Monday, 24 July 2017

Suksham Sutra Part 46

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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 4⃣6⃣

💡 भगवान के नाम का उच्चारण
जप - माला - कीर्तन किसी भी रूप में अभी से प्रारंभ करो, क्योंकि जिसका अभ्यास प्रारंभ से रहेगा अन्त समय वही मुख से निकलेगा, जीवन का अन्त कब होगा यह कोई नहीं जानता।



💡 श्री नारदभक्तिसूत्र में कहते हैं - श्रीभगवान के प्रति अपना सर्वस्व समर्पण हो जाने तक लौकिक व्यवहार (कर्म) को निन्दित समझकर त्यागना नहीं चाहिए अपितु कर्मफल का त्याग और उसका अभ्यास करते रहना चाहिए।

💡 क्रोध का द्वार है - मुँह
इसलिए जब क्रोध हावी हो तो मौन हो जाना सबसे श्रेष्ठ उपाय है।

🐚 ।। जय श्री राधे ।। 🐚
🐚 ।। जय निताई ।। 🐚

🖊लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at Vrindabn

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