Tuesday, 16 October 2012

262. vaishnav navraatra



वैष्णव नवरात्र 

नवरात्र में दुर्गा पूजा अति प्रचलित है 
दुर्गा प्रभु की एक शक्ति है। अनेक दुर्गाओं  का वर्णन 
ग्रंथों में प्राप्त होता है .

आदि दुर्गा वैष्णवों के श्री गोपाल-मंत्र की अधिष्ठात्री है 
यह अति-दुर्गम=कठिन श्री कृष्ण भक्ति को देने वाली है।
-इस भाव से की गयी दुर्गा-पूजा भक्ति का एक अंग हो सकती है 
दुर्गा को स्वतंत्र शक्ति मन कर की गयी पूजा शाक्त-पूजा है 

वैसे वैष्णवों को इन 9 दिनों में इन 9 अंगों का श्रद्धा सहित 
विशेष अनुष्ठान पूर्वक पालन करना चाहिए 

1. श्रवण = कथा या ग्रंथ्-पाठ  सुनना
2. कीर्तन = संकीर्तन का आयोजन 
3. स्मरण = जप पूर्वक प्रभु का स्मरण 
4. पाद सेवन = श्री विग्रह की विशेष चरण सेवा व चरण दर्शन 
5. अर्चन = श्री विग्रह की विशेष श्रृंगार आदि से सेवा-अर्चना, आरती  
6. वंदन = पद गान द्वारा प्रभु की आज विशेष वन्दना 
7. दास्य = में प्रभु का नित्य दास हूँ -इस भाव को दृढ़ करते हुए प्रभु-सेवा में लगना 
8. सख्य = प्रभु ही मेरे सच्चे मित्र है - इस भाव को दृढ़ करते हुए प्रभु-सेवा में लगना 
9. आत्म निवेदन = अपने आप को सब प्रकार से प्रभु को समर्पित करना  

इस प्रकार नवरात्र का आयोजन करना वैष्णव नवरात्र है   

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ NANGIA

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