता लगा कि यहाँ श्रीअद्वैत-आचार्य निवास करते है, वन मे सिंह की भाँति। अवैष्णवों मे निर्भय होकर वैष्णवता का पालन करते है, श्रीभागवत-गीता पाठ करते है। यह जानकर श्रीपुरी अद्वैताचार्य के घर पधारे। श्रीआचार्य ने श्रीपुरी मे वैष्णव चिन्हों को देखकर दण्डवत प्रणाम किया। श्रीपुरी ने श्रीअद्वैत को उठाकर गले लगाया और दोनों ने एक दूसरे को प्रेमाश्रुओं से अभिषिक्त किया। दोनों कृष्णप्रेम के परम पवित्र भण्डार है। श्रीपुरी की तो यह अवस्था कि बादल को देखकर मूर्च्छित हो जाते। श्रीकृष्ण-नाम सुनते ही गर्जना करने लगते, एक घड़ी काल मे असंख्य प्रेम-विकारों मे घिर जाते-

🍀माधव पुरीर प्रेम-अकथ्य कथन।
🍀मेघ-दरशने मूच्र्छा हय सेई क्षण।।
🍀कृष्णनाम-शुनिलेइ करेन हुँकार।
🍀दण्डे सहस्त्र हय कृष्णेर विकार।।

✏क्रमश......1⃣3⃣

⚠अक्षरश: लिखित सेवा
🐚🌹*ब्रज के संत*
🍂'श्री हरि नाम प्रैस-वृन्दावन'

🌿🌹श्रीराधारमणाय समर्पणं🌿🌹

▫🔲🐚🔔▫🔲🔔🐚▫🔲
[21:00, 1/24/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



•¡✽🌿🌹◆🔸◆🌹🌿✽¡•

        2⃣4⃣*1⃣*1⃣6⃣
   
               रविवार पौष
            शुक्लपक्ष पूर्णिमा

                  •🌹•
               ◆~🔸~◆
       ◆!🌿जयनिताई🌿!◆  
  ★🔸गौरांग महाप्रभु 🔸★
       ◆!🌿श्रीचैतन्य🌿!◆
              ◆~🔸~◆
                    •🌹•

  ❗श्रीवास पुत्र देह त्याग❗

🌿      एक दिन जब श्री वास के घर चैतन्य महाप्रभु संकीर्तन कर रहे थे तो वास के अस्वस्थ पुत्र की मृत्यु हो गयी l अंदर घर में स्त्रियों ने रोना आरम्भ कर दिया l श्री वास कोलाहल सुन घर में गये और सबको रोने से बन्द कराने लगे l

🌿       श्री वास सांत्वना देते हुए बोले अंत समय साक्षात घर में उपस्थित है और प्रेम नाम का वितरण कर रहे हैं इस लड़के का इससे अधिक भगय क्या हो सकता है lबहुत कहने पर भी जब रोना बन्द न हुआ और रोने से संकीर्तन आनंद में विघ्न उत्पन्न होता देख श्री वास ने निश्चिय पूर्वक कहा यदि आप रोना बन्द नहीं करती तो अभी मैं गंगा में जाकर डूब मरता हूँ फिर एक साथ रोती रहना l चुप हो गई सब की सब l

🌿   उपरोक्त सार व्रजविभूति श्रीश्यामदास जी के ग्रंथ से लेते हुए हम भी अपने जीवन को भक्तिमय बनाये यही प्रार्थना है प्रभु के चरणों में l
          क्रमशः........
                      ✏ मालिनी
 
        ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
            •🌹🔸🌹•
         •🌿सुप्रभात🌿•
 •🔸श्रीकृष्णायसमर्पणं🔸•
     •🌿जैश्रीराधेश्याम🌿•
             •🌹🔸🌹•
         ¥﹏*)•🌹•(*﹏¥
   
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[21:00, 1/24/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



संसार ही सार

इस संसार में अनेक प्रकार के क्लेश हैं
रोग हैं । रोगी हैं
भोगी हैं । क्रिमनल हैं
पापी हैं । तापी हैं । लेकिन इस बात को मत भूलना कि हमारा
गोविन्द भी इसी संसार में है

हमें दूसरे दूसरे लोगों से नही
गोविन्द के प्यारों से वास्ता रखते हुए । गुरु से वास्ता रखते हुए । वैष्णवों से वास्ता रखते हुए गोविन्द के चरणारविन्द की सेवा तक पहुंचना है

ये संसार वास्तव में तो कृष्ण चरण सेवा प्राप्ति के लिए बनाया था । हमे भी साधन के लिए बनाया था । लेकिन हम स्त्री चरण लोलुप हो गए ।

अतः प्रणाम है इस संसार को जिसमे हमारे ठाकुर का धाम वृन्दाबन है ।बरसाना है । संत हैं । सिद्ध हैं । गुरुजन हैं । हम हैं । आप हैं । इसका अपने मतलब का उपयोग करो और बाकी से

विचरेत् असंगः

अनासक्त होकर विचरण करो । असंग रहो । जेसे भीड़ में तुम्हारे साथ बेटी चल रही होती है तो उसका ध्यान रखते हो । दूसरी ओर कोई और चल रहा होता है उसका ध्यान नही रखते हो । ये है असंग ।

वो या संसार चलेगा साथ ही । लेकिन उसका संग मत करो । ध्यान मत दो । चलने दो । हमे क्या । ये भाव ।

समस्त वैष्णवजन के चरणों में मेरा सादर प्रणाम जयश्रीराधे
जय निताई
[21:00, 1/24/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



कोई कितना बड़ा
डेटा चोर हो
निजता चोर हो

लेकिन
वो हमारे माखन चोर

से छोटा ही होगा । और चोर के घर से चुराएगा भी क्या ।
[21:00, 1/24/2016] Dasabhas DrGiriraj Nangia:



🌹    श्रीराधारमणो जयति    🌹
💐   श्रीवृंदावन महिमामृत   💐
🌾( सप्तदश-शतक )🌾


🌴पुलिन कालिन्दी के तट तरु तरु तल घूमों
🌱सुख के कंद प्रेमघन श्रीवन की रज मुख सूं चूमौं।
🌴कब सौभाग्य उदय ऐसा हो जीवन सफल बनाऊं
🌱बसि वृन्दावन युगल नाम भजि युगल चरण रज पाऊं॥


🌳अहो ! कालिंदी के पुलिन पुलिन में एवं वृक्षों के तले तले विचरण करते करते अद्भुत प्रणय--सुखकंद श्रीवृंदावन में कब मैं अपने दिन बिताऊंगा ?

🙌 श्रीराधारमण दासी परिकर 🙌