ब्रह्म वैवर्त पुराण- १८५/१८०कृष्ण जन्म खंड में लिखा है कि
अश्वमेध गवालाम्भम संन्यासम पल्पैत्रिकम
देवरेन सुतोत्पत्ति कलौ पञ्च विवर्जयेत |
अर्थात
१. अश्वमेध
२. गौमेध
३.संन्यास
४. मांस से श्राद्ध
५. देवर से पुत्र-उत्पत्ति
कलियुग में ये ५ नहीं करने चाहिए
चार तो शायद नहीं ही होते हैं, हाँ ! संन्यास चलता तो है,
लेकिन उसका पालन होता नहीं दीखता है.
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
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