✔ *श्रृंगार वट* ✔
▶ वृन्दाबन की परिक्रमा मार्ग में इम्लितला से 5वीं जीर्ण शीर्ण बिल्डिंग है । प्राचीन सिद्ध स्थान है ।
▶ यह लगभग जमुना के तट पर स्थित है । कभी इसके घाट पर यमुना जी भी बहती थी । रास लीला में जब श्री राधा जी चली गई तब श्री राधा जी का इस स्थान पर ठाकुर ने श्रृंगार किया था ।
▶ इसलिए इसका नाम श्रृंगार वट है । साथ ही जब नित्यानंद प्रभु आए तब नित्यानंद प्रभु ने भी यहां पर वास किया था ।
▶और आज भी यहां नित्यानंद प्रभु के वंशज उनके पुत्र के पुत्र के पुत्र के पुत्र यही विराजमान हैं ।
▶ श्रीनित्यानंद प्रभु के वंशज और उनके शिष्य उनका वंश आज भी श्रृंगार वट में विराजमान है
▶ श्री श्रृंगार वट सप्त देवालयों की गुरु गद्दी है । क्योंकि यह नित्यानंद प्रभु का स्थान है । सप्त देवालय गोस्वामी पाद के स्थान हैं । रूप, सनातन श्री जीव श्री गोपाल भट्ट आदि ।
▶ नित्यानंद प्रभु है । इसलिए यह गुरु गद्दी है लेकिन समय के प्रभाव से जीर्ण शीर्ण अर्थहीन ऐश्वर्य हीन होने से अब यहां कोई इसको पूछता नहीं है । स्वाभाविक भी है ।
▶ लेकिन यह स्थान सिद्ध है ।
▶प्रिया जी का यहां ठाकुर ने श्रृंगार किया है
और नित्यानंद प्रभु के यहां पर चरण पड़े हैं
नित्यानंद प्रभु के वंशज यहां आज भी विराजमान हैं
▶ यहां निताई गौर और प्रिया प्रीतम के दुर्लभ विग्रह हैं । सेवा पूजा आज भी विधि विधान से श्रद्धा पूर्वक होती है ।
▶ जो अंतरंग भक्त हैं, वैष्णव है । वह नियम से प्रतिदिन यहां दर्शन करते हैं । बहुत बड़ा प्रांगण दर्शनीय है । अवश्य दर्शन करना ही चाहिए
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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