भक्त पराधीनता
श्री जीव गो० ति० म० तिथि पर श्रीचन्द्रशेखर बाबा के वचनाम्रत
कही भी नही कह गया है कि
"अहं योगी पराधीनो"
"अहं ज्ञानी पराधीनो"
लेकिन श्री गीता मै श्री कृष्ण ने कहा है कि
अहं भक्त पराधीनो
भक्ति एवं भक्त ही एसा मार्ग है जिसके वशीभूत हो जाते है - भगवान्
भक्त वश्यता - श्री भगवान् की
मजबूरी नही, वे असमर्थः नही है
वे चाहे तो वशीभूत होने की कोई जरुरत नही
लेकिन सूर्य की गर्मी, चन्द्र की शीतलता
की भाति यह उनका स्वरुप धर्म है
स्वभाव है । सामथ्य का अभाव नही ।
JAI SHRI RADHE

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