श्री गुरु
नामश्रेष्ठं मनुमपी शचीपुत्रमत्र स्वरूपं
रूपं तस्याग्रजमुरुपुरी माथुरी गोष्ठवाटिम |
राधाकुंदम गिरिवरमहो राधिका माधवाशां
प्राप्तो यस्य प्रथितकृपया श्रीगुरुं तं नतोअस्मी ||
श्रील रघुनाथ गोस्वामी कह रहे है -
सवश्रेष्ठ हरिनाम ,दीक्षा - मंत्र शचिनंदन श्री गोर हरि और उनके परिकर
श्री स्वरूप दामोदर गोस्वामी, श्रील रूप गोस्वामी तथा उनके
ज्येष्ठ - भ्राता श्रील सनातन गोस्वामिका संग,
सर्वश्रेष्ठ श्री मथुरा पुरी और उससे भी अत्यधिक श्रेष्ठ श्रीवृन्दावनधाम,
उस वृन्दावन धाम मैं क्रमश : श्रेष्ठताको प्राप्त श्री गिरिराज गोवर्धन, श्री राधाकुंड और
अहो ! वहाँ पर श्रीश्रीराधामाधव की सेवा प्राप्त करने की परम उत्कट आशा - यह सभी जिनकी
अहैतुकी कृपा से मैंने प्राप्त किया है,
उन श्रील गुरुदेव के श्री चरणों में नतमस्तक होकर प्रणाम करता हूँ |
JAI SHRI RADHE
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