प्रारब्ध
१. हानि
२. लाभ
३. जीवन
४. मरण
५. यश
६. अपयश
-ये ६ प्रारब्ध के वश में हैं. प्रारब्ध क्या है? पिछले जन्म
में किये गये अच्छे-बुरे कर्मों के फल का इस जन्म में मिलना ही प्रारब्ध है.
-'दैव-दैव आलसी पुकारा'-सब कुछ प्रारब्ध या दैव के अधीन है-ऐसा आलसी कहते हैं.
-यदि ये मान ही लिया जाए कि पूरा जीवन प्रारब्ध के वशीभूत है
और पिछले जन्म के कर्मों के फल का नाम प्रारब्ध है तो आगामी जन्म का
प्रारब्ध बनाने के लिये भी तो इस जन्म में कर्म करने चाहिए.
-अतः अवश्य ही कर्म-कार्यों में परिश्रम से अवश्य लगे रहना चाहिए.
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