वैराग्य
१. भगवत स्वरुप में
श्री, विद्या, यश, वीर्य, वैराग्य,ऐश्वर्य
इन ६ भगों में 'वैराग्य' भी है.
श्री राम ने तुरंत उसी समय मरते पिता को छोड़कर
राज - काज परिवार को छोड़कर बनगमन किया,
यह उनके अनलिमिटिड वैराग्य का उदहारण है.
वनवास तो लेना ही था
और चौदह वर्ष काबनवास था, आराम से कुछ दिन रुक कर
पिता का और अन्य राज्य की व्यवस्था आदि करवाकर फिर चले जाते,
लेकिन वैराग्य की पराकाष्ठा इसी में है की
तुरंत ही पीछे की व्यवस्थाओ की चिंता किये बिना चल दिए.
२. यही बात कृष्ण ने भी की.
प्राण प्रियतम नन्द यशोदा ब्रिजवासी तथा श्री राधा आदि
गोपी गण को छण में छोड़कर चले गए .
३. यही बात महाप्रभु गौरांग ने भी दिखाई
विधवा असहाए वृद्ध शची माँ
नवविवाहिता विष्णुप्रिया को छोड़कर गृह त्याग दिया.
श्री, विद्या, यश, वीर्य, वैराग्य,ऐश्वर्य
यह ६ औरों में भी हो सकते हैं, लेकिन भगवान् में
ये शत-प्रतिशत होते हैं.
JAI SHRI RADHE
DASABHAS Dr GIRIRAJ nangia
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