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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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🔮 भाग 3⃣4⃣
💡 एकादशी व्रत नित्य कर्म है क्योंकि या श्रीभगवान की प्रीटी विधान के लिए किया जाता है. और एनी व्रत नैमितिक कर्म हैं जो किसी चाहना या मन्नत के लिए किये जाते हैं और उनकी अवधि निश्चित होती है जैसे- नवरात्र के 9 दिन, सोमवार के 16 दिन, वैभव लक्ष्मी के २१ दिन आदि आदि. फिर उन्हें छोड़ देते हैं. किन्तु एकादशी व्रत कभी भी छोड़ा नही जाता.न ही उसका पारण करना शास्त्र विधान है.
💡 कर्म दो पत्रकार के हैं. एक: नित्य कर्म - दो: नैमितिक कर्म. नित्य कर्म वे है जो बिना किसी निमित्त के सदैव किये जाएं और नैमितिक कर्म वे हैं जो किसी निमित्त के लिए विशेष रूप से किये जाएँ और निमित्त पूरा होने पर छोड़ दिए जायें. जैसे विवाह से पूर्व गणेश या नवग्रह पूजन या सुटक पातक के समय धार्मिक कर्मकाण्ड.
💡 जब फल पक जाता है तो वह मीठा हो जाता है नर्म हो जाता है और उसका रंग आकर्षक हो जाता है. ऐसे हो जब व्यक्ति परिपक्व हो जाता है तो उसकी वाणी में मिठास आ जाती है. वह विनम्र हो जाता है और उसका ललाट तेजोमय हो जाता है.
🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई ॥ 🐚
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn
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