चिन्मय प्रसाद
प्रसाद में चिन्मयता तभी आती है, जब
उसे प्रभु ने स्वीकार कर पा लिया हो !
और स्वीकार तभी होता है, जब
पूर्ण शुद्धता एवं मर्यादा का पालन करते हुए
भाव, श्रद्धा व शास्त्रानुसार बनाया हो
अन्यथा वह भी राजसिक, तामसिक, गुणों
से युक्त एक पदार्थ ही है
प्रसाद चिन्मय है या नहीं, यह पता न होने
पर प्रसाद का एक कण लेकर प्रणाम करना चाहिए
चिन्मय है तो ठीक, नहीं तो दुष्प्रभाव
बहुत कम होगा
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
Lives, Born, Works = L B W at Vrindaban
www.shriharinam.blogspot.com
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