Friday, 12 August 2011

4. अहंकार या नाख़ून


सृष्टि की शुरुआत होती है महत्तत्व से
महत्तत्व से अहंकार की उत्पत्ति होती है

तामस, राजस, सात्विक - तीन प्रकार का होता है अहंकार
यह सृष्टि का मूल तत्त्व है, बहुत गूढ़ विषय  है.

मोटामोटी yah समझ लें की अहंकार हमारे 'नाखून' की भांति है
यह एक सीमा तक रहे और हमारी रक्षा करता रहे,

जब, जब यह अपनी सीमाओं को तोड़कर आगे बढे, 
नाखून की भांति इसे भी कुतरते रहें.

अहंकार का होना हानिकर नहीं है, इसे काटना नहीं और बढ़ने देना 
अति हानिकर है .

जय श्री राधे 







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