Thursday 14 June 2012

218. KALI M SANNYAAS




ब्रह्म वैवर्त पुराण- १८५/१८०कृष्ण जन्म खंड में लिखा है कि

अश्वमेध  गवालाम्भम   संन्यासम  पल्पैत्रिकम 
देवरेन सुतोत्पत्ति   कलौ  पञ्च   विवर्जयेत    |

अर्थात

१. अश्वमेध
२. गौमेध
३.संन्यास
४. मांस से श्राद्ध 
५. देवर से पुत्र-उत्पत्ति

कलियुग में ये ५ नहीं करने चाहिए

चार तो शायद नहीं ही होते हैं, हाँ ! संन्यास चलता तो है,
लेकिन उसका पालन होता नहीं दीखता है.


JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

No comments:

Post a Comment