विशुद्ध प्रेम
गोपियों को कृष्ण से विशुद्ध प्रेम था
कृष्ण ब्रज में रहे , या मथुरा
या द्वारका - इस बात से कोई फर्क नहीं पढ़ता है
श्री कृष्ण को द्वारका में सुख है तो
गोपियो इसी में ही प्रसन्न है
वे कृष्ण के सुख में सुखी है, उनका अपना कोई सुख नहीं है
हमारे प्रियतम कही भी रहे ,कैसे भी रहे
वे हमारे है उनका सुख एवं आनंद विधान
ही हमारे प्रेम का आधार है
यही शुद्ध प्रेम है
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
गोपियों को कृष्ण से विशुद्ध प्रेम था
कृष्ण ब्रज में रहे , या मथुरा
या द्वारका - इस बात से कोई फर्क नहीं पढ़ता है
श्री कृष्ण को द्वारका में सुख है तो
गोपियो इसी में ही प्रसन्न है
वे कृष्ण के सुख में सुखी है, उनका अपना कोई सुख नहीं है
हमारे प्रियतम कही भी रहे ,कैसे भी रहे
वे हमारे है उनका सुख एवं आनंद विधान
ही हमारे प्रेम का आधार है
यही शुद्ध प्रेम है
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA
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