तेतीस प्रतिशत
यह बात कितनी शास्त्रीय है यह मैं नहीं जानता लेकिन सरल भाषा में सहज में हमें समझ आ जाए इसलिए इस प्रकार की प्रस्तुति कर रहा हूं ।
श्रीकृष्ण की अनंत शक्तियों में से तीन प्रमुख शक्तियां हैं । एक हैं आह्लादिनी शक्ति श्री राधा रानी ।
श्री राधारानी की कृपा मिल जाए, श्री राधा रानी आश्रय तत्व है । श्री राधा रानी हमारी स्वामिनी है और कृष्ण हमारे स्वामी है ।
श्री राधा रानी एवं गोपियों के अनुगत में हमें कृष्ण को सुख देना है, प्रिया लाल की चरण सेवा प्राप्त करनी है । इस बात में यदि निष्ठा बन जाए तो समझ लीजिए 33% कृष्ण मिल गए ।
कृष्ण की एक और शक्ति है संवित् शक्ति । ज्ञान शक्ति । जिसका स्वरुप हैं श्री गुरुदेव और समस्त वैष्णव ग्रंथ ।
यदि ग्रंथों में निष्ठा हो जाए, नियमित रुप से प्रामाणिक ग्रंथों का अध्ययन किया जाए और श्री गुरुदेव में यह निष्ठा हो जाए कि यह भगवान की ही एक शक्ति हैं ।
इनकी सेवा से , इनकी कृपा से हमें कृष्ण चरण सेवा प्राप्त हो जाएगी और गुरुदेव भी हम से प्रसन्न होकर हमें आत्मसात कर लें तो समझो 33% और कृष्ण मिल गये ।
एक और शक्ति है श्रीकृष्ण की जिसे कहते हैं संधिनी । संधिनी माने धाम ।
जो कृष्ण का धाम है श्री वृंदावन । यदि वह मिल जाए, श्रीधाम में वास मिल जाए और वास के साथ-साथ श्री विग्रह सेवा, संत साधु जन संगति श्रीमद् भागवत आदि ग्रंथों के अर्थों का आस्वादन और नाम का आश्रय धाम में यदि मिल जाए और धाम के प्रति यह निष्ठा दृढ़ हो जाए के धाम मिल गया तो कृष्ण मिल गए ।
क्योंकि धाम साधन नहीं है । धाम साध्य है । नाम भी साध्य है तो समझो कि 33 परसेंट और मिल गया ।
यह तीनों यदि प्राप्त हो जाए तो समझो कृष्ण मिल गए । इसमें से पहले कुछ भी मिले बाद में कुछ भी मिले ।
अपनी निष्ठा और उपासना से प्रयास करके यह तीन निष्ठाएं यदि दृढ हो जाए तो कृष्ण प्राप्ति लगभग हो गई ।
और कृष्ण प्राप्ति के बाद यदि निष्ठां सहित आचरण किया जाए तो कृष्ण प्रेम और कृष्ण चरण सेवा भी समझो मिल ही गई ।
समस्त वैष्णववृन्द को दासाभास का प्रणाम
समस्त वैष्णववृन्द को दासाभास का प्रणाम
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
No comments:
Post a Comment