लड्डू का चुरा
खूब लड्डू बांधो लेकिन चुरा यदि झड़ता रहेगा तो हमे क्या आपत्ति है.
अर्थात तुम लड्डू खाते रहो हमे भी थोडा थोडा चूरा खिलते रहो.
इतिहास गवाह है आन्दोलन प्रकट में कुछ और होता है
और वास्तव में कुछ और
मुह बंद होते ही आन्दोलन बंद .
इन्तेजार कीजिये चूरा मिलते ही आजकल के
आन्दोलन कारी भी न जाने कहा खो जाएँगे.
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