Wednesday, 9 May 2012

208. granth, vigrah, sant



ग्रन्थ : श्री विग्रह : संत - मेरे तीन स्वरूप 

तीनों ही मेरे स्वरूप हैं इन तीनों में मेरा आविर्भाव है 
१ ग्रन्थ - शास्त्र 
२ श्री विग्रह मूर्ति 
३ संत 

मेरा  अपराधी बच सकता है पर मेरे भक्त का अपराधी नहीं बचेगा |
मेरे भक्तअम्बरीश का अपराध करने पर दुर्वाषा तीनों लोकों मैं भागते रहे 
अन्ततः अम्बरीश से अपराध क्षमा करने पहुंचे तो परम भक्त परम दैन्य 
अम्बरीश ने  ही उन्हें निर्भय किया और कहा की आपने तो मरे प्रति अपराध किया ही नहीं |

संत और भक्त भी वास्तविक हो 
भक्ति का मुख्य लक्षण है - दैन्य या दीनता 

JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia

granth, vigrah, sant

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