Monday 18 June 2012

221. bhakt paraadhinta


 भक्त पराधीनता 

श्री जीव गो० ति० म० तिथि पर श्रीचन्द्रशेखर बाबा के वचनाम्रत


कही भी नही कह गया है कि 
"अहं योगी पराधीनो" 
"अहं ज्ञानी पराधीनो"

लेकिन श्री गीता मै श्री कृष्ण ने कहा है कि  
अहं भक्त पराधीनो 
भक्ति एवं भक्त ही एसा मार्ग है जिसके वशीभूत हो जाते है - भगवान् 

भक्त वश्यता - श्री भगवान् की 
मजबूरी नही, वे असमर्थः नही है

वे चाहे तो वशीभूत होने की कोई जरुरत नही

लेकिन सूर्य की गर्मी, चन्द्र की शीतलता 
की भाति यह उनका स्वरुप धर्म  है 
स्वभाव है । सामथ्य का अभाव  नही । 

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

bhakt paraadhinta

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