Thursday 26 January 2017

Savtantr Evm Gantantr

स्वतंत्र एवम् गणतंत्र

✔  *स्वतंत्र एवम् गणतंत्र*    ✔

▶ परम् स्वतंत्र हैं हमारे ठाकुर श्री कृष्ण । समस्त सृष्टि के स्वामी । होने न होने वाले कार्य को भी करने में समर्थ ।

▶ जेसे 7 वर्ष की आयु में 7 दिन तक कन्नी ऊँगली पर गिरिराज

▶ हम उन्ही के अंश हैं । वे पूर्ण स्वतंत्र हैं । हम आंशिक स्वतंत्र हैं ।
हम इतने स्वतंत्र अवश्य हैं कि अपने हित अनहित को जान कर निर्णय ले सकें

▶ हमारा संविधान भी संतों ने बनाया हुआ है । लेकिन माया के कारण हम भृमित होकर अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग करते हैं

▶ स्वतंत्रता के सदुपयोग में कल्याण है । दुरूपयोग में कष्ट है । हम दोनों के चुनने में भी स्वतंत्र हैं । अब निर्णय आपका । हमारा कि हम क्या चुनें आनंद या कष्ट ।

▶ आनंद स्वरूप श्रीकृष्ण के नित्य दास हम उनके नाम का आश्रय यदि ले लें तो इससे बड़ा आनंद कुछ और नही

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn 

No comments:

Post a Comment