✔ *मुक्ति और भक्ति* ✔
▶ अजामिल के चरित्र में बहुत ही सूक्ष्म चिंतन है । अजामिल ने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा । अंतिम समय में जब उसे भयानक शक्लों वाले यमदूत लेने आए तो पता नहीं किस कारण से उसको वह दिखाई दिए ।
▶ हमें आपको दिखाई नहीं देते हैं । उनसे भय के कारण उसने अपने पुत्र को नाम लेकर पुकारा । नारायण नारायण ! मुझे बचाओ, मुझे बचाओ ।
▶ नारायण कहते ही विष्णु दूत वहां आ गये और उन्होंने यह काम किया कि यमदूतों को वहां से भगा दिया ।
▶ यमदूत यदि उसको ले जाते तो उसके पाप पुण्य भुगवा के पुनः उसे किसी योनि में डालते ।
▶ यमदूतों को नहीं ले जाने दिया नाम आभास से बस इतना ही काम हुआ । यमदूत दिखे । और यमदूतों को उसकी आत्मा को नहीं ले जाने दिया ।
▶ साथ ही विष्णु दूत भी उसे अपने साथ नहीं ले गए । नारायण नाम आभास से यमदूत भाग गए और विष्णु दूतों का दर्शन हुआ ।
▶ विष्णु दूतों के दर्शन के प्रभाव से उसका विवेक जाग्रत हो गया इसे वैष्णव कृपा, पार्षद कृपा दर्शन का फल कहा जा सकता है ।
▶ उसके बाद उसकी रति मति बदली और वह सब भोग उपभोग छोड़कर गंगा जी के तट को साफ करता रहा ।
▶ गंगा के तट को मार्जन करने से उसका चित्त भी मारजित हो गया और निरंतर फिर नारायण नाम का आश्रय लेता रहा ।
▶ निरंतर अधिक समय तक नारायण नाम का आश्रय लेने का फल यह हुआ कि नारायण ने वैकुंठ से उसको विमान भेजा और अपने लोक में बुला लिया ।
▶ कृष्ण चरण सेवा प्राप्ति उसको फिर भी प्राप्त नहीं हुई जो हम वैष्णवोंका साध्य है ।
▶ नारायण नाम ऐश्वर्यका नाम है । इसलिए उसको ऐश्वर्य लोक की प्राप्ति हुई । अतः नाम आभास नाम और नाम भी नारायण का, कृष्ण का, या किस का । सबका अलग अलग फल प्राप्त होता है ।
▶ समस्त वैष्णव जन को दासाभास का प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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