Saturday, 21 January 2017

Sukshm Sutra Part 35



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 3⃣5⃣

💡 श्रीधाम वृन्दावन में बाहर से आने वाले कुछ लोगों को जो गंदगी और अव्यवस्था दिखती है, उन्हें समझना चाहिए की ये उन जैसे यात्रियों के द्वारा ही फैलाई हुई है. क्योकि अपने घर को कौन गंदा करता है. अतः  श्रीधाम आये तो इस बात का विशेष ध्यान रखे.

💡 मानसिक स्मरण में तब तक आनंद प्राप्त नही होता जब तक कि चित्त शुद्धि न हो. किन्तु वाचिक जप अर्थात नाम संकीर्तन  चित शुद्धि की अपेक्षा नही रखता अतः सर्वश्रेष्ठ है. परन्तु श्रीगुरु द्वारा प्रदत गुरु मन्त्र का वाचिक जप नही करना चाहिए.

💡 जप तीन प्रकार का है-
वाचिक : उच्चस्वर से जप या संकीर्तन
उपांशु : इतने ऊँचे स्वर में कि बस जप करने वाले के ही कानो तक उसकी ध्वनि पहुंचे
मानसिक : बुद्धियोग द्वारा मन से जप. न होंठ हिले न आवाज़ आये.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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