Friday, 25 May 2012

213. sambandhanuga bhakti



एक है संबंधानुगा भक्ति 
जो सम्बन्ध के अनुसार चलती है 

श्री राम मेरे स्वामी हैं - दास्य (हनुमान)
श्री कृष्ण मेरे सखा हैं - सखी (मधुमंगल) 
श्री कृष्ण मेरे पुत्र हैं - वात्सल्य (यशोदा)
श्री कृष्ण मेरे कान्त है - मधुर (श्रीराधा)

दास्य, सख्य, वात्सल्य वालों की भक्ति मैं 
भक्ति सम्बन्ध के पीछे चलती है - संबंधानुगा 

मधुर भक्ति मैं श्री कृष्ण की सव विध सेवा 
पहले चलती है - सम्बन्ध गौण  है - पीछे चलता है - प्रेमानुराग 

दास्य मैं केवल सेवा है, सुख्य मैं सेवा भी है सखा भाव भी है 
वात्सल्य मैं सेवा है, सख्य है पाल्य लाल्य भाव भी है 
मधुर मैं सेवा है, सख्य है, पाल्य - लाल्य भाव भी है और कांता प्रेम भी है
मधुर रसोपासक को श्री कृष्ण का सर्व विध 
सुख, आनंद विधान करना है - सम्बन्ध की अपेक्षा नहीं है |

sambandhanuga bhakti

No comments:

Post a Comment