Tuesday, 12 June 2012

216. jeevakah




जीवक:

श्री जीव गोस्वामी ने अपनी भक्ति - जात दीनतावश अपने आपको 
जीवक: लिखा - अर्थात कोई एक सामान्य सा जीव |

लेकिन श्री विश्वनाथ चक्रवर्ती पाद ने 
जीवक: की व्याकरण सम्मत व्याख्या की 
कि जिन्होंने अपने आचरण द्वारा अपने द्वारा रचित दर्शन ग्रन्थ
व्याकरणआदि रचनाओं के द्वारा जीवों को जीवन दान 
दिया - वह जीवक = यानी जीवों को अपनी 
करुना द्वारा जीवनदान देने वाले | 
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JAI SHRI RADHE

jeevakah

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