Tuesday, 31 January 2017

Sukshm Sutra Part 37

Sukshm Sutra Part 37


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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 3⃣7⃣

💡 क्रोधी, दम्भी, मात्सर्य
ईर्ष्यावश और
भेदबुद्धि होकर
हिंसा करते हुए
जो मेरी पूजा करता है
वह तामसिक भक्त है.

💡 इन्द्रियों का सुख-भोग
प्रारब्ध के अनुसार
निश्चित ही मिलता है.
इसलिए अपने आप
प्राप्त होने वाले
सुख भोग के लिए
अत्यधिक परिश्रम और
प्रयास की क्या आवश्यकता ?

💡 पाप और पुण्य कर्मो के फल
आपस में एडजस्ट नही होते.
पाप का फल दुःख और
पुन्य का फल सुख
भोगना ही पड़ता है .

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

Sunday, 29 January 2017

Shri Kashishvar Pandit Ke Gour govind

Shri Kashishvar Pandit Ke Gour govind


✔  *श्रीकाशीश्वर पंडित के श्रीगौरगोविंद*    ✔

▶ यह महाप्रभु के अंतरंग भक्तों में हैं । आप पूरी धाम में विराजते थे । महाप्रभु जी ने इन्हें आदेश दिया कि आप वृंदावन जाओ और वहां वास करो ।

▶ इन्होंने कहा प्रभु मैं आपको छोड़कर कहीं भी नहीं जाऊंगा । जहां आप हो वही मेरा वृंदावन है। लेकिन प्रभु ने कहा काशीश्वर आप को वृंदावन जाना ही होगा ।

▶ क्योंकि श्री वृंदावन धाम अपने आप में साध्य हैं श्री वृंदावन धाम वास प्राप्त हो गया और चिन्मय दृष्टि प्राप्त हो गई तो समझो ठाकुर प्राप्त हो गए । तद्धाम वृन्दावनं ।

▶ इसीलिए हमारा वास्तव्य धाम श्री वृंदावन ही है ।अतः आप वृंदावन जाओ । लेकिन काशीश्वर किसी भी प्रकार से समझने को तैयार नहीं हुए।

▶ बोले मैं तो आपके साथ ही रहूंगा । तब इनका आग्रह देखकर महाप्रभु जी ने इनको एक विग्रह प्रदान किया । और उस विग्रह को विराजमान करके काशीश्वर ने महाप्रभु को और उस विग्रह को साथ साथ अन्न प्रसाद आदि भोग लगाया ।

▶ महाप्रभु के साथ उस श्रीविग्रह ने भी महाप्रभु की भांति ही प्रसाद पाया । तब महाप्रभु जी ने कहा कि देखो यह विग्रह मेरा ही साक्षात स्वरुप है ।

▶ तुम्हें मेरे साथ रहना है ना  । तुम इस विग्रह को ले जाओ, समझो मैं तुम्हारे साथ हूं । वह विग्रह श्रीकृष्ण विग्रह था ।

▶ तब काशीश्वर को विश्वास हो गया और उस विग्रह का नाम रखा श्री गौर गोविंद । वह गौर गोविंद विग्रह  छोटा सा विग्रह है ।

▶ श्रीगोविंद मंदिर जयपुर में पूजित और सेवित होता है उस के दर्शन अनेक बार यहां पर आए हैं उस विग्रह को लेकर काशीश्वर श्रीधाम में आए । और सदैव श्री महाप्रभु की अनुभूति मानकर उसकी पूजा करते हुए अखंड श्रीधाम वास किया ।

▶ उन्होंने ही इस विग्रह को श्री गोविंद देव के दक्षिण हाथ की तरफ विराजमान किया था जो आज भी विराजित है ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

Friday, 27 January 2017

Granth Prichay - Braj Ke Raj Kan

Braj Ke Raj Kan


📖 ग्रन्थ  परिचय   9⃣0⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज के रज कण
💢 लेखक : दासाभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ  : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज भक्ति को समझने के लिए छोटे छोटे किन्तु महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर सरल, रोचक, बोधगम्य सामग्री

💢 कोड : M090 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

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Suksham Sutra Part 36



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 3⃣6⃣

💡 इस जन्म में किये गये पाप कर्मो का प्रायश्चित करने से अथवा सन्त-भागवत कृपा से उनमें कुछ कटौती सम्भव है परन्तु पूर्व में संचित और प्रारब्ध पाप-कर्मों को तो भोगना ही पड़ेगा.

💡 समस्त पाप-कर्मों का सर्वश्रेष्ठ प्रायश्चित है - श्रीहरिनाम.
अजामिल द्वारा अंतिम समय में अपने पुत्र "नारायण" को पुकारने पर उसकी मुक्ति सर्वज्ञात है.

💡 शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि एकबार श्रीहरिनाम : श्रीकृष्ण नाम लेने से समस्त पाप त्त्कष्ण नष्ट हो जाते हैं, परन्तु ध्यान रहे-वंहा भी शर्ते लागू हैं. (चै. च. अन्त्य-3 )

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn 

Thursday, 26 January 2017

Savtantr Evm Gantantr

स्वतंत्र एवम् गणतंत्र

✔  *स्वतंत्र एवम् गणतंत्र*    ✔

▶ परम् स्वतंत्र हैं हमारे ठाकुर श्री कृष्ण । समस्त सृष्टि के स्वामी । होने न होने वाले कार्य को भी करने में समर्थ ।

▶ जेसे 7 वर्ष की आयु में 7 दिन तक कन्नी ऊँगली पर गिरिराज

▶ हम उन्ही के अंश हैं । वे पूर्ण स्वतंत्र हैं । हम आंशिक स्वतंत्र हैं ।
हम इतने स्वतंत्र अवश्य हैं कि अपने हित अनहित को जान कर निर्णय ले सकें

▶ हमारा संविधान भी संतों ने बनाया हुआ है । लेकिन माया के कारण हम भृमित होकर अपनी स्वतंत्रता का दुरूपयोग करते हैं

▶ स्वतंत्रता के सदुपयोग में कल्याण है । दुरूपयोग में कष्ट है । हम दोनों के चुनने में भी स्वतंत्र हैं । अब निर्णय आपका । हमारा कि हम क्या चुनें आनंद या कष्ट ।

▶ आनंद स्वरूप श्रीकृष्ण के नित्य दास हम उनके नाम का आश्रय यदि ले लें तो इससे बड़ा आनंद कुछ और नही

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn 

Wednesday, 25 January 2017

Granth Prichay : Brij Ki Kheer


Brij Ki Kheer

📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣8⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज की खीर
💢 लेखक : दासभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ  : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज भक्ति से सम्बन्धित छोटे छोटे बेसिक  विषयों पर सरल संकलन

💢 कोड : M088 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

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Tuesday, 24 January 2017

Granth Prichay : Sangeet Madhav-ShriRadhaKrishnaarchandeepika

Sangeet Madhav-ShriRadhaKrishnaarchandeepika


📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣7⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : संगीतमाधव-श्रीराधाकृष्णार्चनदीपिका  
💢 लेखक : श्रीप्रबोधान्न्दसरस्वती-श्रीजीवगोस्वामी
💢 भाषा : हिंदी | ब्रजविभूति श्रीश्यामदास
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ  : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : गीतगोविन्द की भांति प्रिया-प्रियतम की श्रृंगार लीलाए एवं दुसरे ग्रन्थ में श्रीकृष्ण की पूजा के साथ श्रीराधा की अनिवार्यता

💢 कोड : M087 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
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Dasabhas Ji Kahin 240117

Dasabhas Ji Kahin


🙌🏼      🙏🏼     🙌🏼      🔏🔓
🎪जय गौर हरि🎪

📮📮कुछ जिज्ञासाएँ❓
💽💽💽उनके समाधान....।
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📮श्री राधाकृष्ण जी उपासना में मुख्य अंग क्या है?

~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/thakur-g-ki-prasanta-k-liye-kya-kiya-jaye

💽⏰03:38
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📮 श्री प्रिया जी ही मुख्य रूप से युगल रूप में। रुक्मणी जी इतनी मुख्य नहीं।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/shrijipopula

💽⏰05:42
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📮श्री गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ महिमा।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/gopal

💽⏰02:42
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📮श्री भक्त चरित्र- पिछले 200 वर्ष तक के।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/U1N2VlZG#

💽⏰01:35
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📮 खंडपीठ का अर्थ या यह आध्यत्म में कैसे क्रियान्वित होती है।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/db-courts

💽⏰05:16
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📮 अनासक्त होकर ग्रहस्थी में काम और भजन। ग्रहस्थ महिमा। ग्रहस्थी साधक की दिनचर्या।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/anasakt

💽⏰06:45

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📮 भक्ति के अनुभव अनाधिकारी या जनसामान्य से शेयर नहीं करना।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/anubhav


💽⏰05:25
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📮 शरणागत सम में रहता है।

~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/alag-2

💽⏰01:53
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🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
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Monday, 23 January 2017

Granth Prichay : Braj ki Khichadi



📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣6⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज की खिचड़ी
💢 लेखक : दासाभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ  : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज की भक्ति को समझने के लिए छोटे छोटे किन्तु महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर सरल, रोचक बोधगम्य सामग्री

💢 कोड : M086 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

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Vijay Main Kripa Ke Darshan

Vijay Main Kripa Ke Darshan

  *विजय में कृपा के दर्शन*   

दासाभास के पिता जी के एक मित्र थे, उन्होंने किसी सेठ से कुछ रुपए उधार लिए थे । उस समय में उधार के रूप में ₹500 भी पर्याप्त होते थे ।

सेठ जी भी वेश्नव वृत्ति के थे और पिताजी के मित्र भी वैष्णव थे । समय आने पर पिताजी के मित्र ने उन सेठ जी को जो भी उधार रुपए लिए थे वह वापस कर दिए । उसकी ब्याज आदि न लेनी थी न देनी थी ।

विश्वास का जमाना था । कोई लिखा पढ़ी नहीं थी समय चलता रहा । साल दो साल बाद कहीं उन सेठ जी को ऐसा लगा कि इस वैष्णव ने अभी तक मेरी राशि नहीं लौटाई है ।

उन्होंने दासभास के पिताजी के मित्र से कहा भइया काफी समय हो गया आपने ज़िक्र भी नहीं किया आप कृपा करके मेरी वह राशि वापस कर दें ।

वैष्णव तो भौचक्का रह गया और उसने कहा सेठ जी मैंने तो आपको राशी फला फला दिन 2 साल पहले ही वापस कर दी थी । आप वहां घर में बैठे थ, मैं गया था और मैंने आपको राशि देनी थी ।

सेठ जी को बिल्कुल विस्मृति हो गई और उन्होंने डराया-धमकाया । दासाभास के पिताजी से भी कहा । अंततः उस पर मुकदमा ठोक दिया ।

कोर्ट में डेट लगने लगी । सेठ जी को विस्मृति और इस वैष्णव को अफसोस । बेईमान दोनों में से कोई न था । एक बस घटना चक्र होना था।

अंतिम निर्णय होना था आज के दिन ।  एक परम सिद्ध संत स्वामीजी हुआ करते थे । स्वामी ललित लडैती जी, वह वैष्णव उनके पास गया और रोया के ऐसे ऐसे मैंने वह राशि वापस कर दी थी ।

आज फैसला होना है यदि मुझे दोबारा पैसे देने पड़ गए तो मेरे पास तो आज इतनी राशि भी नहीं है ।

स्वामी जी ने उनकी आंखों में आंखें डालकर पक्का कराया के क्या यह बात सही है । स्वामी जी से बोला मैं अपने बच्चों की कसम, अपनी कसम एक दम सही है ।

स्वामी जी ने बोला चलो जाओ आज की डेट देखो । देखते हैं क्या होता है । कोर्ट में पेश हुए । जज ने अंतिम बार पूछा कि आप अंतिम बार बताइए आपने पैसे दिए तो कब दिए, कहां दिए, इसने साफ-साफ वही बात बताई । इतना समय था । में इन के घर गया, यह कुर्सी पर बैठे हुए थे फलाना ढिकाना सारा विवरण देकर मैंने इनको राशि वापस थी ।

पता नहीं क्या हुआ । सेठ जी की विस्मृति स्मृति में बदल गई और सेठ जी की तो आंखें चौड़ गई और बीच में ही बोल उठे । हां हां हां हां । जज साहब । हां । इसने मुझे पैसे दिए । मेरी गलती है मैं भूल गया । अभी इस के याद दिलाने पर मुझे याद आ गया । मैं माफी चाहता हूं । मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है । इस््ने पैसे दे दिए थे ।

केस खारिज हो गया। सेठ जी ने खेद व्यक्त किया । दोनों अपने घर आ गए । यह सब एक संत की कृपा से हुआ ।

लेकिन वह वैष्णव स्वामी जी से कहने लगे के इस सेठ को अब मैं मज़ा चखाऊंगा । इसने मेरी बदनामी की । मेरे को परेशान किया । मैं इस पर मानहानि का दावा करूंगा ।

स्वामी जी ने कहा । बेटा, ठाकुर जी की कृपा से उसकी स्मृति लौट आई तेरा काम  बन गया । अब यह इस प्रकार का अहंकार या अभिमान करना नितांत अनुचित है ।

और सेठ जी वैष्णव है । बेईमान नहीं है । उसकी विस्मृति के कारण यह सब हो रहा था । वह यदि स्मृति आने पर भी नहीं मानता तो तुम क्या कर लेते । उसने तुम से ब्याज भी नहीं ली ।

अतः ठाकुर जी की कृपा का अनुभव करो और भजन में लगो । यह मान अपमान वैष्णव के लिए शोभा नहीं देता ।

इस कथा से यह एक हमें उपदेश मिलता है कि हमारे जीवन में भी इस प्रकार की घटनाएं होती हैं । कभी ऐसा हो तो ठाकुर की कृपा का ही अनुभव करना चाहिए ।

हमें ईगो-या सामने वाले को बार बार नीचे दिखाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई   🐚

 
🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

Saturday, 21 January 2017

Granth Prichay : Brij Bhakti Ke 64 Ang



📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣5⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज भक्ति के 64 अंग  

💢 लेखक : दासाभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी
💢 पृष्ठ  : 168 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : भक्ति के 64 अंगो की सरल, रोचक, बोधगम्य दासाभासिनी हिंदी टीका

💢 कोड : M085 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

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Sukshm Sutra Part 35



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 3⃣5⃣

💡 श्रीधाम वृन्दावन में बाहर से आने वाले कुछ लोगों को जो गंदगी और अव्यवस्था दिखती है, उन्हें समझना चाहिए की ये उन जैसे यात्रियों के द्वारा ही फैलाई हुई है. क्योकि अपने घर को कौन गंदा करता है. अतः  श्रीधाम आये तो इस बात का विशेष ध्यान रखे.

💡 मानसिक स्मरण में तब तक आनंद प्राप्त नही होता जब तक कि चित्त शुद्धि न हो. किन्तु वाचिक जप अर्थात नाम संकीर्तन  चित शुद्धि की अपेक्षा नही रखता अतः सर्वश्रेष्ठ है. परन्तु श्रीगुरु द्वारा प्रदत गुरु मन्त्र का वाचिक जप नही करना चाहिए.

💡 जप तीन प्रकार का है-
वाचिक : उच्चस्वर से जप या संकीर्तन
उपांशु : इतने ऊँचे स्वर में कि बस जप करने वाले के ही कानो तक उसकी ध्वनि पहुंचे
मानसिक : बुद्धियोग द्वारा मन से जप. न होंठ हिले न आवाज़ आये.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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Tuesday, 17 January 2017

Grant prichay: Braj Ki Prerna

ब्रज की प्रेरणा
ब्रज की प्रेरणा  


📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣4⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज की प्रेरणा
💢 लेखक : दासाभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ  : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज भक्ति से सम्बन्धित छोटे छोटे विषयों पर सरल संकलन

💢 कोड : M084 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
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Bhagawan Ki Kripa ke Teen Dwar


Bhagawan Ki Kripa ke Teen Dwar
भगवान की कृपा के तीन द्वार

भगवान की कृपा के तीन द्वार

1⃣ शास्त्र
शास्त्र या ग्रन्थ वे हैं जो या तो अपौरुषेय हैं या जो विज्ञानी अर्थात् अनुभवी संत । आचार्यों द्वारा लिखे गए हैं ।

धनवान सेठों या नाटकीय लोगों द्वारा अपने यश हेतु ऊल जुलूल लिखे गए ग्रन्थ शास्त्र नही हैं ।

शास्त्रों के अध्ययन से दासाभास सहित सबको भगवान का ज्ञान होता है । भजन करने की आवश्यकता और विधि एवं रहस्यों का ज्ञान होता है ।

इसके बाद । भगवान की महिमा का । अपने दुर्लभ मानव जीवन का ज्ञान होने पर ही मानव भजन म् प्रवृत्त होता है । अतः सबसे पहले शास्त्र कृपा ।

2⃣ गरु
अथवा संत वैष्णव द्वारा भी हमे कृपा की प्राप्ति होती है । इनकी सेवा, इनकी आज्ञा पालन से ये हमे भजन का मार्ग बताते हैं । क्योंकि इन्होंने वह मार्ग देखा होता है, इन्हें अनुभव होता है ।

विशेष कर सच्चे संत निरपेक्ष होते हैं, करुणा शील होते हैं । वे चाहते हैं कि जो आनंद मुझे मिल रहा है वह इसे भी मिले ।

अतः व्यावसायिक गुरु या कथावाचक जो अपनी गृहस्थी चलाने के लिए अध्यात्म में आये हों, उनसे बचते हुए सच्चे सन्तों का संग अवश्य करना चाहिए । यूंकि कृपा अवश्य प्राप्त करनी ही है दासाभास को ।

3⃣ आत्म कृपा
और सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अपने पर स्वयं कृपा करें । जो मुर्ख हैं, जो अज्ञानी हैं, जिन्हें जीवन का रहस्य , उद्देश्य नही पता चल पाया, उनकी बात छोड़िये, दासाभास और आपको तो पता चल गया । फिर भी दासाभास भजन म नही लग रहा, भटकता है इधर उधर ।

यहाँ अपने ऊपर अपनी कृपा चाहिए कि दासाभास, बहुत हो गया , अब लग जा । अथवा शरीर म विराजमान जो आत्मा है, उसकी आवाज सुनी जाये । उसकी कृपा ही है ये कि वह आत्म तत्व हमे प्रति क्षण सावधान करता है ।

यदि हम बिलकुल नही सुनते हैं । मद म अंधे हो जाते हैं तो फिर आत्म कृपा भी शांत हो जाती है ।

अतः बहुत हो गया । दासाभास अब तो चेत जा । सावधान हो जा । कोशिश करके इन तीन कृपाओं को प्राप्त करने का प्रयास कर तो फिर दिल्ली अधिक दुर् नहीं ।

शीघ्र ही जीवन का लक्ष्य प्रिया लाल जु की सेवा तुझे प्राप्त होनी ही है ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
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Monday, 16 January 2017

Granth Prichay : Braj Ki Upasana



📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣3⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज की उपासना
💢 लेखक : दासभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी

💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी
💢 पृष्ठ  : 184 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज भक्ति से सम्बन्धित छोटे छोटे विषयों पर सरल संकलन| गौडीय सम्प्रदाय विवेचन

💢 कोड : M083 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

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Sunday, 15 January 2017

Suksham Sutra 34



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सूक्ष्म सूत्र / गागर में सागर
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 🔮 भाग 3⃣4⃣

💡 एकादशी व्रत नित्य कर्म है क्योंकि या श्रीभगवान की प्रीटी विधान के लिए किया जाता है. और एनी व्रत नैमितिक कर्म हैं जो किसी चाहना या मन्नत के लिए किये जाते हैं और उनकी अवधि निश्चित होती है जैसे- नवरात्र के 9 दिन, सोमवार के 16 दिन, वैभव लक्ष्मी के २१ दिन आदि आदि. फिर उन्हें छोड़ देते हैं. किन्तु एकादशी व्रत कभी भी छोड़ा नही जाता.न ही उसका पारण करना शास्त्र विधान है.

💡 कर्म दो पत्रकार के हैं. एक: नित्य कर्म - दो: नैमितिक कर्म. नित्य कर्म वे है जो बिना किसी निमित्त के सदैव किये जाएं और नैमितिक कर्म वे हैं जो किसी निमित्त के लिए विशेष रूप से किये जाएँ और निमित्त पूरा होने पर छोड़ दिए जायें. जैसे विवाह से पूर्व गणेश या नवग्रह पूजन या सुटक पातक के समय धार्मिक कर्मकाण्ड.

💡 जब फल पक जाता है तो वह मीठा हो जाता है नर्म हो जाता है और उसका रंग आकर्षक हो जाता है. ऐसे हो जब व्यक्ति परिपक्व हो जाता है तो उसकी वाणी में मिठास आ जाती है. वह विनम्र हो जाता है और उसका ललाट तेजोमय हो जाता है.

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

Saturday, 14 January 2017

Grant Parichay : Shri Nitai Gour Chalisa

📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣2⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : श्रीनिताई-गौर चालीसा
💢 लेखक : डा भागवत कृष्ण
💢 भाषा : पद्य एवं हिंदी अनुवाद
💢 साइज़ : 14 x 10  सेमी

💢 पृष्ठ  : 48 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 10 रूपये

💢 विषय वस्तु : चालीसा के माध्यम से संक्षिप्त श्रीनिताईगौर चरित्र, नित्य पाठ के लिए उपयोगी पॉकेट साइज़

💢 कोड : M082 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री

📗🔸📘🔹📙🔶📔


Friday, 13 January 2017

Grath Prichay : Braj Ki Charcha

📖 ग्रन्थ  परिचय   8⃣1⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज की चर्चा
💢 लेखक : दासभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ  : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज भक्ति से सम्बन्धित छोटे छोटे विषयों पर सरल चर्चा

💢 कोड : M081 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
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Sadhak Sadhan Sadhya

Sadhak Sadhan Sadhya


✔  *साधक, साधना, साध्य*    ✔

▶ यह तीनों ही आवश्यक है ।
साधक है जीव, जिसने साधना करनी है ।
साधना है भजन और
साध्य है प्रिया लाल जू का सुख

▶ यह बात जब जीव को समझ आ जाती है और उसको अपना स्वरूप समझ आ जाता है कि मेरा जीवन प्रियालाल के सुख के लिए ही मुझे मिला है ।

▶ तो उसके लिए वह उपाय ढूंढता है । कि प्रिया लाल को  मैं कैसे सुख प्रदान कर सकता हूं ।

▶ प्रिया लाल को सुख देने वाले जो भी उपाय हैं उनको साधन कहा गया है ।

▶ साधन में तब तक प्रवृत्ति नहीं होती जब तक प्रिया लाल में दासाभास का आकर्षण नहीं होता ।

▶ प्रिया लाल में आकर्षण तब तक नहीं होता जब तक उनकी महिमा का ज्ञान नहीं होता ।

▶ उनकी महिमा का ज्ञान कराने के लिए दो ही उपाय हैं । एक हैं संत । दूसरे हैं ग्रंथ ।

▶ संत से भी बेहतर है ग्रंथ । क्योंकि संत की उपलब्धि में कठिनाई हो सकती है । समय की पाबंदी हो सकती है । लेकिन ग्रंथ राउंड द क्लॉक आपके पास है ।

▶ संत शायद कभी भूल भी कर जाएं । लेकिन ग्रंथ कभी भूल नहीं करते हैं । जब भी सन्त से मिलें तो उनसे पूछे की हम कौन सा ग्रन्थ पढ़ें । ऐरे गेरे ग्रन्थ अपने मन से न पढ़े ।

▶ इस प्रकार ग्रंथों के अध्ययन से और संतो के संग से प्रिया लाल की महिमा का दासाभास को ज्ञान होता है ।

▶ प्रिया लाल की महिमा के ज्ञान के साथ-साथ दासाभास को अपने स्वरूप का ज्ञान होता है । तब साधन में स्वाभाविक ही रुचि हो जाती है ।

▶ बिना जाने, बिना समझे भी यदि साधन किया जाए तो फल तो देता ही है लेकिन विलंब होता है ।

▶ अतः सबसे पहले स्वयं को जानें,
फिर प्रिया लाल को जाने ।
उनकी महिमा को जाने ।
फिर उस को प्राप्त करने का साधन जाने ।
और उस साधन में यदि हम जुट जाएं तो हमारा जीवन सफल हो जाए और आनंद से भर जाए ।

🐚 ॥ जय श्री राधे ॥ 🐚
🐚 ॥ जय निताई  ॥ 🐚

 🖊 लेखक
दासाभास डा गिरिराज नांगिया
LBW - Lives Born Works at vrindabn

Thursday, 12 January 2017

Granth Prichay : Braj Ki Varta

📖 ग्रन्थ परिचय   8⃣0⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : ब्रज की वार्ता
💢 लेखक : दासभास डा गिरिराज
💢 भाषा : हिंदी | सचित्र
💢 साइज़ : 14 x 22  सेमी

💢 पृष्ठ : 160 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य  : 100 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज भक्ति से सम्बन्धित छोटे छोटे विषयों पर सरल बांते

💢 कोड : M080 -Ed1

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री
📗🔸📘🔹📙🔶📔



Wednesday, 11 January 2017

Granth Prichay : Mahaprabhu Gourang Leela

📖 ग्रन्थ परिचय  7⃣  8⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : महाप्रभु श्रीगौरांग
💢 लेखक : ब्रजविभूति श्रीश्यामदास
💢 भाषा : हिंदी-संस्कृत
💢 साइज़ : 19 x 25  सेमी

💢 पृष्ठ : 186 हार्ड बाउंड
💢 मूल्य  : 300 रूपये

💢 विषय वस्तु : विभिन्न विद्वान-मनीषियों के श्रीमहाप्रभु-लीला एवं सिद्धांत विषयक निबन्ध

💢 कोड : M078 -Ed2

💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस
📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री
📗🔸📘🔹📙🔶📔

 Mahaprabhu Gourang Leela

Tuesday, 10 January 2017

Dasabhas Ji Kahin 110117


🙌🏼      🙏🏼     🙌🏼      🔏🔓
🎪जय गौर हरि🎪

📮📮कछ जिज्ञासाएँ❓
💽💽💽उनके समाधान....।
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📮 *वैष्णव* का अर्थ।
~~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/vaishnav-arth

💽⏰04:13
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮शिक्षाष्टक के 7वें शलोक के आश्रय *प्रेम की उत्पत्ति*
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/db-shunyati

💽⏰03:57
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮 शरी विश्वानाथ चक्रवर्ती पाद,।
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/shri-vishvnath

💽⏰08:28
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮भगवान् के विरह में पलक झपकने का समय।
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/db-yugaitmae

💽⏰02:24
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮नामाचार्य श्री हरिदास ठाकुर।
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/shri-haridas

💽⏰06:20
➖➖➖➖➖➖➖➖
📮 सजातीय या किमा विप्र, किमा क्षुद्र, किमा .....विवरण।
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sajatiya-ya-kiva

💽⏰17:16
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📮सजातीय या विजातयि।
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sajatiya-2

💽⏰10:41
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📮शरी सुदर्शन चक्र जी का स्वरूप।
~~> http://yourlisten.com/Dasabhas/sudarshan

💽⏰01:08
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🎤 डा:श्री गिरिराज दासाभास नांगिया जी
      श्री धाम वृन्दावन से
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Monday, 9 January 2017

GranthPrichay : Shri Kishori Karuna kataksh

📖 ग्रन्थ परिचय  7⃣  7⃣  📖

💢 ग्रन्थ नाम : श्रीकिशोरीकरुणाकटाक्ष
💢 लेखक : श्रीललितलडैतीजी
💢 भाषा : ब्रजभाषा-हिंदी|
ब्रजविभूति श्रीश्यामदास

💢 साइज़ : 14 x 22 सेमी💢 पष्ठ : 128 सॉफ्ट बाउंड
💢 मूल्य : 150 रूपये

💢 विषय वस्तु : ब्रज की रास लीलाओ में गाये जाने वाले पद लीलाओं, अष्टयाम तथा वर्षोत्सव के पदों का संग्रह

💢 कोड : M077 -Ed2
💢 प्राप्ति स्थान:

1⃣ खण्डेलवाल बुक स्टोर वृन्दाबन
2⃣ हरिनाम प्रेस वृन्दाबन
3⃣ रामा स्टोर्स, लोई बाजार पोस्ट ऑफिस

📬 डाक द्वारा । 09068021415
पोस्टेज फ्री
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Shri Kishori Karuna kataksh