गोपियों को फरक नहीं पड़ता
ब्रज गोपियों को किसी ने सन्देश दिया की
आज तो श्री कृष्ण ने मथुरा की कुबड़ी 'कुब्जा ' को
अपना लिया है , अब वह तुम्हारे नहीं रहे
ब्रज गोपियों ने कहा -
'ब्याहों लाख ,धरो दस कुब्जा तोउ श्याम हमारे'
अर्थात वे लाखो विवाह कर ले और
दसियों कुब्जाओ को अपना ले इससे हमारे श्याम सुंदर को
यदि सुख मिलता है तो हमे आनंद है
हमे कोई फर्ख नहीं परता -
'श्याम सुंदर फिर भी हमारे हैं, थे और हमारे रहेंगे
यह है स्वसुखगंध लेश शुन्य
एवं तत्सुख सुखित्व विशुद्ध गोपी -प्रेम, जय हो !!!!!
यहाँ अपने सुख, कामना, कल्याण के लिए भक्ति नहीं की जा रही
अपियु श्री कृष्ण के सुख, आनंद के लिए समर्पण है, भक्ति है
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