Monday, 9 January 2017

Suksham Sutra Part 33



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 33

💡 इस जीवन में नारकीय यातनाओं का किंचित अनुभव देखना हो तो खतरों के खिलाडी सेरियल देखें. पैसों के लालच में मनुष्य कंहा तक गिर सकता है उसकी सीमा देखी जा सकती है

💡 देवियाँ अनेक हैं और उनकी पूजा का फल भी अलग अलग है पर आप किस देवी की पूजा के रहे हैं शायद ये भी नही जानते और ये भी कि उसका फल क्या मिलेगा? मिलेगा भी या नही? कंही ये भेद चल या सैर सपाटा तो नही? वैसे ब्रज में रहकर देवी की पूजा ऐसे ही है जैसे राष्ट्रपति के पास बैठकर उसके पीए का गुणगान करना.

💡 भक्ति के 64 अंगों में अंतिम अंग है श्रीधाम वृन्दावन वास. श्रीधाम में रहने से सत्पुरुषों का संग, कीर्तन, कथा श्रवण, नाम स्मरण आदि सहज में ही प्राप्त होते हैं. - श्रील विश्वनाथ चक्रवर्तीपाद

 ॥ जय श्री राधे ॥ 
 ॥ जय निताई  ॥ 

 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

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