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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 3⃣6⃣
💡 इस जन्म में किये गये पाप कर्मो का प्रायश्चित करने से अथवा सन्त-भागवत कृपा से उनमें कुछ कटौती सम्भव है परन्तु पूर्व में संचित और प्रारब्ध पाप-कर्मों को तो भोगना ही पड़ेगा.
💡 समस्त पाप-कर्मों का सर्वश्रेष्ठ प्रायश्चित है - श्रीहरिनाम.
अजामिल द्वारा अंतिम समय में अपने पुत्र "नारायण" को पुकारने पर उसकी मुक्ति सर्वज्ञात है.
💡 शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि एकबार श्रीहरिनाम : श्रीकृष्ण नाम लेने से समस्त पाप त्त्कष्ण नष्ट हो जाते हैं, परन्तु ध्यान रहे-वंहा भी शर्ते लागू हैं. (चै. च. अन्त्य-3 )
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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