ज्ञान
क्रिया
बल
ये तीन स्थिति हैं
सर्व प्रथम भजन का ज्ञान प्राप्त होता है,
जानकारी होती है
जानकारी के बाद भजन में लगते हैं
क्रिया, करना प्रारम्भ करते हैं
क्रिया करने से बल, आत्मविश्वास
होता है । तभी व्यास जी कहते हैं
व्यास भरोसे कुंवरि के
सोवत पांव पसार
अथवा
हम श्री राधाजू के बल अभिमानी
समस्त वैष्णवजन को दासाभास का प्रणाम
समस्त वैष्णववृन्द को दासाभास का प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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