फिर क्यों चोर के खाते हो ?
नहीं अभाव फिर भी भक्तन हित
माखन चोर कहाते हो !
लीला तेरी तू ही जाने
लीला करते, धूम मचाते
इसी बात का खाते हो, 'गिरि' इसी बात का खाते हो
जय श्री राधे
एक होता है स्वभाव
एक गरीब अभाव के कारन कंजूसी करता है
एक धनवान स्वभाव के कारण कंजूसी करता है
एक गरीब अभाव के कारण
एक अमीर स्वभाव के कारण
और अधिक धन कमाने में लगता है.
और हमारे प्रभु जो कुछ भी करते हैं , वे भी
भक्तों को आनंद देने के अपने स्वभाव के कारण करते हैं
जय श्री राधे
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JAI SHRI RADHE
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JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
Tele : 9219 46 46 46 : 12noon - 6
made to serve ; GOD thru Family n Humanity
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