Friday 22 June 2012

224. LADDU KA CHURA



लड्डू का चुरा 

खूब लड्डू बांधो लेकिन चुरा यदि झड़ता रहेगा तो हमे क्या आपत्ति है.
अर्थात तुम लड्डू खाते  रहो हमे भी थोडा थोडा चूरा खिलते रहो.

इतिहास गवाह है आन्दोलन प्रकट में कुछ और होता है 
और वास्तव में कुछ और
मुह बंद होते ही आन्दोलन बंद .

इन्तेजार  कीजिये चूरा मिलते ही आजकल के
आन्दोलन कारी भी न जाने कहा खो जाएँगे.

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