Thursday, 25 October 2012

264. DASHAHRAA


दशहरा 

आज एक फोन आया 
'और दशहरा कैसा मना ?'

मैंने कहा- भाई मेरे इर्द-गिर्द कोई 
रावण है ही नही या शायद मुझे दिखता नहीं 

तो कैसा दशहरा ???

ये तो गोविन्द की नगरी वृन्दाबन  है,
यहाँ तो बस आनंद ही आनंद है 
न रावण है न दशहरा !!! 

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA

No comments:

Post a Comment