Saturday, 27 August 2011

38. kuchh vakya

समकालीन समय में हम  गुण की अपेक्षा मनुष्य की प्रशंसा करते हैं,
आने वाले समय में पीढ़ियां मनुष्य की अपेक्षा
उसके गुणों का सम्मान किया करेंगी।
कोल्टन

गुण ग्राहकता और चापलूसी में अंतर है।
गुण ग्राहकता सच्ची होती है और चापलूसी झूठी।
गुणग्राहकता ह्रदय से निकलती है और चापलूसी दांतों से।
एक नि:स्वार्थ होती है और दूसरी स्वार्थमय।
एक की संसार में सर्वत्र प्रशंसा होती है और दूसरे की सर्वत्र निंदा।
डेल कारनेगी


आलोचना एक भयानक चिंगारी है-ऐसी चिंगारी,
जो अहंकार रूपी बारूद के गोदाम में विस्फोट उत्पन्न कर सकती है
और वह विस्फोट कभी-कभी मृत्यु को शीघ्र ले आता है।
डेल कारनेगी

जो मनुष्य दूसरे का उपकार करता है वह अपना भी उपकार न केवल परिणाम में अपितु उसी कार्य को करने  में करता है,
क्योंकि अच्छा कर्म करने का भाव ही अपने आप में एक  उचित पुरस्कार है। 
सेनेका

प्रसन्नता न हमारे अंदर है और न बाहर
बल्कि यह ईश्वर के साथ हमारी एकता स्थापित करने वाला एक तत्व है।
इश्वर की बात न करें तो यह एक  भाव ही है,
कम से कम किसी वस्तु में तो आनंद है ही नही
पास्कल

गरीब वह नहीं है जिसके पास धन नहीं है
बल्कि वह है जिसकी अभिलाषाएं बढ़ी हुई हैं।

JAI SHRI RADHE

DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - 6

made to serve ; GOD  thru  Family  n  Humanity

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