Tuesday 19 June 2012

222. HUM CHOR HAIN





नहीं तो हम चोर हैं 

हमारे आचार्यों द्वारा दिए गये ज्ञान और ग्रन्थ, उनके आचरण 
ही हमारे या वैष्णवों के  प्राण स्वरूप हैं |

उन आचार्यों की जयंती या तिरोभाव तिथि को उत्सव मानकर, 
उनकी तिथियों 
की आराधना करके हम उन आचार्यों के प्रति 
अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं |

हमें प्राण स्वरूप आचरण, ग्रन्थ, शिक्षा, टीकाएँ 
प्रदान करने वाले आचार्य 
संत, गोस्वामीगण की तिथियाँ 
यदि हम न मनाये तो हम चोर हैं, हम कृतघ्न हैं |  


-- 
JAI SHRI RADHE

 आचार्यों की जयंती

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