सज्जन या क्रिमनल
कभी हमारा कोई काम अटक जाए तो
हम या तो नगर के प्रतिष्ठित सज्जन व्यक्ति से निवेदन करते हैं
अथवा फिर किसी क्रिमिनल टाइप के आदमी से संपर्क करते हैं.
और शायद हमारा काम हो जाता है
काम होने के बाद सज्जन व्यक्ति भविष्य में कभी ब्लैक मेल नहीं करता,
लेकिन क्रिमनल के साथ इस बात की पूरी सम्भावना रहती है.
उसे महत्व न देने पर वह हमें परेशान भी कर सकता है.
सज्जन एवं क्रिमनल की भांति देवता भी
सात्विक, राजसिक, तामसिक तीन प्रकार के होते हैं.
इन्द्र की पूजा जब तक होती रही, तब तक तो ठीक.
पूजा न होने पर ब्रज को तहस-नहस करने चला था.
लोक में भी दुर्गा-काली आदि की पूजा में यदि
भूल हो जाए तो ये तुरंत अनिष्ट करती हैं-यह प्राय देखा गया है.
लेकिन सात्विक देवता, विशेषकर देवताओं के भी देव भगवान श्री कृष्ण या राम
की पूजा-भक्ति करो तो वे प्रसन्न. न करो तो भी प्रसन्न.
इनकी पूजा न करने से ये अनिष्ट नहीं करते.
सर्व श्रेष्ठ हैं तो फिर क्यों भागना इधर-उधर ?
आप की बात सही है किंतु देवी, देवता, या अन्य की पूजा किस भाव और किस क्रिया को लेकर हो रही है यह निर्भर करता कि वो शक्ति क्या परिणाम देगी। जैसे कि काली कलकत्ते वाली और रामकृष्ण परमहंस की काली माँ एक है परिणाम विभिन्न है। जैसे कि कृष्ण द्वारिका और ब्रज के कृष्णा एक है किंतु परिणाम अलग प्रतीत होते वास्तव मे हमारे शास्त्रों को इस प्रकार तोड़ कर प्रदर्शित करना कि हर व्यक्ति असमंजस और रहस्यमयी हो जाता है कि पूछो नही। प्रभु सहज है वो कही बाहर है तो भी स्वयं की आंतरिक शक्ति से और अंदर है तो भी स्वयं की जागृति से। भ्रमति होने से अच्छा है कि स्वयं ही अपने भावों को उच्चतम और प्रभु समर्पित कर देना। इसलिए भृम पैदा ना करे।
ReplyDeleteजय श्री राधे कृष्ण