Saturday 10 March 2012

189. kaam




 काम 

स्रष्टि मैं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो काम यानी कामना | इच्छा | चाहे वह
शरीर सुख भोग से सम्बंधित हो या यश, मान, प्रतिष्ठा, भोतिक सुख सुविधाओं से सम्बंधित हो,

जीवन भर अपनी कामनाओं की पूर्ति मैं येन केन प्रकारेण लगे रहते हैं 
इसके लिए वे धन कमाते भी है और धन मारते भी हैं, ऋण  भी लेते हैं | अन्याय अधर्म करते हैं |

कैसे भी ये इच्छा पूरी हो बस ! 
लुट जाएँ, पिट जाएँ, ऋणम कृत्वा घ्र्तम पिबेत

कामना भी एक एसी चीज है कि एक पूर्ण हुई, दूसरी खड़ी हो गई | 
दूसरी पूर्ण हुई, तीसरी खड़ी हो गई कामनाओं का अंत नहीं है | 

अर्थ - धर्म - काम ये तीन प्रवत्तिपरक   हैं | 
आगे मोक्ष् पर विचार करेंगे |

धर्म पूर्वक 
अर्थ उपार्जन करके अपनी उचित 
कामनाओं को पूर्ण कर उनसे 
मोक्ष पाना ही बहुत नहीं  है

इसके आगे भी है , कल चर्चा करेंगे.

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

kaam, काम

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