Wednesday, 5 September 2012

242. ACHINTYA BHADABHED


अचिन्त्य भेदाभेद 

की मान्यता है की जीव ब्रह्म में जो भेद-अभेद है 
वह बुद्धि या तर्क द्वारा समझने की बजाये 
शास्त्र द्वारा समझा जा  सकता है 
अतः केवल बुद्धि द्वारा अचिन्त्य है.

साधारण भेदाभेद दर्शन की मान्यता है की 
जीव ब्रह्म का भेद समझ ही नहीं आ सकता. 

जबकि अचिन्त्य भेदाभेद 
शास्त्र कृपा से इसे समझ में आने की बात करता है. 
अवश्य केवल तर्क या बुद्धि द्वारा ये अचिन्त्य है.
JAI SHRI RADHE

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