Friday, 5 October 2012

256. RAS KA PATR

RAS KA PATR


रस का पात्र

'रसो वै सः'
भगवान् रस स्वरुप है

रस के विषय में जाननने के लिए
आवश्यक है कि एक पात्र हो, जिसमे रस 
डाल कर रस के स्वरूप, मात्रा, आनंद आदि का
ज्ञान प्राप्त हो .


ये संत, ये साधू, ये वैष्णव गन, सिद्ध बाबा गन ही 
वह पात्र हैं, जिनके द्वारा उस रस का ज्ञान 
हम जन साधारण को होता है.

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA 

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