✔ *हमारा टारगेट क्या* ✔
↪सृष्टि में विविधता है और विविधता सृष्टि का प्रथम महत्वपूर्ण गुण है । दो पत्ता भी एक सा नहीं है दो मनुष्यों की शक्ल भी एक सी नहीं है ।
↪इसी विविधता के कारण कुछ मनुष्य सदाचार परोपकार स्वधर्म पालन में लगे हुए हैं और उनका टारगेट संभवत यश है ।
↪कुछ मनुष्य धनोपार्जन में लगे हुए हैं येन केन प्रकारेण धनोपार्जन करना उनका टारगेट धन है।
↪कुछ मनुष्य येन-केन-प्रकारेण अपनी कामनाओं की पूर्ति में लगे हुए हैं यह कामना यह वासना यह इच्छा वह इच्छा ।
↪कुछ लोग ऐसे हैं जो इस जीवन के दुखों से परेशान हो गए हैं वह इस संसार में बार-बार आने जाने से मोक्ष चाहते हैं ।
↪इन सब के अतिरिक्त हम आप जैसे कुछ लोग हैं जो भक्ति में लगे हुए हैं भजन में लगे हुए हैं कृष्ण चरण सेवा चाहते हैं भगवान की कृपा चाहते हैं भगवान की कृपा से भगवान की चरणों की परमानेंट सेवा चाहते हैं ।
↪अब बात यह है कि जो जो चाहते हैं उस में लगे हुए हैं हम लोग यदि भजन भक्ति चाहते हैं तो हम यह समझ लें कि हमारे जीवन का जो मुख्य उद्देश्य है भजन । भक्ति । हमारा जीवन, कम से कम हमारा जीवन भजन भक्ति के लिए मिला है ।
↪और यदि भजन भक्ति के लिए जीवन मिला है तो सबसे अधिक प्राथमिकता हम भजन भक्ति को दें अधिक समय भजन भक्ति को दें और संसार में जो दायित्व हमारे ऊपर हैं उन्हें अनासक्त होते हुए निभाते रहे और संतुलन रखें । जो विभिन्न विषयों में संतुलन रखकर साधते हुए चलता है वही साधु है ।
↪फिर भी जैसे किसी का टारगेट धन है किसी का टारगेट यश है किसी का टारगेट कामना है किसी का टारगेट मोक्ष है । हमारा टारगेट भजन है, भक्ति है ।
↪यह सदा स्मरण रहे तो हमारे प्रयास भी इस ओर अधिक से अधिक होने लगेंगे ।
जय श्री राधे जय निताई
समस्त वैष्णव जन को दासाभास का प्रणाम
No comments:
Post a Comment