मदनमोहन जी का श्री विग्रह
सत्ययुग मै -
महाराज अम्बरीश द्वारा सेवित होता था
त्रेता मैं -
इन्द्र द्वारा,बाद में रावन द्वारा, रावन के उद्धार के पश्चात्
महारानी सीता द्वारा इनकी पूजा की जाती थी
, - शत्रुघ्न को ब्रज मैं स्थापित करने हेतु दिया
कलियुग में-
राजविप्लवों के बाद
श्री अद्ध्वैताचार्य को - आदित्य टीला के नीचे प्राप्त हुई यह श्री मूर्ति
श्री अद्वैत ने अपने पुरोहित परशुराम चतुर्वेदी को दी |
परशुराम से श्री सनातन लाये जो आज तक करौली व वृन्दाबन में पूजित है |
शायद यह दुर्लभ मूर्ति है जो चरों युगों में पूजित हो रही है
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JAI SHRI RADHE
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