भगवान सबके साथ
जब रजोगुन या तमोगुण की वृद्धि सृष्टि में अपेक्षित होती है
तो भगवान रज-तमोगुण की वृद्धि को होने देते है
जब सतोगुण की वृद्धि की आवश्यकता होती है उसे भी होने देते है.
लेकिन प्रायः देखने में ये आता है की वे देवताओं के साथ है . सात्विक लोगो के साथ है.
सत्वगुण प्रकाशमय या ट्रांसपरेंट होता है.
अतः भगवन की उपस्तिथि दिखती है.
तमो-रजो गुन आवरनात्मक होते है अतः भगवन की उपस्थिति दीखटी नहीं .
ठीक वैसे, जैसे- शीशे के बर्तन मे अन्दर जो है वह दिखता है स्टील या मिटटी के बर्तन में नहीं दिखता.
भगवन पक्षपाती तो नहीं है लेकिन निष्ठुर भी नहीं है .
रजा ह्रियान्यकशिपू ने जब वर मांग कर देवताओं को अपने आधीन कर लिया तो प्रभु शांत रह आये
उस समय भी हिरान्यकशिपू को असहयोग कर सकते थे,
लेकिन जब अपने भक्त प्रहलाद पर कष्ट आया तो खम्बे से प्रकट हो गए.
JAI SHRI RADHE
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