PRACTICAL
विज्ञान के सिद्धांत पहले हम पुस्तकों में पढते हैं,फिर उन्हीं सिद्धांतों को प्रयोगशाला में जाकर practical करते हैं.
ऐसा करने से वह सिद्धांत सत्य सिद्ध तो होता ही हैसाथ ही हमारे दिल-दिमाग में पक्की तरह बैठ भी जाता है.
श्री मद्भागवत में वर्णन है कि उद्धव ने वृन्दावन में गुल्म, लता, औषधि रूप में अपना जन्ममाँगा है.
उद्धव के साथ-साथ अनेक संतों ने भी ऐसा माँगा होगा और उन्हें लता औषधि, पौधे के रूप में जन्म मिला भी होगा.
इस theoritical बात का practical यदि देखना है तो भगवद्भक्ति प्राप्त संतों का संग प्राप्त करना होगा.
बाबा श्री चंद्रशेखर जी ने अपने दान्तुन के लिए भी कभी किसी वृक्ष को नहीं तोडा.
प्रथम तो अनेक वर्षों तक ब्रज रज से ही मंजन करते रहे. बाद में बाज़ार से लाये पाउडर से मंजन किया.
भक्ति-विषयक सिद्धांतों की प्रयोगशाला हैं-भगवद्भक्ति प्राप्त साधू-वैष्णव संत गन .
इनका प्रकष्ट संग करने से ही सभी सिद्धांतों का प्रक्टिकल स्वत हो जाता है.
संतों का संग करने पर फिर
संतों का संग करने पर फिर
वृन्दाबन के वृक्ष को मर्म न जाने कोय, डाल डाल अरु पात-पात पर राधे-राधे होय'
इस बात पर कोई संशय नही रहता और वृक्ष 'राधे-राधे' कैसे बोलते है यह बात समझ आ जाती है.
इस बात पर कोई संशय नही रहता और वृक्ष 'राधे-राधे' कैसे बोलते है यह बात समझ आ जाती है.
अपने चरणों से ऐसे लगा लो,
ReplyDeleteतेरे चरणों का गुणगान गाऊं।
मैं रहु इस जगत में कही भी,
तेरी चौखट को न भूल पाऊं।