जन्म दिन यानी खुशियों का दिन
हमारे पूरे जीवन में से आज एक वर्ष कम हो गया
मनुष्य जीवन ८४ लाख योनियों के बाद मिला है
अतः दुर्लभ है : यह सब जानते हैं.
लौकिक भौतिक प्रगति को यदि हम जीवन का
उद्देश्य मानते हैं और हमने यह प्राप्त कर ली है तो
हम खुशियाँ मनाएं, कोई हर्ज़ नहीं है.
और यदि इनसे अलग भगवद्भक्ति या भगवद सेवा को अपने
जीवन का उद्देश्य मानते हैं तो हमें आत्म निरीक्षण करना होगा की क्या
हमने भगवद्भक्ति प्राप्त कर ली है?
यदि हाँ तो खुशियाँ मनाएं, नहीं तो आज से ही प्रारंभ कर दें,
जितने साल गए तो गए, अब और साल बेकार न जाएँ.
आप ऐसी कामना व प्रार्थना करें की मेरा अब एक और साल बेकार न जाये.
शुभकामना एवं आशीष हेतु आपका हृदय से धन्यवाद, प्रणाम.
जय जय श्री राधे
दासाभास डा गिरिराज
अपने टेरिस से श्रीसेवाकुंज दर्शन |
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